नोटबंदी-बरसी: आइये अपनी बर्बादी का जश्न मनाएं, आइये सेलिब्रेट करें!!! | New India Times

Edited by Arshad Aabdi, NIT; ​नोटबंदी-बरसी: आइये अपनी बर्बादी का जश्न मनाएं, आइये सेलिब्रेट करें!!! | New India Times

लेखक : सैय्यद शहनशाह हैदर आब्दी

आइये, अपनी बरबादी का जश्न मनायें,आइये सेलिब्रेट करें; आज के दिन आतंकवाद की कमर टूट गई थी?काला धन समाप्त हो गया था? नकली नोट छपने बंद हो गये थे? भ्रष्टाचार की क़ब्र खुद गई थी?

नहीं – आज के दिन सिर्फ नोट बंदी हुई थी।
नोट बंदी की वर्षगांठ पर आज देश में कांग्रेस, विपक्ष और आम ग़रीब हिंदुस्तानी इसे “काला दिन” के रूप में मना रहा है और केंद्र सरकार इसे “कालाधन दिवस” के विरोध के रूप में मना रही है।
पूर्व प्रधान मंत्री और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह जी, भाजपा के यशवंत सिन्हा जी, अरुण शौरी जी नोटबंदी और जीएसटी को देश की अर्थ व्यवस्था के लिए घातक बता रहे हैं । 
केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली इसे देश की अर्थव्यवस्था के इतिहास की ऐतिहासिक घटना बता रहे हैं।​नोटबंदी-बरसी: आइये अपनी बर्बादी का जश्न मनाएं, आइये सेलिब्रेट करें!!! | New India Timesयह अर्थव्यवस्था की ऐतहासिक सुनहरी घटना है ,या अर्थव्यवस्था को छिन्न ,भिन्न और व्यापार, रोजगार और आम आदमी पर संकट बरपा करने वाली बहुत भयानक जानलेवा दुर्घटना है।

इस सम्बन्ध में अर्थशास्त्र के विशेषज्ञों की रायें भिन्न भिन्न हैं।
नोट बंदी के समय ऐसा घोषित किया गया था:-   कालाधन वापस आएगा, हर एक देशवासी की जेब में 15 लाख रुपया पहुंच जाएंगे, मंहगाई कम हो जायेगी, भ्रष्टाचारियों पर लगाम लगेगी, रिश्वतखोरी बंद हो जाएगी।

 नोट बंदी की बर्षगांठ पर आज देश में कांग्रेस इसे कालादिन के रूप में मना रही है और केंद्र सरकार इसे कालाधन दिवस के विरोध के रूप में मना रही है। पूर्व प्रधानमंत्री और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री नोट बंदी और जीएसटी को देश की अर्थ व्यवस्था के लिए घातक बता रहे हैं, दूसरी ओर केंद्रीय वित्तमंत्री इसे देश की अर्थव्यबस्था के इतिहास की ऐतहासिक घटना बता रहे हैं।  यह अर्थव्यवस्था की ऐतहासिक सुनहरी घटना है या अर्थव्यवस्था को छिन्न ,भिन्न और व्यापर ,रोजगार और आम आदमी पर संकट वरपा करने वाली बहुत भयानक जानलेवा दुर्घटना है। इस सम्बन्ध में अर्थशास्त्र के विशेषज्ञों की रायें भिन्न भिन्न हैं। नोट बंदी के समय ऐसा घोषित किया गया था ,—– कालाधन वापिस आएगा ,प्रत्येक भारत बासी की जेब में १५ लाख रुपया पहुँच जाएंगे , महंगाई कम हो जायेगी, भ्रष्टाचारियों पर लगाम लगेगी रिश्वत खोरी समाप्त होगी, आदि आदि |  
ऐसा कुछ हुआ है ?
फ़िलहाल ऐसा कुछ नहीं हुआ है ।सारे दावे हवा हवाई साबित हुए हैं। मंहगाई बेतहाशा बढ़ी। छोटे व्यापार नष्ट हो गये, रोज़नदारी मज़दूरों और कामगारों को काम मिलना बंद हो गया। रिश्वतखोरी में बढ़ोत्तरी हुई है , रिश्वत खोरों के रेट बढ़ गये हैं। कोई भी काम बिना रिश्वत के आज भी नहीं होता है। इसका अनुभव जब आता है ,जब कोई सरकारी काम के लिए जाता है।

 मोदी जी कहते हैं ,उनकी सरकार देश हित में कड़े फैसले ले रही है। उनकी सरकार को ७० साल का पिछली सरकारों द्वारा फैलाया गया कूड़ा करकट साफ़ करना पड़ रहा है। देश तेजी से विकास कर रहा है। अच्छे परिणाम २०२२ में आएंगे।  गरीबी मिट जायेगी ,भ्रष्टाचार समाप्त हो जाएगा ,सभी लोगों को सुखी जीवन की प्राप्ति होगी।कांग्रेस का नाम सिर्फ इतिहास की किताबों में देखने को मिलेगा, यह झूठ की पराकाष्ठा है।​​
नोटबंदी-बरसी: आइये अपनी बर्बादी का जश्न मनाएं, आइये सेलिब्रेट करें!!! | New India Timesदेश में पूंजीवादी राजनीतिक व्यवस्था लागू की जा रही है। देश का यह पहला प्रधानमंत्री है जिसकी हर सुख-सुविधा का ख़्याल़् उसके चहेते उद्योगपति और उनके परिवार वाले रख रहे हैं। इसके बदले मोदी जी अपने पद का भरपूर उपयोग कर उन्हें व्यवसायिक लाभ पहुंचाने में पीछे नहीं हैं। आम आदमी की क़िस्मत में सिर्फ जुमलेबाज़ियां और झूठे दिलासे हैं।

काश, हम धर्म जाति की संकीर्ण राजनीति से ऊपर उठकर सिर्फ देश और देशवासियों कि हित की रक्षा कर सकें। सच देख और सुन कर झूठों का मुंह काला कर सकें।

“न संभले तो मिट जाओगे, हिंदुस्तां वालों,

तुम्हारी दास्तां भी न होगी दास्तानों में।” 


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