रंगोली के माधयम से हमारा लक्ष्य अंतिम बच्चे तक पहुंचना और उनकी चिंताओं और सिफारिशों को सामने लाना है ताकि वे उन चुनौतियों का सामना कर सकें: श्रीप्रकाश सिंह निमराजे | New India Times

संदीप शुक्ला, ब्यूरो चीफ, ग्वालियर (मप्र), NIT:

रंगोली के माधयम से हमारा लक्ष्य अंतिम बच्चे तक पहुंचना और उनकी चिंताओं और सिफारिशों को सामने लाना है ताकि वे उन चुनौतियों का सामना कर सकें: श्रीप्रकाश सिंह निमराजे | New India Times

विश्व स्तनपान दिवस सप्ताह अंतगर्त गोपाल किरन समाजसेवी संस्था ने एक कार्यक्रम बेठक आयोजित की गई जिसमें जिला बाल अधिकार फोरम ,चार्ट कम्युनिटी हेल्थ ग्रुप भी को भी समावेश किया गया यह कुलदीप क्लासेस थाटीपुर,ग्वालियर संयुक्त रही। जिसकी अध्यक्षता कु. शुभ्रा घोष (से.नि.विभागाध्यक्ष सिंधिया स्कूल)
ने की। इस विशेष अवसर को यादगार बनाने के लिए रंगोली भी तैयार की गई जिसके माधयम इसके महत्व व बचचों की सुरक्षा ओर उनके विकास पर जोर दिया गया। डॉ. मोतीलाल यादव ने अपनी बात रखते हुए उनको ब्रेस्ट फीडिग के महत्व को महत्व को समझाया जाकर स्तनपान से जुड़ी अहम जानकारी दी ब्रेस्ट फीडिग बच्चे के सतत विकास मे सहायक है। यह शिशु के मानसिक एवं शारीरिक विकास मे बेहतर कारगर है। जहाँआरा (जिला आशा प्रशिक्षक, राष्ट्रीय नेशनल हेल्थ मिशन ने अपनी बात रखते हुए कहा कि मां का दूध बच्चो के लिए अमृत समान है। इससे माँ के साथ बच्चे का का भावनात्मक रिश्ता गहरा होता है। प्रसूता महिला एवं उनके साथ सहयोगी माताओ को सुरक्षा की दृष्टि से बच्चों को गर्म रखने की सलाह दी एवं साफ सफाई के विषय मैं तथा गभवर्ती माताओं को उनके साथ आये परिवार के महिला सदस्य सास, जेठानी, ननद, देवरानी एवं भाभी को प्रसव उपरांत माँ का प्रथम दूध पिलाने की सलाह दी गई कि अपने आसपास के क्षेत्रों के माताओं को दुग्धपान कराने के लिए जागरूक करने की सलाह दी गई।
चिंता व्यक्त कर अपनी बात रखी कि कोरोना की वजह से मार्च 2019 मै लोक डाउन किया गया, तब से लगभग पूरे समय प्राथमिक स्कूल बंद है, हालांकि प्राथमिक स्कूल को आवश्यक सेवाओं (एसेंशियल सर्विस) की श्रेणी मैं आना चाहिये।भारत मैं स्कूल बन्दी का दूसरा साल शुरू हो रहा है। जिन राज्यो मैं स्कूल खोले जा रहे है वहा ज्यादातर 9-12 क क्षाओ पर जोर दिया जा रहा है। प्राथमिक स्कूल पर ढीलाई अभी भी जारी है। स्कूल बंद होने से लडकिया का लड़को से छोटे बच्चो का बड़े बच्चो से ओर गरीब बच्चो का सक्षम बच्चो से ज्यादा नुकसान हो रहा था। शिक्षा केवल पठन लिखना ओर गिनती ही नही ,बच्चे स्कूल मैं अन्य बाते भी सीखते है। कुछ बच्चो के लिए घर के तनाव ओर हिंसा से छुटकारा प्रदान करता है।

