Edited by Ankit Tiwari, दुर्ग (छत्तीसगढ़), NIT:
“बदलते भारत में संविधान और जन अधिकारों पर हमला : हमारा हस्तक्षेप और विकल्प” पर ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम द्वारा जन कान्वेंशन का आयोजन किया गया।
दुर्ग में आयोजित फोरम के दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद की बैठक के अवसर पर तीर्थराज सभागार में इस जन कन्वेन्शन का आयोजन किया गया । जिसमें फोरम के विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधियों के अलावे छत्तीसगढ़ के कई वरिष्ठ बुद्धिजीवियों, सामाजिक जन संगठनों – ट्रेड यूनियन प्रतिनिधियों और नागरिक समाज के वरिष्ठ जनों के अलावे भिलाई स्टील के मजदूरों व कई लोग शामिल हुए।
कन्वेन्शन को संबोधित करते हुए फोरम की वरिष्ठ नेता कविता कृष्णन ने वर्तमान समय में देश के हर नागरिकों से सतर्क रहने की अपील करते हुए कहा कि केंद्र की वर्तमान सरकार जनादेश का गलत इस्तेमाल कर इस देश के संविधान को ही तहसनहस करके केवल नफरत और उन्माद फैला रही है। लोगों का ध्यान भटकाकर देश लूटने वाले कोर्पोरेटों को दोस्त बता रही है और सवाल उठाने वालों को देशविरोधी करार दे रही है। यहाँ तक कि संसद में इनके गृहमंत्री खुला ऐलान करते हैं कि मैं जो कहूँगा वही सही है और वही सुनना होगा।
कश्मीर दौरे का दर्दनाक हाल बताते हुए कहा कि ये कैसी आज़ादी है जिस राज्य के विशेषाधिकारों को छीनकर और पूरे देश के सामने दुश्मन बताकर वहाँ के मूल निवासियों को सैन्य बलों व कटीले तारों के घेरे में कैद कर दिया गया है। तमाम संचार माध्यमों को ठप्पकर पूरी दुनिया से काट कर कॉर्पोरेट नियंत्रित मीडिया से केवल दुष्प्रचार फैलाकर वहाँ की ज़मीनें कोर्पोरेटों के हवाले करने की ही तैयारी है।
दिल्ली से आए वरिष्ठ पत्रकार सामाजिक कार्यकर्त्ता जॉन दयाल ने कहा कि देश के संविधान ने जो हमारे नागरिक अधिकारों का अश्वाशन हमें दिये हैं वर्तमान सरकार ने उसे पूरी निर्ममता से तोड़ दिया है। काश्मीर इसी का ताज़ा उदाहरण है कि जो करार उनके साथ वर्षों पूर्व हुआ था, एक झटके से तोड़कर उन्हें ही खलनायक बताया जा रहा है। एनआरसी के नाम पर परिवारों तक को तोड़कर जेलों में डाला जा रहा है । सारे अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों पर हमला बोलकर उन्हें अपने ही देश में दुश्मन बताया जा रहा है ।
जाने माने आंदोलनकारी व फोरम के राष्ट्रीय नेता सुनीलम ने फोरम की बैठक में लिए गए आंदोलन के प्रस्तावों की जानकारी देते हुए कहा कि यह प्रचंड बहुमत की नहीं बल्कि ईवीएम की सरकार है । इसीलिए यह पूरे सुनियोजित ढंग से देश के संविधान – लोकतन्त्र को खत्म करने पर तुली हुई है । जो हाल काश्मीर का किया है अब वही हाल बस्तर – छत्तीसगढ़ का भी करेगी । ऐसे में देश जनता को एक नए और वास्तविक विकल्प की तैयारी करनी होगी । सत्ता के हमलों और विभाजनकारी साज़िशों के खिलाफ एक – दूसरे पर विश्वास व साथ को मजबूत करना होगा।
ऐपवा की राष्ट्रीय अध्यक्ष रतिराज ने कहा कि मोदी जी का फास्ट ट्रैक विकास केवल मंदी और विनाश ला रहा है । इनके नेताओं की ओछी मानसिकता कश्मीरी बच्चियों को लेकर दिये जा रहे घृणित बयानों में दीखता है और मोदी 15 अगस्त को लाल किले से महिला सा सशक्तिकरण कि बात करते हैं।
सामाजिक कार्यकर्त्ता बेला भाटिया ने केंद्र की सरकार पर लोकतन्त्र को खत्म कर मिलिट्राइजेशन राज थोपने का आरोप लगाते हुए कहा कि जहां जहां राष्ट्रीयताओं का आंदोलन चल रहा है उसे देश विरोधी करार देकर कुचला जा रहा है । बस्तर के संगीन हालात इसी के उदाहरण हैं ।
हिंदुस्तान स्टील इंपलाइज यूनियन ( सीटू ) के मजदूर नेता डीबीएस रेड्डी ने कहा कि ऐसा अजीबो गरीब – डरावने हालत पैदा किए जा रहें हैं जिसमें संसद तक की भाषा बादल गयी है । गृहमंत्री सदन में दादागिरी के अंदाज़ में बात करते हैं । लोगों का ध्यान इसपर नहीं जाये इसके लिए तरह तरह से भटकाया जा रहा है । ऐसे में वाम जनवादी व लोकतन्त्र पसंद ताकतों को छोडकर कोई भरोसेमंद विकल्प नहीं हो सकता।
जन कन्वेन्शन को छत्तीसगढ़ नागरिक सहयोग समिति के अखिलेश एडगर , छत्तीगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के आई के वर्मा , हिन्द मजदूर सभा के वज़ी अहमद तथा आप पार्टी की अरसिया आलम समेत कई अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया।
कन्वेन्शन का संचालन फोरम के बृजेन्द्र तिवारी ने किया और जन संस्कृति मंच के अनिल अंशुमन ने जनगीत पेश किए।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts to your email.