ईद-उल-फितर मज़हब वतन और अवाम की भलाई के लिये काम और त्याग का पैग़ाम, वाह रे कोरोना तेरा कमाल शीरख़ूरमा करता रहा इंतज़ार, कोई न आया अबकी बार | New India Times

अरशद आब्दी, ब्यूरो चीफ, झांसी (यूपी), NIT:

ईद-उल-फितर मज़हब वतन और अवाम की भलाई के लिये काम और त्याग का पैग़ाम, वाह रे कोरोना तेरा कमाल शीरख़ूरमा करता रहा इंतज़ार, कोई न आया अबकी बार | New India Times

ईद-उल-फितर के दिन सुबह की नमाज़ के बाद से ही सभी का पुरजोश ख़ैर-मक़दम शिया मस्जिद (ईदगाह) नई बस्ती झांसी के प्रबन्धक जनाब सैयद ग़ज़नफर हुसैन आब्दी और उपप्रबन्धक जनाब सैयद सरकार हैदर आब्दी ने सोशल मीडिया पर आॅनलाइन नेक ख़्वाहिशात के साथ शुरू कर दिया।

ईद-उल-फितर मज़हब वतन और अवाम की भलाई के लिये काम और त्याग का पैग़ाम, वाह रे कोरोना तेरा कमाल शीरख़ूरमा करता रहा इंतज़ार, कोई न आया अबकी बार | New India Times

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ईद-उल-फितर की नमाज़ शिया मुसलमानों ने सुबह 9 बजे घर पर अदा की।इसके बाद निज़ामत करते हुये समाजवादी चिंतक और प्रवक्ता सैयद शहनशाह हैदर आबदी ने कहा, ”वर्तमान में अब जबकि हम कोरोना और एम्फन के साथ पाकिस्तान की टिड्डीदल के हमलों की चपेट में हैं बडे़ दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि मुल्क में असहिष्णुता तेज़ी से बढ़ी है। जिस धर्म में हमारी आस्था नहीं उसके रीति रवाजों पर नकारात्मक टिप्पणियों से देश के साम्प्रादायिक सदभाव को बिगाड़ने की कोशिशें की जा रही हैं। शासन प्रशासन सब जानते हुये भी मौन है। शासन और प्रशासन को ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कार्यावाही करनी चाहिये। हम पूरी ज़िम्मेदारी से कहते हैं कि क़ुर्बानी और त्याग का वजूद हर धर्म में है। हम साथ रहते आये हैं, हमें साथ रहना है। एक दूसरे पर अविश्वास और दोषारोपण ठीक नहीं। हर धर्म के त्योहार मिल कर मनाना हमारे अज़ीम मुल्क की ख़ासियत है। हमें इसे बरक़रार रखना है। हम एक बनें, नेक बनें बस यही दुआ है।“

ईद-उल-फितर मज़हब वतन और अवाम की भलाई के लिये काम और त्याग का पैग़ाम, वाह रे कोरोना तेरा कमाल शीरख़ूरमा करता रहा इंतज़ार, कोई न आया अबकी बार | New India Times

मौलाना सैयद फरमान अली आब्दी ने बताया कि,”ईद उल-फ़ित्र ‘शव्वाल’ इसलामी कैलंडर के दसवें महीने के पहले दिन मनाया जाता है। पहली ईद उल-फ़ितर पैगम्बर मुहम्मद (सल.) ने सन 624 ईसवी में जंग-ए-बदर के बाद मनाई थी। मुसलमानों का त्योहार ईद मूल रूप से भाईचारे को बढ़ावा देने वाला त्योहार है। इस त्योहार को सभी आपस में मिल के मनाते हैं और खुदा से सुख-शांति और बरकत के लिए दुआएं मांगते हैं। ईद-उल-फितर खुशियां बांटने का पर्व है।

तिलावते क़ुरान के बाद मौलाना सैयद शाने हैदर ज़ैदी साहब ने अपने ख़ुत्बे में कहा, ’क़ुर्बानी और त्याग के जज़्बे के साथ ही मज़हब, समाज और राष्ट्र, तरक़्क़ी की राह पर आगे बढ़ता रहा है। पूरे विश्व में ईद की खुशी पूरे हर्षोल्लास से मनाई जाती है। आज के दिन हम एक दूसरे को तोहफे देकर मुंह मीठा कराते हैं और खुदा से अमन, सुकून, सेहत, खुशहाली और बरकत के लिए दुआएं मांगते हैं। ग़रीबों की इमदाद की जाती है ताकि वो भी सबके साथ मिलकर ईद मना सकें। समाज की भलाई के काम किये जाते हैं। हमारी गुज़ारिश है,”पहले ईमानदारी और ख़ुलूस से इबादत करें। ज़रूरतमन्दों, ग़रीबों की मदद करें। रिश्तेदारों, दोस्तों, पडोसियों और अज़ीम वतन का हक़ अदा करें, यही सच्ची ईद है।” सभी शिया मुस्लिमों ने समय की ज़रूरत को समझते हुये रमज़ान के पूरे माह  रोज़े और इबादत के साथ मुल्क और समाज हित में बगैर शोर शराबे के यह काम भी बखूबी अंजाम दिये हैं और आगे भी देते रहेंगे।

ईद-उल-फितर मज़हब वतन और अवाम की भलाई के लिये काम और त्याग का पैग़ाम, वाह रे कोरोना तेरा कमाल शीरख़ूरमा करता रहा इंतज़ार, कोई न आया अबकी बार | New India Times

अंत में रब्बुल इज़्ज़त खुदावंदेआलम से संसार, मुल्क और समाज के सुख समृध्दि और शांति के साथ “कोरोना” और “एम्फन” के साथ पाकिस्तान की टिड्डीदल के हमलों और अन्य सभी मुश्किलों से बचाव की सामूहिक प्रार्थना की गई। आभार जनाब आसिफ हुसैन ने ज्ञापित किया। ईद की सुचारू व्यवस्था प्रबन्ध में सर्वश्री मंज़र हुसैन, हैदर अब्बास, अरशद रज़ा, सुल्तान आब्दी, ज़ामिन अब्बास, राहत हुसैन, आसिफ हुसैन्, मज़ाहिर हुसैन आदि ने सक्रिय सहयोग प्रदान किया। 

इस मुबारक मौक़े पर सभी ने एक दूसरे को प्यार मोहब्बत के साथ मुबारकबाद दी लेकिन हाथ मिलाने और गले मिलने का अरमान दिल में ही रह गया। शुकरनाल्लाह।
वाह रे रब्बा तेरी शान।      


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By nit

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