संयुक्त राष्ट्र ने भी माना मोदी सरकार का लोहा, भारत को मिली नई पहचान, कश्मीर में बच्चों की सुरक्षा की दिशा में हो रहे बेहतर काम से दागी देशों की सूची से बाहर हुआ भारत | New India Times

साबिर खान, चीफ एडिटर, मुंबई (महाराष्ट्र), NIT:

संयुक्त राष्ट्र ने भी माना मोदी सरकार का लोहा, भारत को मिली नई पहचान, कश्मीर में बच्चों की सुरक्षा की दिशा में हो रहे बेहतर काम से दागी देशों की सूची से बाहर हुआ भारत | New India Times

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीते 9 वर्षों से मोदी सरकार ने भारत को वैश्विक फ़लक पर नई पहचान दिलाने में कामयाबी हासिल की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सफल रणनीतियों का ही नतीजा है कि 12 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद पहली बार संयुक्त राष्ट्र की ‘चिल्ड्रलन एंड आर्म्डी कॉन्फ्लिक्ट रिपोर्ट’ से भारत का नाम हटा है। संयुक्त राष्ट्र ने माना कि भारत सरकार ने ‘बच्चों की बेहतर सुरक्षा’ के लिए, खासतौर से जम्मू् और कश्मीहर में बेहतर कदम उठाए हैं।
एक दौर था जब भारत का नाम बुर्किना फासो, कैमरून, लेक चाड बेसिन, नाइजीरिया, पाकिस्तान और फिलीपींस जैसे देशों के साथ ‘अपमानित सूची’ में रखा जाता था। लेकिन मोदी-शाह की जोड़ी ने इस असंभव को भी संभव कर दिखाया। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने ‘बच्चे और सशस्त्र संघर्ष रिपोर्ट’ के हालिया एडिशन से भारत का नाम निकाल दिया है। बाल अधिकारों के उल्लंघन पर बनने वाली इस रिपोर्ट में पहले जम्मू-कश्मीर का जिक्र ‘संघर्ष का क्षेत्र’ के रूप में होता था। यह सालाना रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गई। इसमें विभिन्न देशों में सशस्त्र संघर्षों के बच्चों पर असर और उनके अधिकारों के उल्लंघन की रिपोर्ट पेश की जाती है। इसके पूर्व जम्मू-कश्मीर में बच्चों की सुरक्षा और सशस्त्र संघर्ष के चलते संयुक्त राष्ट्र ने भारत को ‘दागी और अपमानित देशों’ की सूची में रखा हुआ था। धारा 370 और 35A रद्द होने का ही नतीजा है कि 2010 के बाद पहली बार संयुक्त राष्ट्र की दागी लिस्ट से बाहर हुआ जम्मू-कश्मीर आज सुरक्षित और शांत तरीके से प्रगति की राह पर अग्रसर है।
पिछले 9 वर्षों में मोदी-शाह की जोड़ी ने एक के बाद एक मास्टर स्ट्रोक लगाई है, नतीजतन जम्मू कश्मीूर को मुख्यधारा में लाने की उनकी कोशिश सफल होती दिख रही है। धारा 370 को रद्द कर जमू-कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाने वाले कर्मठ नेता अमित शाह ने जब संसद में इसका प्रस्ताव रखा तो तमाम विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध किया। विपक्षियों का कहना था कि ‘धारा 370 के हटने से कश्मीर में खून की नदियाँ बह जाएंगी।’ लेकिन भारतीय राजनीति के चाणक्य शाह की नीतियों का यह असर रहा कि किसी ने एक कंकड़ तक उठाने की हिम्मत नहीं की।
धारा 370 को रद्द करने के बाद ही जम्मू-कश्मीर में किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत बाल कल्याण समिति और किशोर न्याय बोर्ड जैसी सभी न्यायिक सेवा देने वाला इंफ्रास्ट्रक्चर को स्थापित करना संभव हो पाया। संयुक्त राष्ट्र द्वारा सुझाए गए कई उपाय पहले ही लागू किए जा चुके हैं। बाल संरक्षण को लेकर सशस्त्र तथा सुरक्षा बलों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बच्चों पर घातक तथा अन्य बल प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। ‘पैलेट गन’ का इस्तेमाल बंद कर दिया गया है और यह भी तय किया गया है कि कोई रास्ता न रह जाने पर ही कम-से-कम अवधि के लिए बच्चों को हिरासत में लिया जाएगा।

अमित शाह की चाणक्य नीतियों का ही नतीजा है कि धारा 370 और 35A के हटने से अब भारत की दुन‍िया में एक अलग ही पहचान बन गई है। संयुक्त राष्ट्र की ‘बच्चे और सशस्त्र संघर्ष रिपोर्ट’ की अपमानित सूची से बाहर निकलना भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। भारत आज अमृतकाल में प्रवेश कर चुका है।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

By nit

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading