महानगर पालिका के विशेष महासभा में आवास घोटाला और नकली रसीद के भांडा फोड पर हुआ हंगामा | New India Times

विशेष प्रतिनिधि, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

महानगर पालिका के विशेष महासभा में आवास घोटाला और नकली रसीद के भांडा फोड पर हुआ हंगामा | New India Times

महानगर निगम की विशेष महासभा का मंगलवार को आयोजन किया गया था। मंच पर आयुक्त विद्या गायकवाड, महापौर जयश्री महाजन और उप महापौर कुलभूषण पाटिल
विराजमान थे। मनपा का बचत का 169 करोड़ 14 लाख का अर्थ संकल्प बजट पेश किया गया। मनपा में स्थायी समिति नहीं होने के कारण बजट पारित नहीं हुआ। नगरसेवक नितिन लड्ढा ने बजट का अभ्यास कर चर्चा करने के लिए 29 मार्च को फिर से महासभा आयोजित करने का प्रस्ताव रखा जिसे महापौर ने मंजूर करते हुए महासभा को 29 मार्च तक स्थगित किया। इसके बाद श्रद्धांजलि सभा अर्पित कर नियमित रूप से कार्य का आरंभ किया गया।

महासभा की शुरुआत में भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा हटाने पर जोरदार विवाद हुआ जिसमें मनपा प्रशासन को घेर कर आयुक्त के खिलाफ निंदा प्रस्ताव रखा जिस पर आयुक्त ने कहा कि भूमि की जानकारी प्राप्त कर इसके दोषी पर कार्रवाई की जाएगी।

महानगर निगम आवास घोटाले में पहले से ही कुख्यात है। इस महासभा में नगरसेवक अधिवक्ता दिलीप पोकले ने कहा कि पीएम आवास योजना में लॉटरी सिस्टम से घरकुल वितरित किए गए हैं जिसमें बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया है। एक ही व्यक्ति को 4 से 5 आवास दिए गए हैं। इस मुद्दे पर मनपा प्रशासन को जोरदार तरीके से घेरा, इस पर मनपा आयुक्त गायकवाड़ ने उच्च स्तरीय जांच कर संबंधित दोषियों पर कार्रवाई करने के आदेश दिए।

इसी तरह से महासभा में जलापूर्ति के नकली चालान द्वारा वसूली करने का भंडाफोड़ भी सदन में किया गया। इस पर भी पूरा सदन सन्नाटे में आ गया। प्रशासन से इस गंभीर मामले में समिति गठित कर जांच करने की मांग की गई। तुरंत धन को बताया गया है, कि राजेंद्र सोनार नामक वालमैन ने फर्जी 13 हजार रुपये की फर्जी रसीद देकर रुपये ऐंठे हैं। नगरसेवकों ने आरोप लगाया कि इस मामले में अधिकारी के साथ कर्मी भी शामिल हैं।

सड़कों की गुणवत्ता को लेकर पार्षद जितेंद्र मराठे ने मनपा सदन में जोरदार बवाल मचाया और आरोप लगाया की दो दिन पहले हुई बेमौसम बारिश के कारण शहर की नई डामरीकृत सड़कों पर गड्ढे बन गए हैं। मनपा प्रशासन घटिया स्तर का कार्य करने वाले ठेकेदारों को बचाने की कोशिश कर रही है। ऐसे ठेकेदारों को काली सूची में डाल कर उन पर कड़ी कार्रवाई की जाए।

स्थायी समिति का अस्तित्व नहीं

नगर निगम की 20वीं वर्षगांठ पर कल वर्ष 2023-24 का बजट पेश करने के लिए महापौर जयश्री महाजन की अध्यक्षता में आमसभा का आयोजन किया गया। इस आम सभा में आयुक्त डॉ. विद्या गायकवाड़ ने 2022-23 के तहत संशोधित राजस्व बजट खर्च 802 करोड़ 33 लाख रुपये के साथ 169 करोड़ 14 लाख रुपये का संशोधित बजट पेश किया। डॉ. गायकवाड़ ने घोषणा की कि गत वित्तीय वर्ष के स्वीकृत बजट कार्यों की समीक्षा कर उन्हें निर्धारित समय में शीघ्र पूर्ण करा लिया जायेगा। इस दौरान पूर्व महापौर और नगरसेवक नितिन लड्डा ने सुझाव दिया कि 2023-24 के बजट की घोषणा करने से पहले कोई स्थायी समिति नहीं है, इसलिए मनपा के महापौर को बजट पर विचार करने के लिए समय देना चाहिए और 29 मार्च को आम बजट की बैठक करनी चाहिए जिसके अनुसार बजट की महासभा स्थगित कर दी गई और कुछ समय बाद एक नियमित विशेष महासभा आयोजित की गई।

