मदरसों की सुरक्षा को लेकर जमीअत उलेमा-ए-हिंद के मुख्यालय में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक | New India Times

अबरार अहमद खान/मुकीज खान, भोपाल/नई दिल्ली, NIT:

मदरसों की सुरक्षा को लेकर जमीअत उलेमा-ए-हिंद के मुख्यालय में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक | New India Times

‘मदरसों की सुरक्षा’ के विषय पर नई दिल्ली स्थित जमीअत उलेमा-ए-हिंद के मुख्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। जिस में दारुल उलूम देवबंद, नदवतुल उलेमा लखनऊ, मजाहिर उलूम सहारनपुर समेत उत्तर प्रदेश के दो सौ से अधिक मदरसों के संचालक एवं प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 12 प्रश्नों पर आधारित सर्वेक्षण पर प्रकाश डाला गया और उसके कारणों और संदर्भ को पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से विस्तार से बताया गया।
बैठक में जहां यह महसूस किया गया कि कानून और सिद्धांतों पर अंदरुनी सुधार की आवश्यकता है, वहीं इसके पीछे की सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाया गया, जो शत्रुतापूर्ण रवैया अपना कर जनता में अराजकता और अशान्ति पैदा करती है। इसके साथ ही समुदायों के बीच में अविश्वास की दीवार स्थापित करती है जो कि अत्यंत निंदनीय है। सरकार को इस तरह के रवैये से गुरेज करना चाहिए क्योंकि इस देश में मदरसों की एक बहुत ही शानदार और ऐतिहासिक भूमिका है और इसने हमेशा देश के लिए कुर्बानियां दी हैं। आज भी मदरसे देश की सेवा कर रहे हैं। कमजोर वर्ग के बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। यहां से पढ़ कर निकलने वाले लोग जिम्मेदार और देशभक्त होते हैं। मदरसों के लोगों को देश की व्यवस्था का पालन न करने वाला बताना वास्तव में द्वेष पर आधारित है, इसका उचित और प्रभावी जवाब देना आवश्यक है। उक्त विचार इस कार्यक्रम के आयोजक और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने व्यक्त किए।
उन्होंने मीडिया को बताया कि आगे की कार्रवाई के लिए एक संचालन समिति का गठन किया गया है जिसमें (1) मौलाना सैयद अरशद मदनी, अध्यक्ष, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के (2) मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी, शेख-उल-हदीस और कुलपति दारुल उलूम देवबंद (3) मौलाना मोहम्मद सुफियान कासमी, कुलपति दारुल उलूम वक्फ देवबंद, (4) मौलाना मुफ्ती मोहम्मद राशिद आजमी उप-कुलपाति, दारुल उलूम देवबंद (5) मौलाना सैयद अशहद रशीदी मोहतमिम, जामिया कासमिया शाही मुरादाबाद (6) मौलाना अतीक अहमद बस्तवी उस्ताद नदवतुल उलमा ( 7 ) मौलाना हकीमुद्दीन कासमी, महासचिव, जमीयत उलेमा-ए-हिंद (8 ) मौलाना नियाज अहमद फारूकी सचिव, जमीयत उलेमा-ए-हिंद (9 ) ) मौलाना मुफ्ती अशफाक अहमद आजमी (10 ) कमाल फारूकी, सदस्य, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (11 ) मुज्तबा फारूक, जमात-ए-इस्लामी हिंद (12 ) मौलाना सैयद अजहर मदनी गंगोह (13 ) मौलाना महमूद असद मदनी, अध्यक्ष, जमीयत उलेमा-ए-हिंद शामिल हैं। मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि मदरसे एक महान धरोहर हैं। हमारे पूर्वजों ने जो यह व्यवस्था दी है, वह दुनिया में कहीं और नहीं है। इसलिए इसे हर हाल में इसकी सुरक्षा की जाएगी।
