हजारों कायमखानी महिलाओं ने कुरीतियों के खिलाफ की ऐतिहासिक सम्मेलन, 600 वर्षों में हुआ यह पहला कायमखानी महिला सम्मेलन | New India Times

अशफाक कायमखानी, सीकर (राजस्थान), NIT; ​हजारों कायमखानी महिलाओं ने कुरीतियों के खिलाफ की ऐतिहासिक सम्मेलन, 600 वर्षों में हुआ यह पहला कायमखानी महिला सम्मेलन | New India Timesइतिहास अनुसार लगभग 600 साल पहले मोटेराव चौहान (राजपूत) के पुत्रों द्वारा इस्लाम धर्म अपनाने के बाद उनके वंशजों को कायमखानी बिरादरी के नाम से पहचान जाता है। कायमखानी पुरुष तो समय समय पर किसी ना किसी रुप मे अक्सर एक जगह जमा होकर सम्मेलन/कांफ्रेस करते रहे हैं, लेकिन समाज मे जारी कड़ी पर्दा प्रथा के कारण इतिहास मे एक भी दफा इस तरह से महिलाओ का एक जगह हजारों की तादात में सम्मेलन करने के बहाने एक जगह जमा होकर समाज हित में चिंतन-मंथन करके कड़े फैसले लेकर समाज को अनुकूल दिशा में मोड़ कर नई राह दिखाने का कायमखानी समाज के 600 साल के इतिहास मे भींचरी महिला सम्मेलन पहला उदाहरण है। जिसमें समाज की बूजुर्ग-जवान व छात्राओं सहित हर उम्र की हर फिल्ड की माहिरीन व घरेलू महिलाओं ने एक साथ जमा होकर उचित निर्णय लेकर समाजी पुरुषों के सामने भी एक लम्बी लकीर खींचकर एवं उनके जेहन में उबाल खाते उच्च स्तर के सपनों की तरफ इशारा करके उन्हें अब सोचने पर मजबूर कर दिया है।

 राजस्थान के शेखावाटी जनपद के फतेहपुर शेखावाटी के भींचरी गावं में कायमखानी समाज की हजारों बेटियों ने बडे ही अनुशासित तरिके से सामाजिक मुद्दो एवं दिमक की तरह समाज को चाट रही विभिन्न तरह की फिजुल खर्च वाले रीतिरिवाजों से किनारा करने का निर्णय लेकर उस बचत का समाज में आला मयारी तालिमी माहौल बनाने में उपयोग कर उस तालिमी रोशनी से आज समाज में कायम व्यापक अंधेरे को दूर भगाकर हर परीवार का जीवन प्रकाशमय व सुखद बनाने की तरफ कदम बढाने का निर्णय लेते हुये उपस्थित सभी महिलाओं ने एक स्वर में दहेज-सगाई-शादी व व अन्य रस्मों में होने वाली फिजूल खर्च के खिलाफ अनेक कड़े फैसले लेकर पुरे समाज में एक नई दिशा देते हुये उनकी रगों में ऊर्जा का संचार सरलता के साथ करके सभी को दांतों तले ऊंगली दबाने को मजबूर कर दिया है।

 कायमखानी यूथ ब्रिगेड के सदस्यों द्वारा पिछले कुछ सप्ताहों से सीकर के गावं-गावं, ढाणी-ढाणी दस्तक देकर भींचरी गावं मे 20-अगस्त को हाजन खातून बानो की अध्यक्षता में आयोजीत हुये कायमखानी महिला सम्मेलन की सफलता के लिये वो सब प्रयत्न किये जो एक मर्यादित प्रोग्राम के लिये करने की आवश्यक होती है। भीचरी गावं की सरकारी स्कूल के सामने मौजूद विशालकाय खेल मैदान में बने पंडाल में 20-अगस्त को सुबह से ही गावं ढाणियों से कायमखानी बेटियों का बस, कार व जीप एवं अन्य साधनों से रेला के रुप में आना शुरु होने पर ग्यारह बजते बजते पंडाल खचाखच भर जाने पर तय समय पर शुरु हुये कार्यक्रम का सभी तरह का इंतेजाम स्वयं बेटियों द्वारा ही किये जाने से समारोह का पहली दफा कायमखानी समाज में एक नया रुप नजर आने से लगा कि अगर बेटियों को मौका दिया जाये तो वो आसमान से तारे तोड़ लाने के समान अपनी काबलियत से रुबरु कराते हुये नई पीढी को नई राह दिखाने में पुरुषों के मुकाबले किसी भी स्तर पर कम नहीं आंकी जा सकती हैं।

