कम वोट प्रतिशत के कारण रावेर में कांटे की टक्कर, जलगांव में गठबंधन का पलड़ा भारी | New India Times

नरेंद्र इंगले, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

कम वोट प्रतिशत के कारण रावेर में कांटे की टक्कर, जलगांव में गठबंधन का पलड़ा भारी | New India Times

23 अप्रैल को लोकसभा के आम चुनावों के लिए जलगांव जिले की दो लोकसभा सीटों पर संपन्न हुए मतदान प्रक्रिया के बाद प्राप्त वोटिंग प्रतिशत के चौंकाने वाले आंकड़ों ने नतीजों को लेकर सभी राजनीतिक पंडितों को दुविधा में डाल दिया है। जलगांव संसदीय सीट के लिए महज 52 फीसदी वोटिंग हुआ। यहां राष्ट्रवादी महागठबंधन के श्री गुलाबराव देवकर का सीधा मुकाबला भाजपा के श्री उन्मेष पाटील से है। जलगांव सिटी, ग्रामीण व, एरंडोल, पाचोरा, चालिसगांव, अमलनेर इन सभी विधानसभाओं में भाजपा शिवसेना के विधायक हैं सिवाय पारोला के बावजुद इसके ग्रामीण इलाकों में गुलाबराव देवकर का पलड़ा काफी भारी नजर आ रहा है, वहीं रावेर संसदीय सीट से दूसरी बार भाजपा के टिकट पर भाग्य आजमा रही पूर्व मंत्री श्री एकनाथ खडसे की बहु श्रीमती रक्षा खडसे के समक्ष कांग्रेस महागठबंधन के डाॅ श्री उल्हास पाटील ने कडी चुनौती पेश की है। यहां भी जामनेर, भुसावल, रावेर, चोपडा, मुक्ताईनगर, मलकापुर इन सभी सीटों पर भाजपा शिवसेना के विधायक होने के बावजुद घटा हुआ वोट प्रतिशत और बनते – बिगडते सामाजिक गणित ने कांग्रेस को जीत की आश्वस्तता से सरबोर किया है। इस सीट पर टक्कर कांटे की है। वैसे दोनों सीटों की जीत को लेकर भाजपा के नेतागण शुरु से बड़े अंतर से जीत का दावा करते नहीं थक रहे हैं। विपक्ष के मुताबिक उन्हें भी लग रहा है कि मतदाताओं में परिवर्तन की सुप्त लहर चल पडने के कारण रावेर संसदीय सिट पर महागठबंधन की जीत होकर रहेगी। जलगांव शहर में जामनेर निवासी भाजपा के कथित कार्यकर्ता को मतदाताओं के बीच पैसा बाँटते रंगेहाथ पकडा गया जिसके बाद विपक्षी तत्वों ने उसकी जमकर धुलाई भी की। वहीं भुसावल में पुलिस ने निजी कार से दो EVM बरामद किए। इस तरह की कुछ घटनाओं के अलावा जिले में मतदान प्रक्रिया शांतिपुर्ण तरीके से संपन्न हुयी है। सभी EVM को कडी सुरक्षा के बीच जलगांव में रखा गया है। 23 मई को नतीजे आने हैं लेकिन अगर सब कुछ ठीक रहा यानी VVPAT पर्ची मिलान कि संभावना सच हुई तो शायद इन सटीक नतीजों को अंतिम रुप में आने में जरा देर भी हो सकती है। वहीं पर्ची मिलान को लेकर चल रही कानूनी गतिविधियों के दौरान आम मतदाताओं में चुनावी पारदर्शिता को लेकर इस उम्मीद के साथ यह मांग उठायी जा रही है कि पर्ची मिलान का प्रावधान अवश्य होना ही चाहिए।


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