पूज्य श्री उमेशमुनि जी का साहित्य अब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध, डिजिटल लायब्रेरी व्हाट्सएप के बाद अब फेसबुक पर, मेघनगर की दिशा ने दिखाई नई दिशा | New India Times

रहीम शेरानी हिंदुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:

पूज्य श्री उमेशमुनि जी का साहित्य अब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध, डिजिटल लायब्रेरी व्हाट्सएप के बाद अब फेसबुक पर, मेघनगर की दिशा ने दिखाई नई दिशा | New India Times

जन जन की आस्था के केंद्र जैनाचार्य पूज्य श्री उमेशमुनि जी म.सा. “अणु” के लाखों अनुयायी देश विदेशों में रहते हैं जिनके लिए व जो वीर प्रभु महावीर स्वामी के जीवन के मूल सिद्धांतों से परिचय पाकर आध्यात्मिक जीवन में प्रवेश करना चाहते हैं उनके लिए यह खबर आनन्द प्रदान करने वाली है।

मेघनगर की दिशा पंकज वागरेचा

पूज्य गुरुदेव के आशिर्वाद से जैन साहित्य प्रकाशन में डूंगर मालवा में पहचान बनाने वाली पूज्य श्री नंदाचार्य साहित्य समिति द्वारा प्रकाशित पुस्तकों की डिजिटल लायब्रेरी बनाने का विशिष्ट किया है।
दिशा के अथक परिश्रम से जैनाचार्य पूज्य श्री उमेशमुनिजी म.सा. “अणु” के द्वारा संपादित व रचित जैन साहित्य के साथ पूज्य श्री धर्मदासगण के महान चारित्र आत्माओं के जैन साहित्य को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एक लाइब्रेरी की रूप में तैयार किया है। देश विदेशों में घर बैठे अपने मोबाइल पर ही गुरुदेव का अनमोल विशिष्ट साहित्य को पढ़कर आध्यात्म की गंगा में गौता लगा सकेंगे।
दिशा की इस आधुनिक युग की नई दिशा के लिए पूज्य श्री नन्दाचार्य साहित्य समिति के अध्यक्ष प्रवीण रुनवाल (झाबुआ), महामंत्री हेमंत चौपड़ा (खवासा), कोषाध्यक्ष देवेंद्र पोरवाल (मेघनगर), उपाध्यक्ष रवि सुराणा (मेघनगर), प्रकाश बुपक्या (खाचरौद), जितेंद्र घोड़ावत (थांदला) व देवेंद्र गादिया (इन्दौर), धर्मदास गण परिषद अध्यक्ष विनीत वागरेचा (दाहोद), पूज्य श्री धर्मदास जैन स्वाध्यायी संघ अध्यक्ष भरत भंसाली, युवा गण परिषद अध्यक्ष नीरज मूणत (पेटलावद), आईजा प्रदेशाध्यक्ष पवन नाहर, अणु मित्र मंडल के सुमित चौपड़ा, केतन रुनवाल आदि ने शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए उनके अथक परिश्रम के लिये धन्यवाद दिया है। आपको बता दें दिशा प्रसिद्ध समाजसेवी हँसमुखलाल वागरेचा व तप चक्रेश्वरी स्नेहलता वागरेचा की पौती हैं व उनकी माता सपना वागरेचा थांदला उद्योगपति मोहनलाल वागरेचा की सुपुत्री हैं।

दिशा द्वारा पुर्व में डिजिटल लायब्रेरी व्हाट्सएप पर ही उपलब्ध थी लेकिन लिंक में कन्वर्ट होने से अब आध्यात्म रसिक इसे प्ले स्टोर से डाउनलोड कर अथवा फेसबुक के जरिये भी पढ़ सकेंगे।


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