समारोह में मौजूद हजारों बेटियों को सम्बोधित करते हुये जाबासर गावं की लाडली मुख्य वक्ता न्यायिक अधिकारी तसनीम खान ने मौजूदा हालात व दहेज-सगाई-शादी व मृत्यूभोज के नाम पर फिजूल खर्ची सहित अन्य अनेक समाजी कुरीतियों से बरबाद होते परिवारों के फलस्वरुप हर क्षेत्र में समाज के पिछड़ने के हर पहलू पर मीठे बोलों के मार्फत तफ्सीली प्रकाश डालते हुये अपनी हर बात को मौजूद हर बेटी के दिलों में स्थाई रुप से बैठाने में पूरी तरह कामयाब नजर आईं। तसनीम खान ने कहा कि कुरीतियों में होने वाले खर्च को बचाकर समाज की बेटियों की तालीम पर दिल खोलकर खर्च करने की आदत को अपनाने की जरूरत है।इस अपील से वहां मौजूद श्रोताओं के दिलों को गहराई तक छू जाने से लगता है कि अब एक शैक्षणिक नया इंकलाब जरुर आयेगा। वहीं बेसवा सरपंच व सुजानगढ की बेटी जरीना खान ने अपने बोलों को मोतियों की तरह एक एक करके पिरोते हुये अपने सम्बोधन में सामाजीक कुरीतियों व विभिन्न खर्चीली उत्सवों एवं दहेज प्रथा की मार पर एक एक करके स्टीक विश्लेषण करते हुये अपनी स्थानीय भाषा में बोलते हुये मौजूद बेटियों में कम खर्च करके भी बेटियों को हर हाल में पढाने के प्रति जोश भरते हुये उनके जेहन में अच्छा-बूरा व सही-गलत के अंतर को आज के हालात के परिपेक्ष्य में खास तौर से डालने में कामयाब होने से लगता है कि बडी हद तक जरीना उपस्थित बहनों को समझाने में सफलता पाकर उनके दिलों को बुलन्दियां छूने की ललक की ज्वाला जला दी है। उक्त समारोह मे तसनीम खान व जरीना खान के अलावा डा.नीलोफर, नजरान बानो, शबनम बानो, रजीया बानो, सरपंच नसरत बानो, माफीया बानो, पुर्व चेयरमैन महफूज बानो, खतीजा बानो, डा.रुबीना खान, फरजाना बानो, कौसर बानो, उजमा बानो, व पिछले दसवीं बोर्ड परीक्षा में मेरिट में स्थान पाने वाली रुखसार खान ने भी अपने ख्यालातों का खुलकर इजहार करते हुये अपने सामाजिक तरक्की के मकसद को पाने में काफी हद तक सभी सफल नजर आईं। समारोह में हाफिजा शमीम बानो व आलिमा आसीया बानो ने इस्लामी तालीमात व कुरान-ऐ-पाक एवं हदीस की रोशनी में समाज में जारी हर बुराई व गलत रितिरिवाजों को दूर कर समाज का उत्थान करने के लिये डिटेल में समझाते हुये तालीम की अहमीयत को बडे अच्छे ढंग से अवाम के सामने पेश किया। समारोह का संचालन व्यख्याता शकूरन बानो ने किया। साथ ही करीब 137 प्रतिभाओं को विभिन्न क्षेत्र में उत्क्रष्ट कार्य करने के लिये सम्मानित भी किया गया।

महिलाओं के रुप मे वक्ता व श्रोता मौजूद रहने वाले इस सम्मेलन में दहेज, फिजूल खर्ची व शिक्षा पर तफ्सीली चर्चा होने के बाद समारोह समापन के बाद स्थल से जाती हजारों बेटियों के चेहरों पर अजीब सी खूशी व मुश्कराहट नजर आ रही थी, मानो कि उन्होंने आज इतिहास में पहली दफा बडी तादात में एक साथ एक प्लेटफार्म पर  बैठकर जीवन में रोजमर्रा की आने वाली दिक्कतों व अनेक ज्वलंत सामाजीक व शैक्षणिक मुद्दों पर विचार विमर्श कर सामुहिक रुप से मंथन करके फैसला कर समाज का सुनहरा भविष्य बनाने की भागीदारी का उन्हें भी पुरुषों के समान अवसर मिला है। महिला समारोह पंडाल से अलग बने पंडाल में बैठे पुरुषों व समारोह में आई बेटियों ने समारोह के लिये किये इंतेजाम व उसकी सफलता के लिये कायमखानी यूथ ब्रिगेड व भींचरी गावं वासियों की काफी सरायना करते हुये उनका शूक्रीया अदा कर रहे थे।