जिला चिकित्सालय एवं प्राथ मिक स्वास्थय केंद्र के स्तर के मुद्दों को विस्तार से बात कर उनकी पह्चान कर संभावना की रणनीति पर बात हुई। तीसरी लहर आने की सभावंना व्यक्त की जा रही है अभी तक जो व्यवस्था होनी चाहिये वह नही हो पाये है। जिला चिकत्सालय मैं आक्सीजन गेस सिलेंडर की स्थापना नही हो पाई है ओर तो बेड से बेड तक की सप्लाई का कार्य, प्लास्टर रूम, अल्ट्रासाउंड समय न होना ओर तो ओर चिकित्सको के अपने रूम पर समय तक नही मिलना। आने की लेट लतीफी बनी हुई है जिससे दूर से आने वाले मरीज भटकते रहते है। इस सन्दर्भ मैं एक पत्र कलेक्टर को प्रस्तुत किया है।

श्रीप्रकाश सिंह निमराजे (अध्यक्ष) गोपाल किरन समाजसेवी संस्था ने कहा कि हमारा लक्ष्य अंतिम बच्चे तक पहुंचना और उनकी चिंताओं और सिफारिशों को सामने लाना है ताकि वे उन चुनौतियों का सामना कर सकें, जिनका वे स्कूलों को बंद करने के साथ सामना कर रहे हैं तथा कोरोना से बचाव व सुरक्षा हेतु लोगों को जागरूक किया, साथ ही साथ मास्क एवं सेनेटाइजर के उपयोग पर बात करते हुए बताया कि संस्था समाज से सरोकार और विकास पर अलग-अलग तरह के जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित करती रहती है। इस अवसर पर 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों एवं उनकी माताओं को मास्क, सेनेटाइजर वितरण कर, इसका हमेशा इस्तेमाल, हाथों को सही तरीके से साफ रखने इत्यादि की सलाह भी दी।
उन्होंने बताया कि समूचे विश्व के साथ हमारा देश भी कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है। इससे बचने के लिए हमें चाहिए कि हम लोग अपने आपको को जागरूक करें और अफवाहों पर ध्यान न दें। फिलहाल इस बीमारी को यही कह सकते हैं कि जानकारी ही बचाव है। जहाँआरा जी ने वेक्सीन की उपयोगिता पर अपनी बात रखी।
आकंक्षा वरुण ने बताया कि जहाँ एक ओर पूरे देश में कोरोना महामारी की वजह से लॉक डाउन और दूसरी लहर में मौत का आतंक था तो सरकार ने कोरोना कर्फ्यू के माध्यम से लोगों को घरों में सुरक्षित रहने की सलाह दी है। लोग कोरोना वायरस के भय से अपने घर में सुरक्षित महसूस कर रहे हैं, वही दूसरी ओर गोपाल किरन समाजसेवी संस्था के अध्यक्ष श्रीप्रकाश सिंह निमराजे ,जी उस दौर में जब समाज में इतना खुलापन नहीं था और लड़कियों के लिए गृहस्थी ही श्रेयस्कर मानी जाती थी, श्रीप्रकाश सिंह निमराजे ने समाज मे की कठिन और अनगिनत चुनौतियों से भरी सेवा कार्य को अपना करियर बनाने का साहसिक निर्णय लिया।
श्रीप्रकाश सिंह निमराजे जी ने अपनी सूझबूझ और गहरी समझ के साथ सामाजिक क्षेत्र में अपना एक अलग स्थान बनाया। चुनौतीपूर्ण परिस्थितियो आवर बेहद जोखिम पर रहते हुए भी उन्होंने कभी भी कोई छूट नहीं ली। जिस भी हालत में किसी उन्हें ज़िम्मेदारी सौंपी गई, उसे उन्होंने बड़ी निष्ठा और तत्परता से निभाया।उनकी कार्यशैली का हर कोई मुरीद हो गया था। क्षेत्र में निडरता पूर्वक कार्य करने के लिए श्रीप्रकाश सिंह निमराजे जी को कड़े कदम उठाए जाने के लिए करते हैं। सड़कों और रेलवे प्लेटफार्म पर घूमते बेसहारा बच्चों को आसरा देने के लिए भी जानी जाती हैं। ऐसे बच्चों को स्वावलम्बी बनाने की दिशा में उनकी पहल ने उन्हें दुनिया में खास स्थान दिलाया। जिनकी पढ़ाई से लेकर समुचित प्रशिक्षण और स्वरोजगार दिलवाने तक का काम बख़ूबी किया जा रहा है। समुदाय की यथा संभव सहायता कर रहे हैं, फिर चाहे गरीब निर्धन लोगों को भोजन वितरण हो, सूखा राशन वितरण कार्य, कोरोना सर्वे, संभावित मरीजों की पहचान, मास्क वितरण , कोरोना पॉजिटिव परिवार की काउंसलिग कर मनोबल बढ़ाना, मास्क पहनने का सही तरीका सिखाना, फिजिकल दूरी बनाये रखना, समुदाय को कोविड़-19 की गाइडलाइन के नियमो का पालन करने की सलाह देकर और कोरोना हेल्पलाइन लाइन चालू कर जागरूक कर ज्यादा से ज्यादा कोरोना वेक्सीन लगवाकर जागरूकता अभियान भी चला रही है। वह बहुत ही सरल हृदय है। संस्था भी दूसरों के सहयोग के लिए सदैव तैयार रहते है। वह कभी किसी दुःखी व्यक्ति के आंसू नहीं देख पाती और हर व्यक्ति की सहायता हेतु हमेशा तैयार रहते है। उनके सेवा के इस जज्बे को हमारा सलाम है।अनेक प्रयोग और प्रयास किए। समय उनके पीछे ऐसी कोई ठोस विरासत नहीं थी और न ही कोई ठोस मॉडल उनके सामने था उन्होंने अपने स्तर पर ही खड़े करने की कोशिस की है। उन्होंने जो समाज भी समस्याएँ देखी उनको हल करने की दिशा मैं थीं शुरूआत कर दी थी। उसमें सभी वर्ग के लोग आते हैं, नारी भी आती हैं। ये सभी विषय आगे चलकर बड़े विमर्श बने।ऐसे साथी से समाज के लोग सीख ले रहे है और इस महामारी और विकास कार्यो मैं लगे है और लगे होकर सहयोग निर्वात गति से गति से कर रहे हैं। मानव सेवा से बडा कोई पुण्य का कार्य नही है। सेवा का जो अवसर आपको मिला है वह हर किसी को नही मिल सकता। कभी भी मन से की गई सेवा व्यर्थ नहीं जाती है, आपकी सेवा का ही प्रतिफल है कि हम अपने प्रयासों मैं लगे हुये है।
हमारे देश मैं जो रंगोली की प्राचीन परमम्परा रही वह आधुनिक समय मैं अपना वेभव खोती जा रही उसको जानेंगे। रगो के माध्यम से हम अपने विचार बेहतर तरीके से रख पाते है।

