केला-हल्दी महोत्सव केला उत्पादक किसान, रिसर्चर और उद्योगों को जोड़ने का कर रहे हैं प्रयास: अर्चना चिटनिस | New India Times

मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, ब्यूरो चीफ, बुरहानपुर (मप्र), NIT:

केला-हल्दी महोत्सव केला उत्पादक किसान, रिसर्चर और उद्योगों को जोड़ने का कर रहे हैं प्रयास: अर्चना चिटनिस | New India Times

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी के आव्हान पर ‘‘एक जिला-एक उत्पाद‘‘ के तहत हम बुरहानपुर के केले को देश-दुनिया के नवाचारों से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। एक समय था, जब हमारे यहां 9 हजार एकड़ में केले की खेती होती थी किंतु आज 24 से 25 हजार एकड़ में केले की खेती हो रही हैं। इससे अब हमारी जिम्मेदारी बढ़ गई कि बढ़े हुए केला उत्पादन को आवश्यक मार्केट प्रदाय करें। प्रधानमंत्री जी अग्रो बेस्ड इंडस्ट्रीज की बात करते हैं। उसी का अनुसरण कर हम यहां केला उत्पादक किसान, रिसर्चर और उद्योगों को जोड़ने का प्रयास कर रहे। आज का यह आयोजन इस दिशा में एक कदम है।

यह बात भाजपा प्रदेश प्रवक्ता एवं पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने केला-हल्दी महोत्सव का शुभारंभ करते हुए कही। इस अवसर पर सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल, नेपानगर विधायक सुश्री मंजू दादू, कलेक्टर श्रीमती भव्या मित्तल, जिला पंचायत उपाध्यक्ष गजानन महाजन सहित समस्त जनप्रतिनिधि व गणमान्य नागरिकगण उपस्थित रहे। इस अवसर पर आयोजित केले से निर्मित उत्पादों की प्रदर्शनी का भी शुभारंभ कर स्टॉलों का निरीक्षण किया।

बनाना फेस्टिवल में बुरहानपुर जिले के केले और उसके रेशे से निर्मित वस्तुएं, खाद्य उत्पाद एवं अन्य टेराकोटा, कपड़ा, लेदर, हर्बल उत्पाद निर्माताओं के प्रदर्शनी स्टॉल लगाए गए। इसी प्रकार श्रीमती चिटनिस ने सायंकाल में केले व्यंजन प्रतियोगिता का भी शुभारंभ किया। प्रतियोगिता में गृहणी एवं रेस्टारेंट के व्यक्तियों ने सहभागिता की। मीठा एवं नमकीन दो श्रेणी में आयोजित प्रतियोगिता के प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया। बनाना फेस्टिवल में एक जिला-एक उत्पाद अंतर्गत केले से निर्मित अन्य उत्पाद, उसकी मार्केटिंग, पैकेजिंग, प्रोसेसिंग जैसे अन्य प्रक्रियाओं से रू-ब-रू हो रहे है।

बनाना फेस्टिवल में केले के प्रसंस्करण में तकनीक, अन्वेषण एवं ब्रिक्री की संभावनाओं पर भी विचार-विमर्श किया गया। भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए, केले के रेशे से हस्त शिल्प उत्पाद, केले का रेशा, कपड़ा एवं विविध खाद्य उत्पादों पर विचार एवं निवेशों का स्वागत हेतु चर्चा की गई।
विधायक श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि हम बुरहानपुरवासी सौभाग्यशाली है कि हमारी अर्थव्यवस्था ताप्ती मैया, यहां की माटी, हमारे किसान की मेहनत और केले की फसल की वजह से है। केले की फसल ने जिले के किसानों को समृद्ध बनाने और जिले की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अभूतपूर्व योगदान दिया है।

यह केला-हल्दी उत्सव हमारे केला उत्पादक किसानों को नवाचारों के साथ जोड़ने का प्रयास है, जिसके माध्यम से हम केला प्रसंस्करण के नवीन प्रयोग कर किसानों को लाभ दिलाने का उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के ‘‘एक जिला-एक उत्पाद‘‘ कार्यक्रम का उद्देश्य स्थानीय उत्पादनों के माध्यम से प्रत्येक क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को सृदृढ़न और गतिशील बनाने का कार्य किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत बुरहानपुर जिले के लिए केला  के साथ-साथ हल्दी को शामिल किया गया है। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि जिले में केले के बाद सर्वाधिक उत्पादन वाली फसल हल्दी है।

केले और हल्दी दोनों ही फसलों की प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन की गतिविधियों से इन्हें उगाने वाले किसानों की आय में और वृद्धि होने की अपार संभावनाएं है। प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन के लिए निजी निवेश आमंत्रित करके स्थानीय लोगों को रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सकता है। इसके लिए केले के फाइबर से टेक्सटॉइल व अन्य वस्तुओं के निर्माण की गतिविधियों को महज शोकेस से निकालकर इनका उत्पादन वाणिज्यिक स्तर पर करने की आवश्यकता है और इस बात को ध्यान में रखते हुए केला-हल्दी महोत्सव का आयोजन किया गया है।

श्रीमती अर्चना चिटनिस ने बताया कि बुरहानपुर जिले में 27.36 लाख टन केले का वेस्ट प्राप्त होता है यानी 7500 टन प्रति दिवस केला वेस्ट प्राप्त होता है। वर्ष 2020 में एक जिला एक उत्पादन योजना अन्तर्गत जिला बुरहानपुर मे केला फसल को चिन्हित किया गया और वर्ष 2024 तक पीएमएफएमई योजना अंतर्गत कुल 135 यूनिट स्वीकृत कराई गई थी। उन्होंने बताया कि जिले में उद्यानिकी फसलें 33.47 हजार हेक्टेयर में उगाई जाती है जिनका उत्पादन लगभग 1915 हजार टन होता है।

उगाई जाने वाली प्रमुख नकदी फसलें फल, सब्जियां, फूल, औषधीय और सुगंधित पौधे और मसाले है। केला, अदरक और हल्दी बुरहानपुर जिले में मुख्य आय पैदा करने वाली फसल है। इन फसलों के तहत अनुमानित क्षेत्र 24,729 हेक्टेयर 220 हेक्टेयर, 1672 हेक्टेयर है तथा उत्पादन क्रमशः 17,31,030 मीट्रिक टन, 4,375 मीट्रिक टन और 43,881 मीट्रिक टन है। जिले में लगभग 25 हजार हेक्टेयर में केले की खेती होती है। जिले मेें उत्पादित हल्दी की करक्यूमिन सामग्री को देश में सबसे अधिक माना जाता है।


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