ज्ञात रहे कि पिछले बीस पच्चीस सालों में पूरी तरह पर्दे में रखने वाले कायमखानी समाज की बेटियों ने अपने वालदेन की सहमति व मदद से अनेक बुलन्दियों को छू कर समाज को पूरी तरह पलटकर हर फर्द को इस मुद्दे पर सोचने पर मजबूर ही नहीं किया बल्कि उनके दिलों को झकझोर डाला है। समाज की पहली लड़की के तौर पर कर्नल जाबदी खां की बेटी व झाड़ोद के कमाण्डेट बक्सू के बेटे भंवरु खां की पत्नी बतूल खान ने राजस्थान प्रशासनीक सेवा की परीक्षा पास करके पहली दफा एक इतिहास रचा था लेकिन भंवरु खां के भी न्यायीक सेवा में सलेक्शन होने पर बतूल खान ने पोस्टिंग को ग्रहण नहीं किया था। उसके बाद छोटी बेरी की लाडली असलम खान ने IPS सलेक्ट होकर फिर एक नई राह दिखाने पर नुवां गावं की होनहार व सरल सावभाव की बेटी फराह खान ने भारतीय सिविल सेवा परीक्षा मे कामयाबी का परचम लहरा कर बेटियों के आगे बढने के लिये उनके हौसलों को परवाज दी। इसी तरह नुवा की बेटी इशरत हुसैन के आर्मी मे व हनुमानगढ की बेटी शाहीन खान ने ऐयरफोर्स व जाबासर की बेटी रुखसार खान ने नेवी मे अधिकारी बनकर बेटीयो के प्रति फौज जैसे फिल्ड मे जाने के प्रति कायम सोच को बदलने पर मजबूर किया। दुसरी तरफ न्यायीक सेवा मे जाबासर की लाडली तसनीम खान, डीडवाना की बेटी रेशमा खान,नुवा की बेटी परवीन व सुजानगढ की बेटी यासमीन खान ने कामयाबी पाकर समाज को अपनी बेटीयो को हर फिल्ड मे आगे बढाने की ओर झुकाव कायम किया है। इसके इतर फिल्ड सियासत मे बडी तादात मे चेयरमेन, सरपंच, पार्षद व पंचायत निदेशक बनकर अपनी कुशलता, कर्मठता व इमानदारी जैसी प्रतिभा का लोहा मनवाया एवं मनवा रही है।इसके अलावा चिकित्सक, इंजिनियर, आर्किटेक्ट, शिक्षक सहित विभिन्न क्षेत्र की सरकारी सेवा मे बेटीया बडी तादात मे सेवारत है। अनेक उदाहरणो मे से उक्त चंद उदाहण गिनाये गये है लेकिन बेटीयो की हर फिल्ड मे सफलता को देखकर लगता है कि समाज अगर सामुहिक स्तर पर बेटीयो को आगे बढने के लिये साधन व अवसर उपलब्ध करवाये तो यह वतन व समाज का सर ऊंचा कर सकती है।

 कुल मिलाकर यह है कि कायमखानी समाज को बेटियों के आगे बढाने पर कोई उचित कार्य योजना बनाकर उसको अमल में लाने पर समय रहते विचार करना चाहिये। दूसरी तरफ समाज को एक जाजम पर बैठने का अवसर प्रदान करने का माध्यम वाली सामाजिक संस्था कायमखानी महासभा के चुनाव को लेकर पहले भादरा फिर फतेहपुर व उसके बाद बीसाऊ में आयोजित सम्मेलनों में तीन तेराह होकर कायमखानी सरदार जिस तरह से अदालतों तक पहुंचे हैं, उनको भींचरी में कायमखानी क्षत्राणियो के बीस अगस्त को हुये सफल बडे अनुशासित सम्मेलन से जरा सबक लेकर आगे चलकर जरा सामाजिक चेतना व कौम के सुनहरे भविष्य बनाने पर मंथन जरुर करना होगा।


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