नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

सात मई को कुल 11 सीटों पर मतदान होगा जिसमें पश्चिम महाराष्ट्र की माढ़ा, सांगली, सातारा, हातकणगले, कोल्हापुर, सोलापुर, बारामती यह सात साटे शामिल है। इन सीटों का जुगाड़ बिठाने के लिए देवेंद्र फडणवीस के वफादार साथी गिरीश महाजन ने विजयसिंह मोहिते परिवार को बगावत करने से रोकने की कोशिश की। धैर्यशील मोहिते ने NCP (SP) का टिकट लेकर मिडिया प्रणीत संकट मोचक और भाजपा को खुली चुनौती दे डाली। भाजपा नेतृत्व के अति आत्मविश्वास और जमीनी तथ्यों की जानकारी के अभाव के कारण पश्चिम महाराष्ट्र की इन सातों सीटों पर इंडिया गठबंधन को जीत की गारंटी मिल चुकी है।

नासिक में महाजन की रैपिड फायर बैठकों के बाद शिवसेना (एकनाथ शिंदे) के हेमंत गोडसे को NDA का प्रत्याशी घोषित करना पड़ा। नासिक सीट पर NDA के पास अन्य कोई मज़बूत प्रत्याशी नहीं था। निर्दलीय प्रत्याशी शांतिगिरी महाराज के साथ महाजन द्वारा की गई सारी शांतिवार्ता विफल रही। विजय करंजकर, अनिल जाधव की नामांकन वापसी के बाद नासिक सीट से तीन प्रमुख प्रत्याशी मैदान में हैं। यहां शिवसेना (UBT) के राजाभाऊ वाजे और निर्दलीय शांतिगिरी महाराज के बीच टक्कर होगी गोडसे तीसरे नंबर पर रहेंगे। New India Time’s ने कुछ महीने पहले त्र्यंबकेश्वर से चार न्यूज़ रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें 2015 कुंभ के प्रबंधन में वित्तीय घोटाले की ओर इशारा किया था।
त्र्यंबकराज में साधुओं के जितने भी मठ और आखाड़े हैं उनकी मरम्मत और सुविधाओं के नाम पर सरकार का 800 करोड़ का निधि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है। इसी त्र्यंबक नगरी में शांतिगिरी महाराज का मठ है, महाराज का नासिक में तीन लाख से अधिक वोटरों पर प्रभाव है। क्या शांतिगिरी महाराज के नामांकन को भाजपा के लिए कुंभ के कुप्रबंधन के जवाब के तौर पर देखा जा सकता है? कुंभ का नियोजन नासिक के तत्कालीन संरक्षक मंत्री गिरीश महाजन के नियंत्रण में किया गया था। कुंभ के बाद त्रिमूर्ति चौक, नए नासिक में किस किस का किस किस्म से विकास हुआ यह अलग से पड़ताल का विषय है।
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