सीएम हेल्पलाइन जिला प्रशासन द्वारा बना मजाक,  बिना किसी निराकरण के बन्द कर दी जाती है शिकायत | New India Times

पीयूष मिश्रा, सिवनी( मप्र ), NIT; ​सीएम हेल्पलाइन जिला प्रशासन द्वारा बना मजाक,  बिना किसी निराकरण के बन्द कर दी जाती है शिकायत | New India Timesसिवनी जिले की हालत बद से बदतर होती जा रही है।संवेदनशील कहे जाने वाले जिला कलेक्टर धनराजू एस भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।

सीएम  हेल्पलाइन में शिकायत करने वाले व्यक्ति द्वारा बताया गया कि मंहोत्रा बिल्डिंग कॉर्प प्राइवेट लिमिटेड के सुपरवाइज़र राकेश अरोरा और साइड इंचार्ज अमरेश सिंग द्वारा मेरी निजी कृषि भूमि पर 06/11/2016 की मध्य रात्रि अवैध उत्खनन किया गया, जोकि मेरे खेत से मिटटी निकाल कर जबलपुर-गोंदिया ब्राडगेज परियोजना के अंतर्गत घंसौर स्थित डोला फाटक के पास लेवलिंग हेतु फिलिंग हेतु उपयोग की गई। खनिज माफिया पर कोई कार्यवाही न होते देख सीएम हेल्प लाइन पर 10/11/2016 को भी शिकायत की गई। जिसका बिना किसी निराकरण और बिना सूचना दिए 31/12/2016 को अधिकारी द्वारा बन्द कर दिया गया। जिसका मोबाइल में सन्देश आया की “आपकी शिकायत क्रमांक 2909485 पर प्राप्त निराकरण को अंतिम निराकरण मानते हुए अपकी शिकायत को वरिष्ठ स्तर से बंद किया जा रहा है।” जिसको देखते ही शिकायत करता भौचक्का रह गया कि कौन सा निराकरण मिला है? तहसील मुख्यालय के अधिकारियों से कोई भी जानकारी नहीं दी गई। ज्ञात हो कि 31/01/2017 को अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) घंसौर सेवानिवृत हो चुके हैं।​सीएम हेल्पलाइन जिला प्रशासन द्वारा बना मजाक,  बिना किसी निराकरण के बन्द कर दी जाती है शिकायत | New India Timesइस प्रकरण की शिकायत लिखित रूप से कलेक्टर महोदय सिवनी, खनिज अधिकारी सिवनी, तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व घंसौर, तहसीलदार घंसौर, अनुविभागीय अधिकारी पुलिस, थाना प्रभारी घंसौर को की गई। जिसका कोई भी निराकरण न होने पर सिवनी पहुंच कर 13/12/2016 को कलेक्टर जनसुनवाई में उपस्थित होकर भी शिकायत की गई जिसकी शिकायत संख्या 349148 है। यहां पर भी आज तक न्याय नहीं मिला है।​सीएम हेल्पलाइन जिला प्रशासन द्वारा बना मजाक,  बिना किसी निराकरण के बन्द कर दी जाती है शिकायत | New India Timesप्रशासनिक अधिकारियों के ऐसे रवैये को देख शिकायत करता ने खनिज मंत्री श्री उमाशंकर जी गुप्ता, मुख्यमंत्री महोदय श्री शिवराज सिंह जी चौहान, रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु को भी पत्र लिखकर अपना रोष व्यक्त किया है।

पता नहीं राकेश अरोरा और अमरेश सिंह ने जिला प्रशासन को ऐसी कौन सी घुटी पिला दी है कि प्रशासन हर संभव मदद कर रहा है और शासन को राजस्व का नुकसान कराया जा रहा है। इस मामले की उच्च स्तरीय जांच करायी जाए ताकि इस जैसे अनेक मामलों में लिप्त प्रशासनिक अधिकारियों की पोल खुल सके और बहुत बड़े भ्रस्टाचार का पर्दाफाश हो सके। अब देखना यह है कि शिकायत कर्ता को इंसाफ मिलेगा या यूंही ठोकर खाते रहना पडेगा???


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By nit

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