साबिर खान, गुरुग्राम/नई दिल्ली, NIT:
भारत बंद मामले पर एक सप्ताह से अखिल भारतीय भीम सेना के पदाधिकारियों की अग्रिम जमानत पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट चंडीगढ़ में चल रही गहमागहमी समाप्त हो गई है। भीम सेना चीफ़ नवाब सतपाल तंवर ने हाईकोर्ट के जज सुदीप आहूवालिया पर सरकार का पक्षपात करने के गंभीर आरोप लगाए थे और उनका पुतला फूंकने की धमकी दे डाली थी जिसपर चंडीगढ़ हाईकोर्ट ने चीफ़ जस्टिस रविशंकर झा ने तुरंत संज्ञान लेते हुए मामले को जस्टिस सुदीप आहूवालिया से ट्रांसफर कर जस्टिस राजमोहन सिंह को सौंप दिया है। किसी भी अग्रिम जमानत याचिका पर हाईकोर्ट के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि जज की कार्यशैली का विरोध होने पर मामले को रातों-रात दूसरे जज के पास ट्रांसफर किया गया हो। बुधवार को मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस राजमोहन सिंह ने भीम सेना चीफ़ नवाब सतपाल तंवर की गिरफ्तारी पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है और भीम सेना के राष्ट्रीय प्रभारी अनिल तंवर को अग्रिम जमानत दे दी है। इससे उन सैकड़ों भीम सैनिकों के सिर पर से भी गिरफ्तारी की तलवार हट गई है जो भारत बंद में शामिल थे।
पिछले सप्ताह जस्टिस सुदीप आहूवालिया ने भीम सेना चीफ़ सतपाल तंवर और प्रभारी अनिल तंवर की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उनसे भविष्य में किसी भी मुद्दे पर प्रदर्शन ना करने का शपथ-पत्र मांगा था जिसे देने से दोनों ने साफ इनकार कर दिया था। सतपाल तंवर का कहना था कि इससे उनके मौलिक अधिकारों का हनन होता है। जस्टिस सुदीप आहूवालिया जी असंवैधानिक मांग कर रहे हैं जिसे हम पूरा नहीं करेंगे। प्रदर्शन करना उनका मौलिक अधिकार है और वे अपने मौलिक अधिकार को किसी भी जज के पास शपथ-पत्र के रूप में गिरवी नहीं रखेंगे। सतपाल तंवर ने साफ कहा था कि उन्हें फांसी दो या जेल भेजो लेकिन वे शपथ-पत्र नहीं देंगे। पूरे प्रकरण पर नवाब सतपाल तंवर ने फेसबुक लाइव और प्रेस बयान जारी कर जस्टिस सुदीप आहूवालिया की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाए थे। मामले को गंभीरता से लेते हुए चंडीगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रविशंकर झा ने मामले को जस्टिस सुदीप आहूवालिया से हटाकर जस्टिस राजमोहन सिंह के पास भेज दिया। ये पूरा फेरबदल एक रात में किया गया। पीछे सप्ताह और दोबारा मंगलवार को इस मामले पर जस्टिस सुदीप आहूवालिया ने शपथ-पत्र देने पर ही जमानत देने की बात कही थी।
हाईकोर्ट में सरकार की तरफ से पेश हुए गुरुग्राम पुलिस के जांच अधिकारी ने जमानत का विरोध किया। जिसपर जस्टिस राजमोहन सिंह ने गुरुग्राम पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा है कि आप राजनीतिक दवाब में किसी शरीफ नागरिक को परेशान नहीं कर सकते। सरकार के विरोध में प्रदर्शन करना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। जस्टिस राजमोहन सिंह ने गुरुग्राम पुलिस से सवाल किया कि मामले में एक साल दस महीने तक पुलिस क्या कर रही थी? इतने लंबे समय बाद गिरफ्तारी की याद पुलिस को अचानक कैसे अा गई? इसका गुरुग्राम पुलिस के पास कोई जवाब नहीं था। अखिल भारतीय भीम सेना की तरफ से हाईकोर्ट को बताया गया कि वे पूरे देश में आरक्षण के समर्थन और नागरिकता कानून का विरोध कर रहे हैं इसीलिए सरकार पुलिस के माध्यम से उनको परेशान कर रही है। पुलिस ने जमानत का विरोध करते हुए हाईकोर्ट को बताया को आरोपी नवाब सतपाल तंवर के ऊपर हरियाणा सहित 10 अन्य राज्यों में बलवा करने, सरकारी काम में बाधा डालने, हथियार एकत्रित करने, रोड जाम करने, भड़काऊ भाषण देने आदि गंभीर धाराओं में मामले दर्ज हैं। गुरुग्राम पुलिस ने हाईकोर्ट को बताया कि नवाब सतपाल तंवर के ऊपर वर्ष 2017 में हुए सहारनपुर जातीय दंगे के आरोपी भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को शरण देने का भी आरोप है। सतपाल तंवर पर मुकदमे भी दर्ज किए गए थे। उस समय रावण 12 हजार का इनामी था जिसे उत्तर प्रदेश की पुलिस को तलाश थी। नवाब सतपाल तंवर ने रावण को 15 दिनों तक अपने पास गुरुग्राम में छिपाकर रखा था और दिल्ली के जंतर-मंतर पर आंदोलन खड़ा कर दिया था।
गुरुग्राम पुलिस की रिपोर्ट में दावा है कि सतपाल तंवर के ऊपर अन्य राज्यों में देशद्रोह का भी आरोप है। इसपर भीम सेना की तरफ से कहा गया कि नवाब सतपाल तंवर भीम सेना के मुखिया होने के साथ-साथ एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। जो कानून का सम्मान करते हैं लेकिन संविधान पर किसी का हमला कतई बर्दाश्त नहीं करते। जिनके सामाजिक कार्यों की फेहरिस्त बड़ी लम्बी है। इसपर जस्टिस राजमोहन सिंह ने नवाब सतपाल तंवर की गिरफ्तारी पर तुरंत रोक लगाते हुए कहा कि नवाब सतपाल तंवर द्वारा अब तक किए गए सामाजिक कार्यों का पूरा रिकार्ड हाईकोर्ट के सामने पेश किया जाए। साथ ही हाईकोर्ट ने भीम सेना के राष्ट्रीय प्रभारी अनिल तंवर को भी अग्रिम जमानत दे दी है। दो दिन के भीतर नवाब सतपाल तंवर को अपने सामाजिक कार्यों का ब्यौरा हाईकोर्ट में प्रस्तुत करना है।
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