गुनाहों से तौबा और मुल्क में अमन-चैन की मांगी गई दुआ, शबे कद्र की रात में पूरी रात बच्चों, बुजुर्गों एवं जवानों ने गुजारी इबादतों के साथ | New India Times

रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:

गुनाहों से तौबा और मुल्क में अमन-चैन की मांगी गई दुआ, शबे कद्र की रात में पूरी रात बच्चों, बुजुर्गों एवं जवानों ने गुजारी इबादतों के साथ | New India Times

मुस्लिम धर्मावलंबियों ने  झाबुआ व मेघनगर की मस्जिदों में रमज़ान के आखरी जुमे की नमाज से पहले अलविदा का खुतबा सुना। ओर रात्री में जागरण कर इबादत की नमाज के पहले हाफ़िज़ मोहसिन पटेल साहब ने मरकज़ मस्जिद में तकरीर में कहा रमजान का महीना इबादत का पैगाम देता है। प्यारे रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) उनकी हम गुनहगार उम्मत के लिए अल्लाह से दुआ करते हैं और हर उम्मीद पूरी कर हमारी मुश्किलों को हल करते हैं। जुमातुलविदा का यह मुबारक दिन दुआओं की मकबुलियत का दिन है। सभी लोगों को सिर्फ रमजान- उल- मुबारक को अलविदा कहना है न की नमाज को। जिस तरह रमजान-उल-मुबारक के दौरान लोग खुदा की इबादत करने के साथ ही नमाज अदा करते थे। उसे जारी रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जो शख्स अपने माल का जकात निकालता है। उसका माल पाक व साफ हो जाता है। साथ ही उसके माल में बरकत होती है। उन्होंने कहा कि जो रोजेदार सदका-ए- फितर अदा नहीं करता है। उसका रोजा आसमान व जमीन के बीच लटका रहता है। उसका रोजा खुदा की राह में कबूल नहीं होती है।

ईद का त्योहार साल में एक बार आता है। इसलिए हर मुसलमान को अपने व अपने रिश्तेदारों के अलावा शहरवासी, मुल्क में अमन शांति आदि के लिए दुआ करना चाहिए। हाफ़िज़ रिजवान साहब ने कहा की जो शख्स अपने माल का जकात निकालता है। उसका माल पाक व साफ हो जाता है। साथ ही उसके माल में बरकत होती है। उन्होंने कहा कि जो रोजेदार सदका-ए- फितर अदा नहीं करता है। उसका रोजा आसमान व जमीन के बीच लटका रहता है। उसका रोजा खुदा की राह में कबूल नहीं होती है। ईद का त्योहार साल में एक बार आता है। इसलिए हर मुसलमान को अपने व अपने रिश्तेदारों के अलावे शहरवासी, मुल्क में अमन शांति आदि के लिए दुआ करना चाहिए।

आखरी जुमे में उमड़ी नमाजियों की भीड़

शुक्रवार को माहे रमज़ान का आखिरी जुमा (जुमात उलविदा) हुआ। पवित्र माह के आखिरी जुमे में जगह-जगह से बड़ी संख्या में लोग यहां की जामा मस्जिद में नमाज अदा करने पहुंचे। रमजान के आखिरी जुमे का खास महत्व होता है। इस दिन सालभर के दौरान छूटी नमाज (कयाजे उमरी) को भी पढ़कर समाजजन ने धर्म कमाया। नमाज-ए- अलविदा जुमा को लेकर मुस्लिम मोहल्लों में सुबह से ही चहल-पहल देखी गई। खास कर बच्चों में विशेष उत्साह देखा गया।

शबेक़द्र को रमजान के अख़ीर अशरे की ताक रातों में तलाश किया करो

हजरत आइशा रजियल्लाहु तआला अन्हा नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से नकल फ़र्माती हैं कि लैलतुल क़द्र को रमजान के अख़ीर अशरे’ की ताक रातों में तलाश किया करो। जम्हूर उलमा के नजदीक अख़ीर अशरा इक्कीसवीं रात से शुरू होता है। आम है महीना 29 का हो या 30 का, इस हिसाब से हदीसे बाला के मुताबिक शबे क़द्र की तलाश 21, 23, 25, 27, 29 की रातों में करना चाहिए।

फजीलत: हज़रत अय्युब अलैहिस्सलाम,हज़रत जकरिया अलै. युसैअ अलै., हज़रत हिज़्किल अलै., ने 80 बरस तक उस खुदा की याद से गाफिल नहीं हुए इस उम्मते मोहम्मदिया पर अल्लाह ने रहम फरमाकर शबे कदर जैसी रात अता फ़रमाई जिसके मिलने का सवाब 833 बरस चार माह कामिल दिन  इबादतों के साथ गुजार दिए हो।

मुफ़्ती अशफाक मेघनगर (झाबुआ) एवं जिला उज्जैन

पूरी रात इबादतों के साथ मांगी गई दुआ

शहर की सभी बच्चे जवान बूढ़े हज़रात ने मस्ज़िदों में पूरी रात इबादतें की साथ साथ घर पर ख़्वातिनो ने भी अपने अपने घरों में इबादतें की नमाजें सलातुंन तस्बीह, नमाजे कजाये उमरी, नमाजे तहज्जुद पढ़ी, कुरान शरीफ की तिलावत की व इसी तरह सभी ने अपनी अपनी इबादत की व गुजिस्ता रात ईशा में तरावीह की नामाज़ के बाद जिसमें खत्मे कुरान के बाद मुल्क में अमन चैन की दुआ मांगी गई।

ईद की नमाज का हुआ मशविरा ईद की नामाज़ ईदगाह पर पौने 8 बजे होगी

इस दौरान नगर की सभी मस्जिदों में ऐलान किया गया कि ईद की नमाज़ ईदगाह में अदा की जाएगी। इसके लिए सुबह पौने 8 बजे का समय तय किया गया है। इस समय से पहले ही सभी समाजजनों को ईदगाह में पहुंचने की अपील की गई है, ताकि तय समय पर नमाज़ अदा की जा सके।


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By nit

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