अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT; पिछले बीस साल पहले सीकर के मुस्लिम समुदाय में बालक-बालिकाओं में शैक्षणिक तौर पर जो बडे स्तर पर असंतुलन बन गया था, तब वाहिद चौहान ने सीकर में बालिकाओं को शिक्षित करने की गरज से ऐक्सीलेंस स्कूल कायम करके शिक्षा के प्रति जो अवामी मुहिम शुरु की थी, वह आज फल देने लगी है। इन्हीं बीस सालों में बालिका शिक्षा में आई तालिमी बेदारी को लेकर सीकर शहर के सभी तालिमी इदारों की तरफ से कल ऐक्सीलेंस नॉलेज सिटी प्रांगण में भारत की मायानाज हस्तियों की मौजूदगी में एक समारोह आयोजित हुवा, जिसमें खास तौर पर हजारों छात्राओं व महिलाओं ने भाग लेकर बालिका शिक्षा के बढते कदम व बालिकाओं की विभिन्न क्षेत्रों मेंमे होती परवाज की कहानी एवं उनके भारत की डा.जहीर काजी, कुनाल कपूर , मुश्ताक अंतुले जैसी अनेक नामी गिरामी शख्सियतों के हाथों सम्मानित होते देख उपस्थित मां रुपी महिलाओं का दिल बाग बाग हो गया है।करीब बीस साल पहले जब सीकर शहर में ऐक्सीलेंस स्कूल की नींव रखी गई थी, तब सीकर के मुस्लिम समुदाय में किसी भी पेथी की एक भी महिला चिकित्सक नहीं थी और ना ही कोई सोचता था कि इस समुदाय में कोई चिकित्सक बन पायेगी। लेकिन इन बीस सालों में वाहिद चौहान की तरफ से शुरु की गई बेदारी मुहिम ने तो समाज को पुरी तरह बदल डाला है। इस तरह बदलने का इतना अहसास भी कल समारोह के आयोजन से पहले किसी को भी नहीं था। लेकिन जब कल समारोह में मेडिकल से जुड़ी सीकर शहर की मुस्लिम बेटियों को सम्मानीत करने का सिलसिला शुरु हुवा तो गिनती एक दो चार नहीं बल्कि पुरे पच्चास को क्रास करते जाते देख खासतौर पर वहां उपस्थित महिलाओं का दिल बाग-बाग ही नहीं हुवा बल्कि अनेक महिलाओं ने यहां तक कहा कि समाज में इतना बदलाव आ गया है, उसका तो वो आज तक अनुमान भी नही लगा पाई थीं। अब उनकी आंखे खुल जाने से अब वो हर हालत में बालिकाओं को आला दर्जे की तालिम दिलाने के साथ-साथ अपने परिवार के पुरुषों पर दवाब भी बनाना शुरु करेंगी कि वह वाहिद चौहान द्वारा शुरु की गई तालिमी बेदारी मुहिम को पंख लगाने के लिये चौहान के कंधा से कंधा मिलाकर उनके नेक काम व इरादे में सहयोग करें।पिछले बीस सालों में सीकर शहर में जारी तालिमी बेदारी के परिणाम के तौर पर कल ऐक्सीलेंस नॉलेज सिटी में आयोजित समारोह में देखने को मिले। आज से बीस साल पहले जिस समुदाय में बालिका का चिकित्सक बनने का ख्वाब भी नहीं देखा जाता था, उस समुदाय के केवल सीकर शहर से दस बालिकाओं के MBBS की डिग्री लेने व पढाई करते हुई को सम्मानित होते देख खुशी के मारे लोगों की आंखें भरईआईं। इसी तरह दो दर्जन से अधिक बालिकाओं के BUMS, व दस बालिकाओं का BDS एवं अनेक बालिकाओं के BAMS-BHMS करने वालों को भी नामी हस्तियों के हाथो सम्मानित होते देखा तो उन लोगों की आंखे फटी की फटी रह गईं जो शुरुवात में बालिका शिक्षा का विरोध करते रहे हैं। वहीं समाज में इतनी बडी तादात में इन बालिकाओं के चिकत्सक बनने की चर्चा हर एक की जुबान से सुनने को अब मिल ही नहीं रही बल्कि वो वाहिद चौहान की तालिमी बेदारी मुहिम का खुलकर समर्थन करते थक नहीं रहे हैं।
कुल मिलाकर यह है कि कल हुये समारोह में सीकर शहर के मुस्लिम समुदाय की पच्चास से अधिक बालिकाओं का विभिन्न तरह की पेथियों की तालिम लेकर चिकित्सक की डिग्री हासिल करके जो तरक्की की राह आने वाली छोटी बहिनों को दिखाई हैं उसकी जितनी तारीफ की जाये वह कम ही होगी। वहीं वाहिद चौहान ने जो पौधा बीस साल पहले बालिका शिक्षा का सीकर में लगाया था वह अब फलदार वृक्ष बन चुका है। इन चिकित्सकों में से तो काफी तादात में सरकारी सेवा में भी कार्यरत हैं।समारोह में सम्मानित होने वालि महिला चिकित्सकों में डा.उमे कुलसुम, डा.इरम, डा.शिफा जमीदार, डा.अंजुमन सेय्यद, डा.अनम चोधरी, डा.नगमा बानो, डा.परवीन, डा.सुमेय्या, डा.इरम जाटू, डा.निखत जाटू, डा.शाहीना परवीन, डा.सुमेय्या रंगरेज, डा. रिजवाना, डा.सुमेय्या कुरेशी, डा.परवीन कायमखानी, डा.नगमा जोया, डा.मोहसिना सेय्यद, डा.फिरदोश बानो, डा.रेहाना बानो. डा.अमरीन चोहान, डा.अलारखी टोला, डा.अमरीन चोधरी, डा.अलसबा फारुकी, डा.जेनब बानो, डा.जुलफैन कायमखानी, डा.सना कुरैशी, डा.अरीबा नाज, डा.आफरीन सोलंकी, डा.हया खान, डा.राहीला बेग, डा.सबीना मेवाफरोस, सहित अनेक बालिकाओं के डाक्टर बनने पर सम्मानित होते समय मौजूद छात्राओं व महिलाओं ने काफी हद तक तालियों की गड़गडाहट के साथ इस्तकबाल किया। सम्मानित होने वाली इन चिकित्सकों ने अपनी पढाई को आगे जारी रखने की कहते हुये कुछेक ने चिकित्सा में ही उच्च डिग्री लेकर सेवा करने की बात कही। वहीं काफी ने भारतीय सिविल सेवा में जाने की तैयारी करने को भी कहा है।
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