गणेश मौर्य, ब्यूरो चीफ, अंबेडकरनगर (यूपी), NIT:
जिले में स्वच्छ भारत अभियान के तहत केंद्र सरकार ने ग्राम पंचायतों में शौचालय के निर्माण का कार्य कराने हेतु करोड़ों रुपए स्वीकृत किए पर कई ग्राम पंचायत ऐसी हैं जो शौचालय निर्माण का कार्य कराने में बिल्कुल भी रुचि नहीं ले रही हैं और शौचालय निर्माण का कार्य कागजों में पूरा नजर आता है पर हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत नजर आती है। लेकिन सच तो यह है कि शौचालय निर्माण में ग्राम प्रधान और ग्राम सेक्रेटरी संबंधित ठेकेदार और जिम्मेदार अफसर मिलकर सरकारी धन का खूब बंदरबांट किया है। इसका ताजा उदाहरण विकास खंड कटेहरी की ग्राम सभा चांदपुर जलालपुर में देखने को मिला है।
ग्रामीणों ने बताया कि 3 से 4 दिन में एक शौचालय का निर्माण इन्होंने करवा दिया गया था, केवल पैसे की बचत के लिए ग्राम प्रधान द्वारा भी ध्यान नहीं दिया गया। जहां पर ग्राम प्रधान और ठेकेदार के मिलीभगत से मिलकर पूरे गांव में शत प्रतिशत शौचालय का निर्माण कार्य संपन्न करा दिया। लाभार्थियों के अकाउंट से ग्राम प्रधान और ठेकेदार ने ऐसे पैसा उड़ाया उन्हें पता भी नहीं चला और अपने मनमाफिक घटिया गुणवत्ता विहीन शौचालय का निर्माणकरा दिया जो कि 2019 में बने और 2019 में ही राम नाम सत्य हो गए हैं।
क्योंकि यह शौचालय निर्माण का कार्य केवल कागजों पर पूर्ण हुए हैं हकीकत में नहीं। कागजों में तो पूरा गांव शौचालयो का प्रयोग भी करने लगा है। जब मीडिया टीम मौके पर पहुंची तो हकीकत देख पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई और देखा की जिस ग्राम में 290 शौचालय का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका था मगर वह प्रयोग में लाने लायक नहीं है जिसके कारण लोग पगडंडियों के सहारे खेतों में जाते हैं। इस संबंध में ग्राम प्रधान पति पंकज वर्मा से बात की गई तो उन्होंने डंके की चोट पर सारा ठीकरा ठेकेदार के सर फोड़ दिया। पंकज वर्मा ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी के मंडल अध्यक्ष अमरजीत मौर्य ने शौचालय का पूरा ठेका ले रखा था, उनके द्वारा भ्रष्टाचार हुआ है, उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई होनी चाहिए! मगर सबसे बड़ा सवाल ग्राम प्रधान के ग्राम में अगर शौचालय का निर्माण हो रहा था तो ग्राम प्रधान की भी जिम्मेदारी बनती है कि उन शौचालय की गुणवत्ता का ध्यान रखा जाए मगर सारे शौचालय का फंड पास होने के बाद ग्राम प्रधान ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। ऐसा तो नहीं कि मिलीभगत से मिलकर शौचालय निर्माण की राशि का गबन किया हो और हिस्से में भागीदारी कम हुई हो। अब सवाल यह कि क्या ऐसे भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों के बलबूते स्वच्छ भारत अभियान का सपना साकार हो पायेगा???
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