मोरदिया व नारायणसिंह के लिये अलार्म की आवाज बना वामपंथ, राजस्थान के सीकर में वामपंथियों के बढते कदम | New India Times

अशफाक कायमखानी, जयपुर ( राजस्थान ), NIT; ​मोरदिया व नारायणसिंह के लिये अलार्म की आवाज बना वामपंथ, राजस्थान के सीकर में वामपंथियों के बढते कदम | New India Timesराजस्थान प्रदेश कांग्रेस के पुर्व प्रदेश अध्यक्ष चौधरी नारायणसिंह व पुर्व कार्यकारी अध्यक्ष परशुराम मोरदिया के अगले विधानसभा चुनावों में भाजपा सरकार की प्रदेश में फिर से लौटने की सम्भावनाओं के क्षीण होने के बावजूद भाजपा सरकार ने बिजली दरों में बेतहाशा बढोतरी करके जिले के वामपंथियों के हाथ किसानों के हित का वो मुद्दा फिर से थमाकर उन्हें ताकत बख्श दी है जिस मुद्दे को लेकर जिले में नब्बे के दशक के आस पास लालझंडे के बीज अंकुरित होकर पंचायत सरपंच के रुप में दिखने के बाद विधानसभा में फूल की तरह खिलने लगे थे।​
मोरदिया व नारायणसिंह के लिये अलार्म की आवाज बना वामपंथ, राजस्थान के सीकर में वामपंथियों के बढते कदम | New India Timesसीकर की कृषि उपज मंडी में इसी दो फरवरी को माकपा नेता पुर्व विधायक अमराराम ने सियासी समीक्षकों के आंकलन से कई गुना अधिक किसानों की भीड़ जुटाकर सभा करके फिर सीकर कलेक्ट्रेट पर कुछ घंटों डेरा डालकर अपने कार्यकर्ताओं के नसों में दौड़ रहे खून में नया संचार पैदा करके उन्हें फिर से हर एक कुएं वाले किसान तक पहुंच कर बढी दरों वाले बिल किसी भी सुरत में जमा नहीं कराने का संदेश दे देकर भेजने का अर्थ यह लगाया जाता है कि वामपंथी अब फिर से अपने अजमाये हुये मुद्दे को उभार उभार कर अपने परम्परागत मतो को फिर से सहजने की भरपूर कोशिशें करेंगे। हालाकि कांग्रेस के पुर्व कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष परशुराम मोरदीया पिछले 15 सालों से अगले चुनाव आने तक विधान सभा से बाहर होने का समय गुजार चुके होंगे, वहीं चौधरी नारायणसिंह इससे पिछला चुनाव अमराराम के हाथों हारने के बाद अभी मात्र पांच सौ मतों से चुनाव जीतकर विधायक बने हुये हैं। इन नेताओं की कार्यशेली में भी काफी अंतर देखा जाता है कि मोरदीया व नारायणसिंह चमचमाती महंगी कार व कारों के काफिले के सफेदझग कपड़ों के साथ क्षेत्र का दौरा व मतदाताओं से सम्पर्क करते आ रहे हैं। वहीं अमराराम अपनी पुरानी स्टाइल में बीड़ी की चिनगारी से जले साधारण कुर्ता पायजामा व काली जेकेट पहनै पुरानी जीप में अक्सर अकेले क्षेत्र में घुमते दिखाई देते हैं। वैसे धोद में पेमाराम की स्थिती भी अमराराम जैसी ही है लेकिन उनको जो वोट मिलते हैं वो अमराराम की छवि के अनुसार ही मिलते बताते हैं।

हालांकि सालों तक सत्ता का सुख भोगने के कारण कांगेस नेता व वर्कर की आदत में उजले कपड़े पहने एवं धरने प्रदर्शन में दरी पर बैठने व शानदार गद्दे लगे मंच से भाषण देने की आदत में शुमार हो चला है वहीं वामपंथी साधारण से कपड़े पहने बिना दरी के सड़क पर बैठकर धरना प्रदर्शन करने से कभी चूकते नहीं हैं। यह अक्सर ट्रेक्टर-ट्रोली व जीप को मंच बनाकर भाषण देते देखे जा सकते हैं। हां यह भी सही है कि इनके वोटबैंक में आपसी काफी अंतर है लेकिन जिले में हारजीत का फैसला किसान ही करता आ रहा है।​मोरदिया व नारायणसिंह के लिये अलार्म की आवाज बना वामपंथ, राजस्थान के सीकर में वामपंथियों के बढते कदम | New India Timesकुल मिलाकर यह है कि सीकर में वामपंथियों के दो फरवरी को दांतारामगढ व धोद से किसानों की भारी भीड़ के साथ जिले भर के किसानों का प्रदर्शन करने से सियासी गलियारों में अलग तरह की सुगबुगाहट होने लगी है। वामपंथ पर नजर रखने वाले बताते हैं कि सीकर में वामपंथी अब बिजली दरों की बढोतरी का मुद्दा किसी भी सुरत में मरने नहीं देंगे। वो अब हर एक कुएं तक काम करते हुये उनको इस मुद्दे पर अपने साथ जोड़कर रखेंगे ताकि अगले चुनावों में कुछ पाया जा सके।


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