इस दौरान पार्षद एडवोकेट शौचिता हाड़ा ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछले डेढ़ साल से नगर निगम में स्थायी समिति का गठन नहीं किया गया है, यह लोकतंत्र का गला घोंट रहा है और यह सुझाव दिया गया कि भविष्य में एक स्थायी समिति का गठन किया जाना चाहिए और महासभा में बजट या अन्य मुद्दों को पेश करते समय पिछली गलतियों से बचना चाहिए। इस बार संपत्ति कर संग्रह की राशि बढ़ाने का लक्ष्य है। आयुक्त गायकवाड़ ने लंबित मुआवजा वसूलने का आदेश दिया। नल पट्टी, संपत्तियों की वसूली के लिए नल कनेक्शनों को काट देने का उद्देश्य नहीं होना चाहिए, इसके अलावा डॉ. गायकवाड़ ने यह भी कहा कि मनपा के स्वामित्व वाले व्यावसायिक परिसरों में दुकानों के किराये या नए ठेके की प्रक्रिया पिछले कई वर्षों से लंबित होने के कारण मनपा की सही राजस्व आय प्रभावित हो रही है।

अपर्याप्त जनशक्ति

घरकुल निर्माण स्थानान्तरण सेवा शुल्क पांच रुपये प्रतिदिन है, इस हिसाब से 17 करोड़ रुपये बकाया है और सिर्फ 4 करोड़ रुपये ही वसूले जा सके हैं। इस दौरान नगरसेवकों को अवगत कराया गया कि प्रशासन जनशक्ति की कमी के बावजूद अमृत, नाला, पाइप कनेक्शन या जलापूर्ति योजनाओं को लागू करने के लिए पुरजोर प्रयास कर रहा है।

एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालने की कोशिश

शहर में सड़कों की योजना के अनुसार मनपा प्रशासन द्वारा अधिग्रहित भूमि का मुआवजा दिया जा चुका है। निर्माण करते समय मकान मालिकों ने सडकों पर अतिक्रमण कर लिया है लेकिन अतिक्रमण हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। अपने वार्ड की सड़कों को संभालने की जिम्मेदारी पार्षद एक-दूसरे पर थोप रहे थे।

इस संदर्भ में जिम्मेदारी निश्चीत की जाए, जिन के नाम पर घर नहीं उन्हें नल कनेक्शन दिया जा रहा है लेकिन जिसकी संपत्ती है उन्हें नल कनेक्शन नहीं मिल रहा, ऐसा अजब न्याय पालिका प्रशासन कर रही है, ऐसा आरोप भी नगरसेवकों ने लगाया। शहर को झोपडपट्टी मुक्त करने के लिए अतिक्रमित घरों को हटा कर पिंप्राळा परीसर में घरकुल दिए गए हैं लेकिन यहां के निवासी वहां न जा कर संपत्ति धारकों की खाली जमीनों पर अतक्रमण कर रहे हैं। डिप्टी मेयर कुलभूषण पाटिल ने कहा कि जानबूझकर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई नहीं की जा रही है।

सड़कों की गुणवत्ता खराब

महानगर पालिका सीमा में पिछले दो साल से सड़कों की मरम्मत का काम किया जा रहा है लेकिन इन सड़कों की गुणवत्ता जांची नहीं जाती है। ठेकेदारों को अविलंब भुगतान किया जा रहा है। इन सड़कों की गुणवत्ता बेहद खराब है और जिन सड़कों को दो महीने पहले डामरीकरण किया गया था उन्हें सीलकोट नहीं किया गया है इस वजह से शहरी क्षेत्र में पिछले दो दिनों से हो रही बेमौसम बारिश से जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। पार्षद व स्थायी समिति के पूर्व अध्यक्ष जितेंद्र मराठे ने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए। यह देखने में आता है कि राज्य सरकार के नगर प्रशासन और लोक निर्माण विभाग के बीच समन्वय का अभाव है।


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