भैरु सिंह राजपुरोहित, बीकानेर (राजस्थान), NIT; एक ओर जहां सरकार राजस्व के नुकसान का हवाला देते हुए आबकारी विभाग पर दवाब बना रही है वहीं दूसरी ओर पूरे प्रदेश में शायद ही कोई शहर या क़स्बा बचा हो जहाँ शराब बंदी की मांग ना उठ रही हो। गांव से लेकर शहर तक शराब दुकानों के विरोध में धरने प्रदर्शन जारी हैं और सबसे बड़ी बात इस बार शराब के खिलाफ महिलाओं ने मोर्चा संभाल रखा है।
पुरे प्रदेश पर नजर डालें तो करीब 250 से ज्यादा धरने प्रदर्शन शराब के खिलाफ जारी हैं और इस बार शराब ठेकेदारों ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए हैं और आबकारी अधिकारियो के ऊपर शराब बिक्री बढ़ाने का डंडा तो दूसरी ओर महिलाएं खड़ी हैं शराब के विरोध में हाथों में डंडा लिए।अचानक पुरे प्रदेश में शराब बंदी के लिए आई जागृति में कई सामाजिक संगठनों ,शराब विरोधी संगठनों के साथ सबसे बड़ा योगदान है शराब बंदी के लिए जीवन पर्यन्त आन्दोलन कर अपनी जान दे देने वाले पुर्व विधायक श्री गुरुशरण छाबडा की पुत्रवधु (संपूर्ण शराब बंदी आन्दोलन जस्टिस फॉर छाबडा जी की राष्ट्रीय अध्यक्ष) पूनम अंकुर छाबडा का, जिन्होंने पुरे प्रदेश में गांव-गांव ढाणी-ढाणी घूम कर आम जन को जागृत कर दिया सचेत कर दिया है और इसका परिणाम आज पूरे प्रदेश में शराब के विरोध के रूप में दिख रहा है। आबकारी अधिकारी और सरकार में बेठे आला लोग भी अब दबी जुबान में कहने लगे हैं कि अब प्रदेश में शराब बंदी के प्रति लोग जाग चुके हैं और टुकड़ों में हो रहा यह आन्दोलन कब जन आन्दोलन बन कर सरकार को घेर ले कहा नहीं जा सकता।विपक्ष भी इस बात को समझ चूका है, इसलिए यदा कदा इन आंदोलनों का समर्थन करने पहुंच कर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहा है, तो सरकार भी बार बार मीटिंगों का आयोजन कर शराब बंदी आन्दोलन की अगुआ पूनम अंकुर छाबडा को बुला कर वार्ता कर बीच का रास्ता खोज रही है, तो पूनम अंकुर छाबडा पूर्ण शराब बंदी पर अड़ी खड़ी हैं।
देखते हैं यह शराब बंदी का ऊँट किस करवट बैठता है, क्योंकि आने वाला साल चुनावी साल है और सरकार प्रदेश का माहौल बिगड़ने नहीं देना चाहती है। जागरूक लोग, संगठन सरकार की शराब हितैषी नीतियों के कारण सरकार के पूर्ण रूप से खिलाफ खड़े है वही कई पक्ष विपक्ष के विधायकों ने विधानसभा में शराब पर प्रशन उठा कर सरकार की नींद उड़ा दी।
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