फतेहपुर विधानसभा से कामरेड आबिद खान व जरीना खान साबित हो रहे हैं मजबूत उम्मीदवार | New India Times

अशफाक कायमखानी, फतेहपुर/सीकर (राजस्थान), NIT:

फतेहपुर विधानसभा से कामरेड आबिद खान व जरीना खान साबित हो रहे हैं मजबूत उम्मीदवार | New India Timesराजस्थान के शेखावाटी जनपद से फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र से एसएफआई के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे एवं माकपा के मजबूत संघर्षी नेता आबिद अली व क्षेत्र की तेज तर्रार आला तालिम याफ्ता बेसवा सरपंच जरीना खान ने माकपा व बसपा से उम्मीदवार बनकर क्षेत्र में चुनाव प्रचार शुरु करके आम मतदाताओं को अपनी तरफ काफी हद तक आकर्षित करके मजबूत उम्मीदवार के तौर पर उभर रहे है।
क्षेत्र के गारिण्डा गावं निवासी माकपा उम्मीदवार आबीद अली खान का वैसे तो साल के सभी 365 दिन जनहित मे विभिन्न मुद्दों पर संघर्ष करने का इतिहास रहा है। लेकिन इससे ऊपर उठकर देखे तो वो काफी जनधार वाले नेता के तौर पर पहचान रखते है। इनकी पत्नी ने जिला परिषद सदस्य का चुनाव कांग्रेस व भाजपा उम्मीदवारो को भारी मतो के अंतर से हराते हुये चुनाव जीतकर एक रिकॉर्ड इन्ही चुनावों मे कायम करने के बाद आबीद अली के पीछे मुड़कर कभी नही देखने का ही परीणाम है कि वो फतेहपुर क्षेत्र के खासे मकबूल लीडर के तोर पर पहचाने जाते है।
फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र ही नही बल्कि सीकर जिले के मुस्लिम समुदाय के इतिहास मे अब तक के एक मात्र इस स्तर के हाल ही मे भारतीय पुलिस सेवा मे पद्दोनत अधिकारी अरशद अली खां की पत्नी व क्षेत्र के सबसे बडे गावं पंचायत बेसवा की सरपंच जरीना खान ने भी एक बडी सभा करके शीर्ष नेताओं की मोजुदगी मे बसपा उम्मीदवार बनकर जीस तरह से चुनाव प्रचार शूरु किया है। उससे राजनीतिक हलको मे एक नई हलचल पैदा करदी है। दूसरी तरफ नजर डाले तो पाते है कि भाजपा व कांग्रेस के उम्मीदवार अभी तक घोषित ही नही हुये है एवंं माकपा के कामरेड आबीद खान व बसपा की जरीना खान ने चुनाव प्रचार शुरु करके अब तक काफी हद तक मतदाताओं से सीधा सम्पर्क साध लिया है।
फतेहपुर के चुनावी इतिहास पर नजर डाले तो 1980 का विधानसभा सभा चुनाव अनेक मामलो मे काफी दिलचस्प रहा था। जनता पार्टी के तत्तकालीन विधायक आलम अली खां ने जनता पार्टी की तरफ से चुनाव लड़ा तो कांग्रेस ने फारूक कूरेशी को उम्मीदवार बनाया एवं यासीन खां निर्दलीय तौर पर चुनाव मैदान मे आ धमके ओर माकपा की तरफ से कामरेड त्रिलोक सिंह ने चुनाव लड़ा था। चुनाव परीणाम आने पर कामरेड त्रिलोक सिंह विधायक बने ओर कांग्रेस के फारुक कुरेशी व जपा के आलम अली खा जैसे उम्मीदवारो को बूरी तरह हार का मुंह देखना पड़ा था।
कुल मिलाकर यह है कि मतदाताओं पर मजबूत पकड़ रखने वाले माकपा उम्मीदवार कामरेड आबीद अली खान व बसपा उम्मीदवार जरीना खान के चुनाव मैदान मे आने के बाद कांग्रेस व भाजपा मे उम्मीदवारो को लेकर फिर से गहन मंथन होने लगा बताते है कि कभी 1980 का चुनाव साबीत ना हो जाये। भाजपा इस चुनाव को 1993 का चुनाव बनाकर अपनी जीत पक्की बनाकर चलना चाहती है।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading