सड़क हादसे में रोजाना हो रही है गायों की मौत, जिम्मेदार कौन??? | New India Times

राकेश यादव, देवरी/सागर (मप्र), NIT:

सड़क हादसे में रोजाना हो रही है गायों की मौत, जिम्मेदार कौन??? | New India Times

सनातन धर्म के अनुसार देवी देवताओं के रूप में पूजनीय गाय माता को धर्म ग्रंथों और वेद पुराणों में उचित स्थान पर माना गया है। सनातन धर्म में सभी लोग गाय माता की पूजा अर्चना करते हैं। भागवत कथा या अन्य धार्मिक आयोजन मंडलों से एवं विभिन्न हिंदूवादी संगठनों के द्वारा गाय माता की सुरक्षा एवं मान्यताओं के संबंध में बड़ी-बड़ी बातें कहीं जाती हैं लेकिन वास्तविकता कुछ और ही नजर आती है। सही मायने में देखा जाए तो गाय माता एक बेबस और असहाय लावारिस अवस्था में देखी जा रही है। गाय माता की सुरक्षा का दम भरने वाले सिर्फ और सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें ही करते हैं शायद इसीलिए जगह जगह गाय माता कभी भूख प्यास से तड़प कर दम तोड़ देती है तो कभी फोर लाइन सड़कों पर सड़क दुर्घटनाओं में मौत के गाल में समा जाती है। सवाल यह उठता है कि गौ माता की जय बोलने वालों के जयकारों से क्या गाय माता की जय हो रही है। सरकारों के द्वारा भी करोड़ों खर्च कर गौशाला निर्माण कराई गई है क्या उनको शालाओं में गायों की सुरक्षा व्यवस्था और खाने-पीने के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, यदि ऐसा होता तो सड़कों पर आवारा घूमती गायों की सड़क दुर्घटना में मौत ना होती। सागर से नरसिंहपुर हाइवे सड़क पर और सड़क किनारे हर आए दिन 2-4 गायों की मौतें एक्सीडेंट होने के कारण देखने को मिलती हैं। घटना के संबंध में ना तो पुलिस थानों में मामले दर्ज होते हैं और ना ही गायकी मौत के जिम्मेदार सामने आते हैं ना ही किसी को कोई लेना-देना होता है। सही मायने में देखा जाए तो गाय के लिए धार्मिक आयोजनों में और राजनीतिक रोटियां सेकने में ही सिर्फ नाम इस्तेमाल किया जाता है। समाचार लिखने का उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत पहुंचाना नहीं है लेकिन मेरा पेशा सच्चाई दिखाना और सच बोलना है। देखा जाए तो सनातन धर्म के लोग बहुसंख्यक में देखे जाते हैं यदि प्रत्येक सनातन व्यक्ति एक एक गाय माता को अपने घर पालने लगें तो शायद लावारिस हालत में घूमती हुई गायों की अकारण मृत्यु नहीं होगी लेकिन वास्तविकता यही है कि लोग गाय माता को अपने पवित्र शब्दों में तो बयां करते हैं लेकिन घर पर रखने और पालने की जहमत नहीं उठाते। ज्यादातर लोगों का शौक कुत्ते पालने में देखा जा सकता है और कुत्तों के साथ मॉर्निंग वॉक पर भी निकलते हुए आप देख सकते हैं। कुत्तों की भरण-पोषण के लिए लोग हजारों लाखों रुपए रोजाना खर्च कर सकते हैं लेकिन गाय माता को खिलाने के लिए भूसा की व्यवस्था नहीं कर सकते। आज के इस फैशन के दौर में कुत्ते को पालना लोग गर्व महसूस करते हैं और गाय को पालना शर्मिंदगी महसूस करते हैं। बड़े-बड़े साधु संत और महात्मा सहित हिंदुत्ववादी पार्टियों के नेता मंच पर गौ माता के बड़े-बड़े गुणगान करते हैं लेकिन क्या उन्होंने अपने घर पर कभी एक गाय पाली है, यह सवाल वह खुद अपने आप से पूछें तो शायद उनकी असलियत उन्हें खुद ही समझ आ जाएगी की गाय माता के प्रति कितने समर्पित हैं।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

By nit

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading