नरेंद्र इंगले, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
“उठ जाग मुसाफिर भोर भई अब रैन कहा जो सोयत है” पुणे के यरवडा में सत्याग्रह पर बैठे महात्मा गांधी ने सरदार पटेल और महादेव देसाई के सामने गुनगुनाया यह गीत तब जेल के सभी कैदियों ने गाया था। गांधीजी संगीत के बेहद शौकिन थे उनसे जुड़ी यादें और किस्सों को हम कई साहित्य कृतियों के पढ़ने पर समझ सकते हैं लेकिन दुर्भाग्य से पढ़ने की ललक और समझने के विवेक को प्रतिदिन डेढ़ जीबी का डाटा देकर और चैनलों पर बेमतलब की डीबेटस दिखाकर समाज में खत्म किया जा रहा है। नए भारत में दो तरह के भारत रच और बस रहे हैं, एक वो जिसमें आप और हम सब रह रहे हैं दुसरा है विदेशों में रहने वाले अनिवासी भारतियों का भारत जिसे संबोधित करने के लिए आए दिन प्रधानमंत्री मोदी विदेश में जाते रहते हैं। भारत वापस लौटने पर दुनिया में भारत की इज्जत बढ़ने का दावा मोदी जी इस तरह करते हैं जैसे की दुनिया को पहले कभी इंडिया के बारे में पता ही नहीं था। एक सच्चाई यह भी है कि आज से कई सालों पहले वैश्विक स्तर पर भारत को अपनी पहचान दिलाने का काम महात्मा गांधी ने किया है जिसे कोई झुठला नहीं सकता। गौसेवा, जाती उन्मूलन, राष्ट्रवाद, लोकतंत्र, जम्मू कश्मीर, धार्मिक एकता, सार्वजनिक स्वच्छता समेत अन्य कई ऐसे बिंदु हैं जिस पर गांधी ने खुलकर बेबाकी से अपनी राय रखी तब उन्होंने अपनी लोकप्रियता की चिंता नहीं की। आजादी के 70 वर्षों बाद बापू के विचारों को सरकार द्वारा विशेष खाके में फ्रेम कर प्रासंगिकता के रुप में जनता के बीच नई पीढ़ी के सामने लोकप्रियता और खुद के सेकुलर होने के तौर पर परोसे जा रहे हैं। बीते साल स्वच्छ भारत मिशन पर हजारों करोड़ खर्च किया गया अब गांधी की 150 वीं जयंती के उपलक्ष्य में सिंगल यूज प्लास्टिक का नारा दिया गया है। राज्य सरकारों ने कई नई योजनाएं आरंभ की हैं। देशभर के सभी राज्यों में सरकारी कर्मी जी जान लगाकर प्लास्टिक मुक्ति के अभियान में जुट गए हैं। किनगांव स्वास्थ केंद्र की प्रमुख डाॅ मनीषा महाजन जो कि LGBTQ के लिए काम करने वाली निरभ्र निर्भय नामक संस्था का संचालन करती हैं उन्होंने कहा कि बेहतर स्वास्थ के लिए स्वच्छता जरुरी है और प्रत्येक नागरीक को स्वच्छता के प्रती जागरुक रहना चाहिए ताकि स्वास्थ अच्छा रहेगा और स्वास्थ पर खर्च होने वाला पैसा बचाकर हम बच्चों को बेहतर शिक्षा दे सकेंगे। समाज के विभिन्न विषयों को लेकर सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाली डाॅ मनीषा बतौर स्वास्थसेवक ऐसे सकारात्मक कार्यो में लगी हैं। वह समाज में इस तरह के शाश्वत परिवर्तन की पक्षधर हैं जिससे राष्ट्रनिर्माण को गति मिल सकेगी। गांधी जयंती पर नीज थियरी के प्रयोग नुसार लोकप्रियता के लिए लांच हो रही सरकार की सैकड़ों योजनाएं जनजन तक केवल इस लिए पहुंच रही हैं क्योंकि प्रशासन में डाॅ मनीषा महाजन जैसे अन्य अधिकारी इमानदारी से अपने दायित्वों के प्रति कर्तव्यरत हैं। कुछ दिनों पहले दिल्ली की मदर डेयरी द्वारा प्रतिदिन 832 टन प्लास्टिक रीसाइकल करने की अच्छी खबर थी अब इसी से प्रेरीत होकर सरकार को प्लास्टिक मुक्ति अभियान से बाधित होने वाले बेरोजगारों और प्लैन्स पर पड़ने वाले आर्थिक प्रभाव जैसे पहलुओं पर ध्यान देकर यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि प्लास्टिक मुक्ति को रिसायकलींग के प्लैंट में तब्दील कर मोक्ष कैसे दिया जा सकेगा जिससे कि लाखों लोगों का छिनने वाला रोजगार भी बचाया जा सकेगा। मोदी सरकार के मंत्री 2 से 15 अक्तूबर तक 150 की.मी की यात्रा कर जनता तक गांधी के विचार पहुंचाने जा रहे हैं। इस पहल को “मन में गांधी” नाम दिया गया है। अब वाकई इन लोगों के मन में गांधी है या फ़िर दिमाग में कुछ और है इससे लोग भलीभांती परिचित होंगे। वैसे आज ही के दिन इंटरनेशनल काॅफी डे भी है तो गांधी जयंती के बहाने मन में गांधी रखने का दावा करने वाले भाजपा के मंत्रीगण पदयात्रा में चाय पे चर्चा की जगह काॅफी पर भी जरा-सा ध्यान इस लिए दे सकते हैं क्योंकि शायद देश में काॅफी का चलन बढ़ जाए और काॅफी पीकर लोग खुद को थोड़ा ऊँचा महसुस कर लें। हमारे नेताओं ने गांधी की किताबें अवश्य पढीं होंगी जिनका कवर शायद कुछ ज्यादा ही संकीर्ण होगा जैसे कि स्वच्छ भारत के लोगो में चश्मा है और गांधी गायब किए जा चुके हैं। प्लास्टिक मुक्ति अभियान के बाद बापू की 151 वीं जयंती पर नया ट्रेंड लाया जाएगा तब शायद प्लास्टिक मुक्ति अभियान के सफ़लता की कोई रिपोर्ट किसी न्यूज एजन्सी में छपेगी भी या नहीं पता नहीं। वर्तमान राजनिती के लिए अवसरवादी नेताओं की मजबुरी का नाम गांधी हो सकता है लेकिन बापू भारत के महात्मा थे और हमेशा रहेंगे।
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