रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
दिल्ली-मुंबई 8 लेन एक्सप्रेस-वे का 244 किमी लंबा मध्य प्रदेश सेक्शन भी लगभग तैयार है। पीएमओ से तारीख तय होते ही इसे चालू कर दिया जाएगा।
दिल्ली- दौसा खंड 12 फरवरी को शुरू हो चुका है।
दिसंबर 2024 तक दिल्ली से मुंबई तक 1386 किमी एक्सप्रेस-वे बनकर तैयार होगा।
ऐसे में अब हर किसी के मन में ये ही सवाल है कि इस पर सफर करने के लिए कितना टोल टैक्स देना होगा।
एनएचएआई द्वारा जारी दिल्ली-दौसा खंड के टोल नोटिफिकेशन और अधिकारियों से हुई चर्चा के अनुसार एक्सप्रेस-वे पर टोल दरों की गणना लागत और होलसेल प्राइस इंडेक्स (डब्ल्यूपीआई) के आधार पर की जाती है।
स्पष्ट तौर पर कहें तो यहां लागत आधारित टोल प्रणाली लागू होगी।
अलग- अलग सेक्शन में ये अलग-अलग होगा। जहां इंटरचेंज और पुल- पुलियाओं जैसे स्ट्रक्चर ज्यादा हैं, वहां लागत भी अधिक है। इसलिए उस सेक्शन की दूरी को 10 गुना आंका जाएगा। इसलिए स्वाभाविक है ऐसे स्ट्रक्चर वाले सेक्शन में टोल भी अधिक रहेगा।
सामान्य तौर पर दिल्ली-मुंबई 8 लेन एक्सप्रेस-वे पर कार या लाइट व्हीकल का टोल टैक्स
दिल्ली-मुम्बई 8 लेन पर कार या लाइट व्हीकल का टोल
औसत 2.20 से 2.25 रुपए प्रति किलोमीटर तथा बस- ट्रक का 7 से 7.35 रुपए प्रति किलोमीटर रहेगा। इसमें भी जहां स्ट्रक्चर ज्यादा है वहां यह औसत से ज्यादा लग सकता है तथा जहां सीधा रोड है और इंटरचेंज कम हैं या पुल-पुलियाएं 60 मीटर से छोटी हैं वहां पर ये कार व बस के लिए क्रमश: 2 और 7 रुपए प्रति किमी से भी कम वसूला जाएगा।
मप्र सेक्शन के लिए टोल गणना की प्रक्रिया अभी चल रही है और नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ है। एनएचएआई के अफसरों के अनुसार यह एवरेज कार के लिए 2.20 रुपए प्रति किलोमीटर के आसपास रहेगी।
स्ट्रक्चर के कारण मप्र सेक्शन की असल दूरी 320 किमी गिनी जाएगी जबकि लंबाई 244 किमी है
मप्र में यह रतलाम, मंदसौर और झाबुआ से होकर गुजरेगा।
तीनों जिले में एक्सप्रेस-वे की लंबाई 244 किमी है लेकिन टोल गणना करते वक्त असल दूरी 320 के आसपास आंकी जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि इंटरचेंज व जिस सेक्शन में 60 मीटर से लंबे ब्रिज हैं, उन स्ट्रक्चर की लंबाई को 10 गुना करके जोड़ा जाएगा। इसे इस प्रकार समझ सकते हैं कि दिल्ली दौसा की दूरी 228.748 किमी है तो इसमें से 7.097 किमी वह हिस्सा है, जहां 60 मीटर या इससे अधिक लंबाई वाले पुल-पुलिया आदि स्ट्रक्चर हैं।
इसलिए स्ट्रक्चर की लंबाई घटाने के बाद 221.651 किमी मूल लंबाई बचती है, इस पर अलग इंडेक्स से टोल गणना की गई तथा स्ट्रक्चर की कुल दूरी का 10 गुना यानी 70.970 किमी की टोल गणना अलग होगी। फिर इन्हें जोड़कर कुल टोल की गणना की गई है।
पूंजीगत लागत वसूलने के बाद 40% घटेंगी टोल की दरें
एनएचएआई के मुताबिक टोल की दरें हर साल बदलती रहेंगी, क्योंकि ये होलसेल प्राइस इंडेक्स से कनेक्टेड रहती हैं। जैसी डब्ल्यूपीआई की दरें होंगी, उसी हिसाब से टोल दरों में आंशिक परिवर्तन आएगा। ये जरूर अच्छी बात है कि एनएचएआई सभी टोल बूथ से हो रही टोल वसूली का रिकॉर्ड रखेगा और इसे पूंजीगत लागत से मिलान किया जाएगा। जिस दिन पूंजीगत लागत वसूल हो जाएगी, तब से एनएचएआई टोल दरों में 40% की कमी कर देगा।
8 लेन पर ये वाहन प्रतिबंधित
मोटर साइकिल (स्कूटर तथा अन्य दोपहिया वाहन सहित), तिपहिया (ई-कार्ट्स और ई-रिक्शा सहित), बिना मोटर वाले वाहन, ट्रेलर के साथ या ट्रेलर के बगैर ट्रैक्टर, बहु धूरीय हाइड्रोलिक ट्रेलर वाहन, क्वाड्रिसाइकिल
मध्य प्रदेश में लंबाई किस जिले में कितनी
झाबुआ 50.5 किलोमीटर, रतलाम 91.1 किलोमीटर, मंदसौर 102.8 किलोमीटर।
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