आज की बैठक में आपसी विचार-विमर्श के बाद तीन सूत्रीय प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई। (1) मदरसों में आंतरिक व्यवस्था की दृष्टि से जो कानूनी कमियां हैं, उनको जल्द से जल्द ठीक किया जाए (2) जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा एक हेल्पलाइन बनाई जाए और टीम गठित की जाए जो कागजों को ठीक करने में मदरसे के लोगों की सहायता करें (3) एनआईओएस या किसी और रूप में आधुनिक शिक्षा का सिलसिला मदरसों में आरंभ किया जाए।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अमीर-उल-हिंद मौलाना सैयद अरशद मदनी ने अपने संबोधन में कहा कि धार्मिक मदरसे साम्प्रदायिक लोगों की आंखों में कांटे हैं, इसलिए हमें उनकी मंशा को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि व्यवस्था को सुधारने की बात अपनी जगह है लेकिन हमें अपने मदरसों के अस्तित्व को बचाने के लिए तत्पर रहना होगा। हमने हमेशा कोशिश की है कि शांति के साथ हमारी धार्मिक संस्थानों को चलने दिया जाए लेकिन साम्प्रदायिक शक्तियां हमारे अस्तित्व को समाप्त करना चाहती हैं, जिसे हम कभी होने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि इस्लामी मदरसों का अस्तित्व देश के विरोध के लिए नहीं बल्कि देश के लिए है। इसका डेढ़ सौ वर्षीय इतिहास गवाह है कि यहां से हमेशा देश के निर्माण का काम हुआ है।
दारुल उलूम देवबंद के कुलपति मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ं मदरसों की आंतरिक व्यवस्था को ठीक करने पर हमें विचार करना चाहिए। विशेषकर छात्रावासों आदि से संबंधित जो व्यवस्था है, उसका पालन करने की हर संभव कोशिश की जाए लेकिन अत्याचार करने वालों के इरादों से भी सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने जमीयत उलेमा-ए-हिंद को बधाई दी कि इसने कम समय में पर्याप्त सूचनाप्रद सभा आयोजित की। दारुल उलूम वक्फ देवबंद के मोहतमिम मौलाना मोहम्मद सुफियान कासमी ने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद का सौ साल का इतिहास गवाह है कि इसने हमेशा देश और समाज का मार्गदर्शन किया। हम आशा करते हैं कि इस कठिन समय में वह मदरसों के लोगों का मार्गदर्शन करेगी। इस संबंध में उन्होंने एक हेल्पलाइन स्थापित करने का भी प्रस्ताव रखा।
दारुल उलूम नदवतुल उलेमा के नाजिम आला मौलाना सैयद मोहम्मद राबे हसनी नदवी का प्रतिनिधित्व करते हुए मौलाना अतीक अहमद बस्तवी ने कहा कि सर्वे में उल्लिखित प्रश्नावली का उद्देश्य सुधार नहीं बल्कि कटुता है, इसलिए सांप्रदायिकता की इस नई सोच का उचित जवाब दिया जाए। इस सम्बंध में उन्होंने सलाह दी कि सरकार के जिम्मेदारों से भी संपर्क किया जाए। उनके अलावा मुफ्ती मोहम्मद सालेह नायब नाजिम, जामिया मजाहिर उलूम सहारनपुर, मौलाना सैयद हबीब अहमद बांदवी, मोहतमिम जामिया अरबिया हथोड़ा बांदा, मौलाना अब्दुर्रहीम नाजिम आला, मदरसा अरबिया रियाज-उल-उलूम गुरैनी, मुज्तबा फारूक जमात-ए-इस्लामी हिंद, कमाल फारूकी सदस्य, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, मौलाना मुश्ताक अहमद अनफर असम, मौलाना अशरफ मदरसा नूरुल उलूम प्रतापगढ़, प्रोफेसर मोहम्मद नोमान शाहजहांपुरी, मौलाना मोहम्मद यामीन मोबल्लिग, दारुल उलूम देवबंद, मौलाना असजद कासमी लखीमपुर, मौलाना शरीफ कासमी देवबंद, मौलाना अमीनुल हक अब्दुल्ला कानपुर आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए और सुझाव प्रस्तुत किए जिसके आलोक में तीन सूत्रीय सुझावों को स्वीकृति दी गई।
इस बैठक में मदरसों के विरुद्ध विभिन्न राज्यों में जारी कार्रवाई और उसके समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और सचिव जमीयत उलेमा-ए-हिंद मौलाना नियाज अहमद फारूकी ने एक महत्वपूर्ण प्रस्तुतिकरण दिया। बैठक का संचालन संयुक्त रूप से जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी और जामा मस्जिद अमरोहा के सद्र-उल-मुदर्रेसीन मुफ्ती मोहम्मद अफ्फान मंसूरपुरी द्वारा किया गया।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading