पूरे हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया ईद-उल-अज़हा का त्योहार, विशेष नमाज़ के बाद एक दूसरे से गले मिल कर दी गई मुबारकबाद | New India Times

रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:

पूरे हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया ईद-उल-अज़हा का त्योहार, विशेष नमाज़ के बाद एक दूसरे से गले मिल कर दी गई मुबारकबाद | New India Times

मेघनगर समेत पूरे झाबुआ जिले में ईद उल अजहा का त्यौहार धूमधाम से मनाया गया।
ईद के दिन सुबह से ही समाजजनों में काफी उत्साह रहा। मौसम के मिजाज बदलने ओर रिमझीम बारीश होने की वजह से सुबह 7-40 के बाद शहरे इमाम मोलाना मेहबूब साहब ने ईद-उल-अजहा की विशेष नमाज मस्ज़िद अबरार शेरानीपुरा (मरकज़ मस्ज़िद) में अदा करवाई व नूरे मोहम्मदी में भी 7-30 बजे नमाज पढ़ाई गई। नूरे मोहम्मदी में हाफ़िज़ रिजवान साहब ने नमाज़ अदा करवाई।

ईद की नमाज़ के बाद मुल्क और पूरी कायनात में अमन चैन शांति के लिए मुस्लिम भाइयों ने दुआएं खेर की। बच्चे बुजुर्गों और जवानों ने ईद की नामज़ और दुआ के बाद एक दूसरे से हाथ मिलाकर व गले मिलकर एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी।

इस्लाम मे कुर्बानी का देना भी रखता है एक इबादत का मुकाम

वैसे तो इस्लाम में कुर्बानी का ज़िक्र आदम (अ) के ज़माने से मिलता है, लेकिन इस्लाम में बुनयादी तौर पर कुर्बानी हज़रत इब्राहीम (अ) के ज़माने से है जब उन्होंने अपने बेटे को कुर्बान करने की कोशिश की तो अल्लाह ने उनके बेटे के बदले एक जानवर की कुर्बानी ली तब से यह अपनी जान की कुर्बानी के निशान के तौर पर हर साल दी जाती है।

इस का सबसे अहम फलसफा यह है कि अल्लाह बन्दे के लिए सबसे बढ़ कर है. इस बात को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि इसलाम में क़ुर्बाबी एक इबादत की हैसियत रखती है और जैसा की आप जानते हैं कि इबादतें जितनी भी हैं वो सब बन्दे का अल्लाह से ताल्लुक का इज़हार होती हैं. जैसे बदन से बंदगी का इज़हार नमाज़ में होता है और माल से इबादत करने का इज़हार ज़कात और सदके से होता है, ठीक ऐसे ही क़ुरबानी जान से बंदगी करने का इज़हार है।

एक अहम हिकमत कुर्बानी की यह भी है कि इसके ज़रिये हज़रत इब्राहीम (अ) और उनके परिवार की तौहीद के लिए की जाने वाली महनते, मशक्कतें और कुरबानियों को याद किया जाए,.. उस लम्हे को ख़ास कर याद किया जाए

पांच सोबो पर किया बयान व मांगी दुआ

मौलाना मेहबूब साहब ने हुस्ने अख़लाक़ के साथ इमानियात, इबादात, मामलात मआशीरत पर रोशनी डालते हुए फ़रमाया की लड़को व लड़कियों को एजुकेशन अच्छी दिलाना चाहिए, बच्चों को वाल्दैन का अदब करना चाहिए। हमें एक दूसरे से मिलकर और भाइयों के साथ कुर्बानी के साथ अपनी दिनचर्या बितानी चाहिए व साथ ही अपनी दुआ में मुल्क में अमन व चैन की दुआ मांगी गई।

गले मिलकर एक दूसरे को दी मुबारकबाद

प्रशासनिक अमला सुबह से मुस्तेद था प्रशासन अमले से मुसाफ़ा कर एक दूसरे को मुबारकबाद दी।

ईद की मुबारकबाद देने में ये हज़रात मोजुद रहे हाजी इरफान शेरानी, हाजी सलीम शेरानी ( सदर ) डॉ अयूब साहब, मेहमुद भाई, पत्रकार फारुख शेरानी, अबरार खान, अशफाक शेरानी, इरशाद शेरानी, फाईन टेलर्स अयूब खान, नावेद शेरानी, पत्रकार रहीम शेरानी, जाकीर शेख, इम्तियाज शेरानी, असलम शेरानी, सौएल शेरानी, निशार शेरानी, शोएब शेरानी, शब्बीर भाई पठान, रहीम भारती सहित सैकड़ों समाज जनों ने ईद की मुबारकबाद दी।


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By nit

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