गुलशन परूथी, ग्वालियर (मप्र), NIT:
प्रेस्टीज प्रबंधन एवं शोध संस्थान, ग्वालियर ने अपनी बहुप्रतिष्ठित अन्तर्राष्ट्रीय काॅन्फ्रेंस के 15वें संस्करण के सफल समापन के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक नया योगदान शिक्षा एवं व्यवसायिक जगत को दिया। काॅन्फ्रेंस का आयोजन आनलाइन/आफलाइन, हाईब्रिड मोड पर किया गया। इस काॅन्फे्रंस के माध्यम से प्रेस्टीज प्रबंधन संस्थान ग्वालियर ने षोक्षाविदों, औद्योगिक जगत से विषेशज्ञों एवं शोधार्थियाँ को एक साझा मंच प्रदान कर उन्हें एक सूत्र में पिरोने में सफलता प्राप्त की एवं पुनः एक नया आयाम स्थापित किया है। इस अंतर्राष्ट्रीय काॅन्फ्रेंस के माध्यम से प्रतिभागियों को वर्तमान परिदृष्य से स्वतः को जोड़ने एवं नये तथ्यों के साथ विभिन्न सामाजिक, प्रबंधकीय एवं षोध के अन्य संदर्भो पर अपने षोध कार्यों को प्रस्तुत करने का अवसर प्राप्त हुआ।
काॅंन्फ्रेंस के समापन सत्र में प्रेस्टीज प्रबंधन एवं शोध संस्थान, ग्वालियर के निदेषक एवं 15वां अंतर्राष्ट्रीय काॅंन्फ्रेंस पैट्रन डाॅ. डेविश जैन, चैयरमेन प्रेस्टीज एज्यूकेशन फाउण्डेशन ने अपने उद्बोधन में आनलाइन के माध्यम से कहा कि प्रेस्टीज एज्यूकेशन फाउण्डेशन के बैनरतले इस तरह के आयोजन भविष्य में भी होते रहेंगे जिससे कहीं न कहीं शिक्षा जगत को एक सार्थक योगदान भी होगा एवं सामाजिक उत्तरदायित्व की भी पूर्ति हो सकेगी। वहीं युवा छात्र-छात्राओं को भी प्रेक्ट्रीकल एक्स्पोजर मिलेगा जो उनके लिये लाभदायी सिद्ध होगा।
प्रेस्टीज प्रबन्धन एवं शोध संस्थान, ग्वालियर के निदेशक डाॅ. निशांत जोशी ने अंतर्राष्ट्रीय काॅन्फ्रेंस के समापन सत्र के दौरान सदन को संबोधित करते हुए कहा कि वर्ष 2024 की यह अंतर्राष्ट्रीय काॅन्फ्रेंस इसलिए और भी विषेश बन चुकी है क्योंकि इस बार प्रेस्टीज प्रबंधन एवं शोध संस्थान, ग्वालियर की यह 15वां अंतर्राष्ट्रीय काॅन्फ्रेंस ष्थ्वेजमतपदह प्दकनेजतल। बंकमउपं च्ंतजदमतेीपच वित क्तपअपदह प्ददवअंजपवददक जतंजमहप्रपदह ज्तंकम – प्दकनेजतलष् मुख्य विषय पर आयोजित की गई जिसमें इंडोनेशिया, यू.के., आस्ट्रेलिया, दुबई, तुर्की, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, साउथ अफ्रीका आदि देशों से अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागियों ने प्रतिभागिता दी एवं अपने शोध पत्र भी प्रस्तुत किये। इससे यह स्वतः ही स्पष्ट हो जाता है, कि प्रेस्टीज प्रबंधन संस्थान, ग्वालियर द्वारा आयोजित की गई अंतर्राष्ट्रीय काॅन्फ्रेंस प्रत्येक वर्ष की तरह इस 15वें संस्करण में भी अत्यधिक सराही गई।
आज के समापन सत्र में एक पैनल डिशकशन आयोजित किया गया। इसके सह संयोजक विशेष उपमन्यू थे एवं गौरव जैशवाल थे। उन्होंने बताया कि इस पैनल डिशकसन का विषय अकेदमिया एवं इण्डस्ट्री के बीच जो गैप है उसको कैसे भरा जाए। इस पैनल डिसकशन में मुख्य रूप से उद्घाटन सत्र में उपस्थित रहे। उद्घाटन सत्र में उपस्थित रहे श्री आशीष वैश्य, एल्युमिनाई आफ आई.आई.एस.सी, बैंगलोर एण्ड आई.आई.एम. कलकता ने बताया कि हमें इण्डस्ट्री एवं अकेदमिया के बीच की खाई को भरने के लिए यह जानना बहुत आवश्यक है, कि इण्डस्ट्र क्या चाहती है और अकेदमिया क्या दे रही है। हमें प्रायोगिक शिक्षण पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए एवं शिक्षण संस्थानों को इण्डस्ट्री को एक रेगुलर फैकल्टी के तौर पर रखना चाहिए जिससे कि वो छात्र-छात्राओं को इण्डस्ट्री के लिए तैयार कर सके।
उद्घाटन सत्र में उपस्थित रहे श्री अंकित कटरोड़िया, ऐसासिएट प्रोफेसर नाॅर्थ वेस्ट यूनिवर्सिटी साउथ अफ्रिका ने बताया कि छात्र-छात्राओं को 30-45 दिन की जगह कम से कम एक वर्ष की इन्टर्नशिप करवानी चाहिए ताकि वो अच्छे से इण्डस्ट्री की माँग को समझ सके एवं काॅर्पोरेट रेडी बन सके।
चूंकि एम.बी.ए. एक थियोरेटिकल का प्रायोगिक डिग्री ज़्यादा है इसलिए उन्हें प्रायोगिक ज्ञान ज़्यादा देना चाहिए।
समापन सत्र में उपस्थित डाॅ. अरहान स्थापित, पी.एच.डी. इन मैनेजमेंट फ्राॅम जे.एन.यू. ने बताया कि हमें ऐसे रिसर्च प्रोजेक्ट तैयार करने चाहिए जो प्रायोगिक हो जिसमें सुपरवाइजर के तौर पर एक इण्डस्ट्रीलियस्ट को इस रिसर्च प्रोजेक्ट की टीम में सम्मिलित करना चाहिए ताकि वह लोग एक साथ मिलकर एकेडमिया और इण्डस्ट्री की इस खाई को भर सके।
समापन सत्र में उपस्थित रहे श्री मशरूर सालिकिन जी ने बताया कि शिक्षण संस्थाओं को ऐसे शिक्षकों को नियुक्त करना चाहिए जो इण्डस्ट्री में काम कर चुके हो ताकि वो अपने इण्डस्ट्री के ज्ञान को छात्रों के साथ साझा कर सके एवम् इण्डस्ट्री और अकेदमिया पार्टनरशिप में मदद् कर सके।
समापन सत्र में उपस्थित रहे प्रो. डाॅ. रविन्द्र रैना ने बताया कि हमें ई-सैल डेवलप करने चाहिए ताकि छात्र-छात्राओं को उसी ई-मैल में आने वाले उद्योगपतियों एवं उद्यमियों से कुछ सीखने से कुछ सीखने को मिल सके एवं वह इसे ज्ञान का उपयोग अपने स्टार्टअप में कर सकें।
समापन सत्र में उपस्थित श्री मुदित ठक्कर ने बताया कि एक शिक्षण संस्था के पास खुद की कंपनी होनी चाहिए जिससे वो छात्र-छात्राओं को पढ़ाई जाने वाली किताबी ज्ञान को प्रायोगिक रूप से अमल में लाना सिखा सके।
समापन सत्र में उपस्थित श्री अंजू कोहली ने बताया कि छात्र-छात्राओं को अपने मन पसंदीदा विषय को चुनना चाहिए और इसी रास्ते पर अपने करियर को निर्मित करना चाहिए।
समापन सत्र में उपस्थित श्री कृष्णकांत चतुर्वेदी ने पूरे पैनल डिसकशन को मोडरेट किया। जिसमें उन्होंने सभी अतिथियों से प्रश्न किए जिसमें सभी अतिथियों ने काफी सूझ-बूझ से जवाब भी दिए और उन्होंने सभी छात्र-छात्राओं को एकेडमिक के बाद उद्यमी बनने पर भी जोर दिया।
अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान ही प्रेस्टीज प्रबंधन एवं शोध संस्थान ग्वालियर ने दिनांक 5 जनवरी 2024 को पाँचवा ग्लोबल केस काॅम्पटीशन का आयोजन भी किया। जिसका मुख्य उद्देश्य सभी शोधार्थी तथा छात्र-छात्राओं को केस स्टडी के माध्यम से उनकी शोध की समझ को बेहतर बनाना रहा। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री मोहम्मद गौस, फाउंडर डाटानियम एल.एल.पी. बैंगलूर तथा कार्यक्रम के पेनालिस्ट के रूप में डाॅ. सचिन मित्तल, ऐसासिएट प्रोफेसर, डिपार्टमेन्ट आफ मैनेजमेंट स्टडीज एण्ड रिसर्च मुम्बई तथा डाॅ. प्रियम्वदा तिवारी, ऐसासिएट प्रोफेसर, डिपार्टमेन्ट आफ लाॅ पी.आई.एम.आर., इन्दौर रही। कार्यक्रम के दौरान 100 से ज्यादा प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया जिसमें प्रथम विजेता के रूप में हर्षित जैसवाल, महिमा माहेश्वरी तथा आशी मंगल, द्वितीय विजेता के रूप में डाॅ. अरीनधम साहा तथा तृतीय विजेता के रूप में नम्रता किसनानी को चुना गया और सभी विजेताओं को नगद पुरस्कार दिया गया।
आज काॅन्फ्रेंस के दूसरे दिन 5 तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया जिसमें 2 आफलाइन तथा 3 आनलाइन है। यह जानकारी काॅन्फ्रेंस के संयोजक डाॅ. अभय दुबे ने दी। आज समापन सत्र के दौरान देश-विदेश से शिक्षाविद तथा इण्डस्ट्रीय उपस्थित रहे। समापन सत्र में आभार अभय दुबे ने किया।
इस बूट कैम्प का विषय ‘‘कैम्पस टू काॅर्पोरेट’’ था तथा मुख्य उद्देश्य सभी छात्र-छात्राओं को उनकी भविष्य की संभावनाओं के लिए तैयार करना है। इन सब को सीखकर अपने दिन प्रतिदिन जीवनचर्या में उपयोग करे और एक अच्छे प्रबंधक बन सके।
बूट कैम्प के रिसोर्स पर्सन कैप्टन भूपेन्द्र जीत सिंह ने छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि कैम्पस से काॅर्पोरेट जीवन में जाने के लिए परिर्वतन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह शैक्षणिक वातावरण से पेशेवर वातावरण में बदलाव का प्रतीक है। इसमें कार्यस्थल की अपेक्षाओं को अपनाना व्यवहारिक कौशल विकसित करना और पेशेवर दृष्टिकोण विकसित करना शामिल है, जो एक सफल करियर के लिए आवश्यक है।
इस बूट कैम्प के संयोजक सहायक प्राध्यापक संजय गुप्ता एवं सहायक प्राध्यापक विवेक श्रीवास्तव थे।
प्रो. (डाॅ.) योगेश उपाध्याय, हेड एण्ड डीन जीवाजी यूनिवर्सिटी अंतर्राष्ट्रीय काॅन्फ्रेंस के समापन सत्र में उपस्थित रहे। उन्होंने बताया कि ये मंच विविध सांस्कृतिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि के पेशेवरों, विद्वानों और विशेषज्ञों को एक साथ लाते हैं जो अभुतपूर्व अनुसंधान, नवीन प्रयासों ओर उभरते रुझानों को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करते है। प्रतिभागियों को अंतर सांस्कृतिक प्रबंधन चुनौतियों में अंतर्दृष्टि प्राप्त होती है, जो वैश्विक व्यापार गतिशीलता की व्यापक समझ में योगदान देती है।
