अबरार अली, ब्यूरो चीफ, सिद्धार्थनगर (यूपी), NIT:
नीट परीक्षा पास करके डाक्टर बनने का सपना तो अक्सर छात्रों का होता है लेकिन बहुतेरे मंजिल तक नहीं पहुंच पाते हैं। मंजिल पर वही छात्र पहुंचते हैं जो सैयद गुलाम मो. मस्त कलकत्वी की शेर “सुर्खरू होता है इंसाँ ठोकरें खाने के बाद। रंग लाती है हिना पत्थर पर पिस जाने के बाद” पर अमल करते हैं। ऐसे छात्र जो मेंहनत करते हैं उनको सफला अवश्य ही मिलती है।
शिक्षा के क्षेत्र में पीछे कहे जाने वाले इटवा तहसील क्षेत्र के दो होनहार छात्रों ने अपनी कडी मेंहनत से नीट परीक्षा पास करके यह साबित कर दिया है कि शिक्षा में पिछडा क्षेत्र की परिकल्पा भी अब पुरानी हो गयी है। जो मेंहनत करेगा वही आगे बढे़गा। इटवा टोला पहाडापुर निवासी मो. शमीम का पुत्र शहबाज खान ने नीट परीक्षा में 603 अंक प्राप्त किया है। आल इण्डिया रैंक फार काउंसिलिंग में 19384 वां रैंक प्राप्त किया है। शहबाज खान ने कोटा में रह कर कोचिंग किया और कडी मेंहनत के साथ पढ़ाई करके सफलता हासिल की। शहबाज खान के पिता इस समय गुजरात में व्यवसाय करते हैं। इसी प्रकार इटवा तहसील क्षेत्र के ग्राम बेलहसा निवासी नवाजिस अहमद के पुत्र शादाब खान ने नीट परीक्षा में 602 अंक प्राप्त किया है। आल इण्डिया रैंक फार काउंसिलिंग में 19877 वां रैंक प्राप्त किया है। शादाब अहमद ने लखनऊ में रह कर स्वअध्यन किया और कडी मेंहनत के साथ पढ़ाई करके सफलता हासिल की। शादाब अहमद के पिता इस समय बेलहसा गांव में रह कर कृषि कार्य करते हैं।
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