अशफाक कायमखानी, सीकर (राजस्थान), NIT;
राजस्थान के सीकर शहर से बडी तादाद में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने आजादी के पहले से लेकर आज तक लगातार मुम्बई जाकर भवन निर्माण से जूड़कर अपने परिवार के ठीक से जीवन जीने के लिये धन कमाने के लिये कड़ी मेहनत करके अपना एक मुकाम बनाने के बावजूद उन्होंने हमेशा सीकर में मौजूद नागरिकों में शिक्षा को आम करने का निरंतर काम भी किया है, जिसके कारण समुदाय की शैक्षणिक हालात पहले के मुकाबले काफी बेहतर नजर आ रही है।हालांकि पहले मुम्बई प्रवासियों ने इस्लामिया स्कूल के मार्फत फिर इसके साथ साथ बस्ती स्तर पर जगह जगह तालीमी इदारे कायम करके समुदाय में शैक्षणिक माहौल बनाने में अहम किरदार अदा किया है। इसके अलावा पिछले बीस पच्चीस सालों से तो मुम्बई प्रवासियों ने सामुहिक तौर के अलावा निजी तोर पर भी शैक्षणिक इदारे कायम करके समाज में शैक्षणिक बदलाव में इंकलाब ला दिया है। मुम्बई में मुकीम सीकर के लोगों की “बज्म-ए-अहबाब” नामक एक सामाजिक संस्था के कारकूनों द्वारा सीकर शहर में लड़के व लड़कियों की सामूहिक व अलग अलग अनेक शैक्षणिक संस्थाओं का सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है। इसी संस्था के जुड़े एक सज्जन ने अपनी बचत से “मुस्लिम सीनियर गलर्स स्कूल” के भवन पर अच्छा खासा धन लगाकर बडा बदलाव करते हुये शानदार भवन का निर्माण करवाया है। जबकि इससे पहले संस्थागत स्तर पर “बज्म-ए-अहबाब” सीनियर स्कूल का आधुनिक सुविधाओं वाला भवन भी निर्मित हो चुका है।बज्म-ए-अहबाब की तरह ही मुम्बई में मुकीम एक पुरखुलूस शख्स ने “ऐक्सीलेंस फाऊंडेशन” नामक चेरिटेबल ट्रस्ट बनाकर उसके तहत सीकर की बेटियों में तालीमी बदलाव लाने की गरज से “ऐक्सीलेंस गलर्स स्कूल व कॉलेज” का सभी आधुनिक आवश्यकताओं यूक्त आलीशान भवन बनाकर उसमें आलातरीन फेकेल्टीज का इंतेजाम करके जो अंग्रेजी माध्यम की तालीम का पूख्ता काम सालों पहले शूरु करने से मानो सीकर में गलर्स ऐजुकेशन में क्रांति लाकर समाज को पूरी तरह रचनात्मक पहलू से बदल कर रख दिया है।
कुल मिलाकर यह है कि आज के समय में मुम्बई में मुकीम सीकर वासियों द्वारा गठित बज्म-ए-अहबाब व ऐक्सीलेंस फाऊंडेशन नामक संस्थाओं ने अपने स्तर पर संचालित तालीमी इदारों के मार्फत धन खर्च करके एवं आफताब वेल्फेयर ट्रस्ट ने इस्लामिया स्कूल के मार्फत धन खर्च करके सीकर शहर के आम नागरिकों के लिये मौजूदा समय में शैक्षणिक क्षेत्र में बडा बदलाव लाने का काम किया है एवं कर रहे हैं।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts to your email.