समारोह की सहनिदेशिका डाॅ. तारिका सिंह सिकरवार ने बताया कि इंडस्ट्रीयल सेक्टर की चुनौतियों का समाधान इस काॅन्फ्रेंस के माध्यम से इंडस्ट्रीज को देने का प्रयास किया जायेगा। निश्चित ही रिसर्च पेपर्स के द्वारा जो विकल्प निकलकर आयेंगे उन्हें धरातल पर लाने का भी प्रयास किया जायेगा।
अंतर्राष्ट्रीय काॅन्फ्रेंस के समापन के अंतिम छड़ों में प्रेस्टीज प्रबंधन एवं शोध संस्थान, ग्वालियर के द्वारा संस्थान में अध्ययनरत पूर्व छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया जिन्होंने संस्थान में अध्ययनत सर्वोच्च अंक अर्जित किये जिनका वर्णन कुछ इस तरह से है –
अंक अर्जित किये जिनका वर्णन कुछ इस तरह से है –
1. अंकित मिश्रा एम.बी.ए. इंटीग्रेटेड
2. याशी मुदगल, बी.ए. एल.एल.बी. (आॅनर्स)
3. नम्रमा श्रीवास्तव बी.बी.ए. एल.एल.बी. (आॅनर्स)
4. निविदिता देव, एम.बी.ए (इंटीग्रेटेड)
5. इशू यादव, बी.ए. एल.एल.बी. (आॅनर्स)
6. गुप्ता नेहा रमेश, बी.काॅम. एल.एल.बी. (आॅनर्स)
7. निशा शर्मा, बी.काॅम. एल.एल.बी. (आॅनर्स)
8. आदित्य सिकरवार, बी.बी.ए.
9. नेहा शर्मा, बी.बी.ए.
10. मैत्री परमार, बी.काॅम. (सी.एम.)
11. स्तुती जैन, बी.काॅम. (ईको)
12. जानवी काशीवाल, बी.काॅम. (आॅनर्स)
13. सोफिया खान, बी.एस.सी. (आॅनर्स)
14. अजेता सिंह, एल.एल.एम.
15. हिमांशी श्रीवास्तवा, एम.बी.ए.
16. मुस्कान नागरिया, एम.बी.ए. (बी.ए.)
तथा बेस्ट फैकल्टी अवार्ड से सहायक प्राध्यापिका निधि जैन को सम्मानित किया गया तथा बेस्ट पेपर अवार्ड पूजा मेहता, सेजल गुलाटी, पूजा मेहवाला, अभय मिश्रा, डाॅ. कीर्ति रतन, आशि गुप्ता, वैभव, अजाक अहमद को दिया गया तथा बेस्ट पी.एच.डी. अवार्ड राहुल गायकवाड़ को दिया गया। प्रेस्टीज प्रबंधन एवं शोध संस्थान, ग्वालियर में टीचिंग करते हुए पी.एचडी. पूरी करने के लिये डाॅ. नितिन पहारिया, डाॅ. के.के. यादव तथा डाॅ. अम्रता भदौरिया तथा डाॅ. प्रियंका चावला को सम्मानित किया गया तथा संस्थान में कार्यरत डाॅ. अभय दुबे 10 वर्ष, डाॅ. प्रवीण आरोनकार 10 वर्ष, प्रेम नारायण पटेल 20 वर्ष तथा आर.एस. भदौरिया को 25 वर्ष पूरे होने पर सम्मानित किया गया।
काॅंन्फ्रेंस के समापन सत्र के अंतिम चरण में डाॅ. अभिजीत चैहान ने सभी प्रतिभागियो, उपस्थित विषेषज्ञो एवं अतिथियों, शोधार्थियों तथा मीडिया एवं पत्रकार बंधुओं को धन्यवाद प्रेषित किया एवं अगले वर्ष 2025 में आयोजित होने वाली 16वीं अंतर्राष्ट्रीय काॅंन्फ्रेंस में प्रतिभागिता के लिए आंमत्रित किया। इस दौरान संस्थान के सभी प्राध्यापकगण, स्टाॅफ सदस्य उपस्थित रहे।
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