कुपोषण के खिलाफ जंग में समाज की भागीदारी जरूरी है: नरेन्द्रसिंह तोमर; स्थानीयता, परंपरागत ज्ञान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पोषण सुधार में सहायक: मंत्री अर्चना चिटनीस | New India Times

मेहलका अंसारी, बुरहानपुर (मप्र), NIT;​कुपोषण के खिलाफ जंग में समाज की भागीदारी जरूरी है: नरेन्द्रसिंह तोमर; स्थानीयता, परंपरागत ज्ञान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पोषण सुधार में सहायक: मंत्री अर्चना चिटनीस | New India Timesकेन्द्रीय पंचायत ग्रामीण विकास एवं खनन मंत्री नरेन्द्रसिंह तोमर ने कहा कि भौतिकता की अग्नि में प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ के कारण पोषण को लेकर जो बड़ा असंतुलन खड़ा हुआ है, उसे दूर करने में महज सरकार के प्रयत्न नाकाफी साबित होंगे, इसमें समाज की भागीदारी बेहद जरूरी है। श्री तोमर भोपाल के होटल आमेर ग्रीन में आयोजित पोषण संबंधी तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। पोषण जागरूकता के शंखनाद के प्रतीक स्वरूप, इस अवसर पर अतिथिगण को शंख भेंट किए गए। श्री तोमर ने न्यूट्रीशन स्मार्ट विलेज की सराहना करते हुए कहा कि 313 ग्रामों से प्रारंभ हुई इस छोटी सी शुरूआत का विस्तार प्रदेश के सभी गांवों में होगा और गांव पोषण में आत्मनिर्भर हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि, हमारी परम्परागत कृषि और खाद्यान्न पद्धति में आये बदलावों के परिणाम स्वरूप पोषण में कमी की स्थिति निर्मित हुई है। इसके निराकरण के लिए महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस द्वारा विभिन्न विभागों को सम्मिलित कर आरंभ की गई गहन और विषेषज्ञता पूर्ण विचार-विमर्श श्रृंखला के निष्कर्ष निश्चित ही जन-उपयोगी होंगे। श्री तोमर ने कार्यशाला की अनुशंसाओं को केन्द्र की ओर से हर संभव समर्थन देने का आश्वासन दिया। ​कुपोषण के खिलाफ जंग में समाज की भागीदारी जरूरी है: नरेन्द्रसिंह तोमर; स्थानीयता, परंपरागत ज्ञान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पोषण सुधार में सहायक: मंत्री अर्चना चिटनीस | New India Timesउद्घाटन अवसर पर महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने कहा कि कृषि व्यवस्था को बाजार वाद से बचाने की जरूरत है। हम केवल बेचने के लिए फसलें नहीं ले बल्कि ’’जो खाते हैं, वह उगायें और जो उगायें वह खायें’’। इस संदर्भ में उन्होंने कृष्ण और कंस के संघर्ष का हवाला देते हुए कहा कि इस संघर्ष का एक बड़ा कारण यह था, कि कृष्ण चाहते थे कि बृज में उत्पादित दूध पर पहला अधिकार बृज के बच्चों का है और शेष बचा दूध मथुरा जाना चाहिए जबकि कंस बृज में उत्पादित पूरे दूध पर अपना अधिकार जमाना चाहता था। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि खेत और गांव से बेर, कवीट, इमली, आंवला, सुरजना के नैसर्गिक पेड़ गायब हो रहे है, जो खाद्य विविधता की समाप्ति का संकेत हैं, इनको बचाना बहुत जरूरी है। इससे सहज-सुलभ और मुफ्त में मिलने वाले पोषक तत्व लोगों से दूर हो रहे है। उन्होंने मोटे अनाज (न्यूट्री सीरियल्स) को सार्वजनिक वितरण प्रणाली में शामिल करने के निर्णय के लिए भारत सरकार का आभार व्यक्त किया। श्रीमती चिटनिस ने पोषण संवेदी कृषि और पोषण जागरूकता के विस्तार के लिए आरंभ हुए प्रयासों की जानकारी देते हुए बताया कि फरवरी 2016 में चित्रकूट में इस विचार का बीजारोपण हुआ था। इस दिशा में भोपाल और शिलांग सहित कई स्थानों पर कार्यशालाएं आयोजित की गई तथा प्रदेश के सभी 313 विकासखंडों के एक-एक ग्राम को न्यूट्रीशन स्मार्ट विलेज के रूप में विकसित किया गया। उन्होंने कहा कि गॉंव तभी पोषण आहार में स्वाबलंबी होंगें, जब वहाँ की मिट़टी सुपोषित होगी। इन गांवो का न्यूट्रीशन ऑडिट कराने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि हम न्यूट्रीशन स्मार्ट नागरिक की अवधारणा पर कार्य कर रहे है। तिरंगा थाली के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि बाजार की ताकतों के प्रभाव में कमी, परम्परागत ज्ञान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के समन्वय से हम पोषण में कमी की समस्या को दूर करने में सफल होंगे। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि केन्द्रीय मंत्री श्री तोमर की कार्यक्रम में उपस्थिति से हमारे नवाचारों को केन्द्र के समर्थन का आश्वासन मिला हैं। 

 इस अवसर पर प्रमुख सचिव महिला बाल विकास श्री जे. एन. कंसोटिया ने पोषण जागरूकता के विस्तार की आवश्यकता बताई। उद्घाटन अवसर पर यूनीसेफ के सीएफओ श्री माइकल जूमा, यूनीसेफ के न्यूट्रीशन प्रमुख अर्जन वाग्ट, दीनदयाल शोध संसाधन दिल्ली के अतुल जैन, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अटारी जबलपुर के संचालक डॉ. अनुपम मिश्र, कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के कुलपति डॉ.एस.के.राव तथा विषय विशेषज्ञ उपस्थित थे। कार्यशाला में 15 व 16 मई को विभिन्न तकनीकी सत्र होंगे। जिनमें खाद्य सुरक्षा, पोषण सुरक्षा, ग्राम स्तरीय वाणिज्य व्यापार गतिविधियों, ग्राम स्तरीय समूहों के क्षमता विकास तथा प्रभावी नीति निर्धारण और क्रियान्वयन पर विचार विमर्श होगा। 

विशेष आकर्षणः-कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर अतिथिगण का स्वागत केले के छिलके से तैयार गमछा और अलसी के फाइबर से बनी जैकेट भेंट कर किया गया। इस अवसर पर विशेष पोषण पंचांग का विमोचन भी हुआ। इस विशेष पोषण पंचांग में महीने के हिसाब से डाइट चार्ट निर्धारित किया गया है। जिसमें महिलाओं – शिशुओं के लिए मौसमी फसलें और फल-फूल, जूस आदि कैसे और कितना लेना चाहिए इसकी जानकारी दी गई है। इसके अलावा क्षेत्रवार पोषक व्यंजन और प्रसूताओं तथा बच्चों के लिए औषधि बनाने की विधि भी बताई गई है। कार्यशाला के साथ ही पोषक तत्वों और विभिन्न स्तर पर पोषण जागरूकता पर संचालित गतिविधियों पर केन्द्रित प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है।


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