चुनावी चंदे के कनस्तर पर बैठकर कपास में लगी आग से खेल रही है भाजपा, रावेर में रोड शो, जलगांव में नितिन गडकरी की सभा | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

तीसरे चरण तक महाराष्ट्र की 24 सीटो पर मतदान हो चुका है। देश की 283 सीटो के वोटिंग मे आम जनता के बीच महंगाई, बेरोजगारी, संविधान को बचाने की खबरदारी की समझ साफ़ नज़र आ रही है। जलगांव सीट से शिवसेना (UBT) के करण पवार की जीत लगभग मुकम्मल हो चुकी है। रावेर सीट के सर्वे में पाया गया कि कल तक माइनस मालूम पड़ने वाली यह सीट अब NCP (SP) के लिए प्लस होती जा रही है‌ जलगांव की दोनों सीटों पर 13 मई सोमवार को मतदान होगा। भाजपा प्रत्याशी और अपनी बहु रक्षा खडसे को जितवाने के लिए एकनाथ खडसे के NCP छोड़ अचानक भाजपा की देहलीज पर दस्तक देने की घटना ने विपक्ष को जाति के स्वाभिमान से जोड़ना शुरू कर दिया है।

NCP के श्रीराम पाटील को समर्थन बढ़ता जा रहा है। बहुजन समाज में अंदरखाने मराठा आरक्षण की छद्म लहर चल पड़ी है। जामनेर, बोदवड़, भुसावल, मुक्ताईनगर इन तहसीलों में कपास उत्पादक किसानों की सरकार ने जो हालत की है वो बया करने से परे है। मलकापुर नांदुरा में सोयाबीन बोने वाला कास्तकार माल को दाम के अभाव से कर्ज में डूब गया है। रावेर, यावल, चोपड़ा का केला बागान रोपाई वाला किसान फसल बीमा कंपनी के आर्थिक जुल्म से गुरबत की कगार पर पहुंच चुका है। किसान मज़दूरों के बीच कपास को लेकर सबसे अधिक क्रोध व्याप्त है। औद्योगिक विकास से कोसों दूर रखे गए रावेर बेल्ट में बेरोजगारों के लिए धर्म और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के नाम पर भगवा पार्टी के लिए भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

लोकसभा क्षेत्र में संख्या के मुताबिक विधानसभाओं में NDA MLAs का बोलबाला है लेकिन इनके द्वारा दस साल में किया गया कामकाज बेहद खोखला है। भाजपा के स्टार प्रचारक मंत्री गिरीश महाजन को जलगांव में रुक कर प्रचार अभियान के प्रत्येक बिंदु के साथ साथ एक एक वोट को सहेजना पड़ रहा है। कल रावेर में नवनीत राणा की मौजूदगी में रक्षा खडसे के प्रचार के लिए निकाली गई रैली में खुले आम हिन्दू राष्ट्र के फ्लेक्स हवा में लहराए गए। जलगांव के शिवतीर्थ पर नितिन गडकरी की जनसभा का आयोजन कराया गया है। नंदूरबार में होने वाली प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा जलगांव में अपेक्षित थी वैसे युवा संवाद के लिए अमित शाह तीन महीने पहले आ कर चले गए हैं।


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