रंगोली कार्यक्रम में विभिन्न रंगों का उपयोग कर स्लोगन का उपयोग किया गया, जिससे प्रमुख नारे रंगोली के साथ देखो मगर प्यार से… कोरोना डरता है वेक्सीन की मार से, दो गज दूरी मास्क है जरूरी, हंस मत पगली प्यार हो जाएगा टीका लगवा ले, कोरोना हार जाएगा, स्टे होम, का उपयोग किया गया जिसको लोगों ने बहुत सराहा है। ऎश्वर्या वरुण जी ने एक अच्छी रंगोली कम समय में कैसे तैयार की जा सकती है उसके बारे में था। रंगोली के बनाने के अनुभव को शेयर कर समुदाय को अपना सन्देश दिया। रंगोली को काफी लोगों ने देखा और सराहा। इस अवसर पर कुलदीप सिंह, जहाँआरा, लक्ष्मी सिंह, डॉ. मोतीलाल यादव,पुरुषोत्तम अर्गल, श्री हरी सिंह सोनी जी (प्रभारी अधिकारी कुटुम्ब न्यायालय ) आदि ने अपने विचार रखे और सक्रिय भागीदारी को बनाये रखा। उन्होंने कहा कि कोरोना अभी गया नहीं है, सावधानी बरतें मास्क लगाएं, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, कोरोना गाइडलाइन का पालन करें, सभी नागरिकों से कोरोना गाइडलाइन का पालन करने का आग्रह किया है।


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By nit

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