अशफ़ाक़ क़ायमखानी, ब्यूरो चीफ, जयपुर (राजस्थान), NIT:
राजस्थान में पहले फैज की बारह लोकसभा क्षेत्र में मतदान होने के बाद अब बची तेराह सीटों पर कल 26-अप्रेल को मतदान होना है। जिनमें से अधीकांश सीटों पर इण्डिया गठबंधन भाजपा पर काफी भारी पड़ता नज़र आ रहा है। भाजपा के प्रचार के लिये प्रधानमंत्री मोदी के अलावा अनेक दिग्गज नेता राजस्थान आये। प्रधानमंत्री के बांसवाड़ा व टोंक-सवाईमाधोपुर में मुस्लिम व मंगलसूत्र को लेकर दिये विवादित भाषण का राजस्थान के मतदाताओं पर कोई असर पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है। बल्कि इसके विपरीत राष्ट्रीय स्तर पर इसे मुद्दा बनाने की विभिन्न प्रकार से कोशिश की जा रही है।
राजस्थान भाजपा की ताकतवर नेता वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री पद से दूर रखने व राजस्थान की पच्चीस सीटों में से उनके अपने पूत्र दुष्यंत सिंह के बारां-झालावाड़ एकमात्र सीट तक ही प्रचार तक सिमीत करना एवं बाकी चोबीस सीटों से दूरी बनाये रखने का असर भी देखा जा रहा है। पहले फैज की बारह सीटों में से दो सीटों को छोड़कर बाकी दस पर इण्डिया गठबंधन उम्मीदवार मतदान के बाद अच्छी पोजीशन में बताते हैं। जबकि दूसरे फैज की तेराह सीटों के मतदान के पहले आधी सीटों पर इंडिया गठबंधन उम्मीदवार अच्छी पोजीशन लिये हुये सुन रहे है।
2014 व 2019 में भाजपा ने जिस लहर के चलते अपने गठबंधन साथी के साथ सभी पच्चीस सीटों पर कब्जा जमाया था। उस तरह की लहर इस बार देखने को नहीं मिल रही है। इसके विपरित मतदाताओं में बेरोज़गारी, इलेक्ट्रो बोंड, अग्निवीर योजना सहित किसान आंदोलन व उनकी समस्याओं की चर्चा अधिक नजर आ रही है। इस दफा किसी भाजपा नेता के नाम पर मतदान होने की बजाय भाजपा व इण्डिया गठबंधन उम्मीदवारों की व्यक्तिगत छवि पर चुनाव होता अधिक नजर आ रहा है।
भाजपा के केन्द्रीय मंत्री कैलाश चोधरी, गजेन्द्र सिंह शेखावत, भूपेन्द्र यादव व लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला एवं प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी कड़े संघर्ष में फंसे हुये हैं। जबकि मंत्री अर्जुन मेघवाल सेफ जोन में बताये जा रहे हैं। इसी तरह इण्डिया गठबंधन के साथी दल के उम्मीदवार कामरेड अमरा राम व हनुमान बेनीवाल सेफ जोन में है। जबकि राजकुमार रोत ने भी अच्छी पोजीशन ले रखी है।
इण्डिया गठबंधन उम्मीदवारों के पक्ष में विभिन्न कारणों व चली राजनीतिक हवाओं के चलते किसान प्रवृत्ति की जाट-गुर्जर-मीणा व यादव बिरादरी के साथ साथ दलित व अल्पसंख्यक मतों का बड़ा भाग आने व उनके द्वारा अच्छे प्रतिशत में मतदान करने का फायदा गठबंधन को मिल रहा है। इसके विपरीत भाजपा कोर वोटर्स में से राजपूत मतदाताओं की भाजपा नेता पुर्षोतम रुपाला विवाद के चलते जारी नाराजगी भाजपा को भारी पड़ रही है। भाजपा कोर वोटर्स के मतदान करने के लिये निकलने में उदासीन रहने की सम्भावना जताई जा रही है। भाजपा के पास वसुंधरा राजे जैसी क्षत्रप थी। जो व्यवस्थाओं को ठंड से जमा सकती थी। लेकिन उनको पहले विधानसभा चुनाव में व फिर उसी के हाथ से मुख्यमंत्री के नाम की पर्ची निकलवा कर अपमानित करना भाजपा को नुकसान पहुंचा रहा है।
अब उन्हें लोकसभा चुनाव में किनारे लगाना भी मतदाताओं के मन में आशंका पैदा कर रहा है। इसके विपरीत सचिन पायलट को कांग्रेस द्वारा प्रचार में बड़ी भूमिका में रखने से गठबंधन को फायदा पहुंच रहा है।
कुल मिलाकर यह है कि चुनाव घोषणा के पहले मोदी लहर, राष्ट्रवाद व अन्य अनेक मुद्दों को लेकर लग रहा था कि राजस्थान की सभी पच्चीस सीटों पर भाजपा आसानी से कब्जा कर लेगी। लेकिन ज्यो ज्यो चुनाव प्रचार आगे बढ़ा त्यो त्यो इण्डिया गठबंधन मज़बूत होते हुये भाजपा को कड़ी टक्कर देता नज़र आने लगा।
पहले फैज के मतदान के बाद व दुसरे फैज के मतदान के पहले इण्डिया गठबंधन भाजपा के सामने कड़ी चुनौती देता नज़र आने लगा है। गठबंधन भी बराबर की सीट झटकने की हालत में पहुंच गया है। राजस्थान में भाजपा को चुनाव परिणामों में बड़ा झटका लग सकता है।
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