कासिम खलील, बुलढाणा (महाराष्ट्र), NIT; शासकीय कामों को नियमों की सीमा में रह कर ही करना पड़ता है। यदि नियमों का उल्लंघन किया जाए तो उसका खमियाजा भी भुगतना पड़ता है। सरकारी कामों में की जाने वाली जालसाज़ी, धोखाधड़ी और भरष्टाचार आज नहीं तो कल ज़रूर सामने आता है।
इन दिनों बुलढाणा का जिला आपूर्ति विभाग काफी चर्चा में आया हुआ है। ज़िले भर में राशन अनाज की कालाबाज़ारी की घटनाएं सामने आ रही है। सरकारी अनाज की कालाबाज़ारी करने वाले कुछ राशन दुकानदार और अनाज की ढुलाई के ठेकेदार गुप्ता पर जिले के विविध पुलिस थानों में अपराध भी दर्ज है। अब तो राशन ढुलाई के ठेकेदार गुप्ता की एक और जालसाज़ी सामने आ गई है। दरअसल जिस 70 लाख की ‘सॉल्वेंसी’ के आधार पर 3 साल के लिए राशन के अनाज की यातायात का ठेका लिया गया है दरअसल वो ‘सॉल्वेंसी’ अमरावती के जिलाधीश को गुमराह कर बनाई गई है जो कि वैध नही बल्कि अवैध होने धक्कादायक जानकारी ‘NIT’ के हाथ लगी है।महाराष्ट्र शासन के अन्न नागरी आपूर्ति व ग्राहक संरक्षण विभाग ने मार्च 2016 में बुलढाणा जिले के राशन अनाज ढुलाई के ठेके के लिए निविदा निकाली थी, जिसमें विविध 3 ट्रांसपोर्ट कंपनियों ने काम करने के लिए इच्छा व्यक्त करते हुए अपने दाम शासन को पेश किये थे, किंतु सबसे कम दाम श्रीनाथ ट्रांसपोर्ट कंपनी, अमरावती का निविदा में दर्ज होने के कारण यह काम ‘श्रीनाथ’ को मिल गया। ठेकेदार को राशन का अनाज खामगांव स्थित एफसीआई के गोदाम से तालुका स्तरीय गोदाम तथा तालुका स्तरीय गोदाम से ‘द्वार पहुंच’ योजना के तहत ग्रामीण व नागरी क्षेत्र की राशन की दुकानों तक पहुंचाने का काम करना था। ठेका श्रीनाथ ट्रांसपोर्ट कंपनी को मिलने के बाद शासकीय नियम के अनुसार उसे बैंक गारंटी देनी थी, जिसके तहत श्रीनाथ ट्रांसपोर्ट के मालिक पन्नालाल चोखेलाल गुप्ता निवासी अमरावती ने अमरावती जिलाधीश के पास अपनी निवासी प्रॉपर्टी के ऊपर सॉल्वेंसी बनाने के लिए 1 सितंबर 2016 को आवेदन और जरूरी कागजात दाखिल किए थे। अमरावती जिलाधीश ने 6 सितंबर को सॉलवेंसी जारी कर दी। यह सोल्वेंसी ठेकेदार गुप्ता ने 21 सितंबर को बुलढाणा जिलाधीश को दी जिसके बाद प्रत्यक्ष रुप से राशन अनाज के यातायात का काम गुप्ता ठेकेदार ने आरंभ कर दिया। शासन नियम के अनुसार बिना बैंक सुरक्षा के ठेकेदार को यह ठेका नहीं मिल सकता था, इसीलिए ठेकेदार गुप्ता ने अपनी निवासी प्रॉपर्टी पर सॉल्वेंसी बनाई किंतु सनसनीखेज खुलासा यह सामने आया है कि जिस निवासी प्रॉपर्टी पर यह सॉल्वेंसी बनाई गई है दरअसल वह प्रॉपर्टी पहले से ही खामगांव अर्बन बैंक की अमरावती स्थित इतवारा शाखा में 80 लाख रुपए में गिरवी रखी हुई है। इससे यह साफ जाहिर हो रहा है कि श्रीनाथ ट्रांसपोर्ट के मालिक गुप्ता ने फर्जी दस्तावेज़ तैयार करके अमरावती जिलाधीश के समक्ष पेश किए और इन्हीं फर्जी दस्तावेजों को सच मानते हुए अमरावती जिलाधीश ने 70 लाख की सॉलवेंसी बनाकर दे दी और फिर यही सॉल्वेंसी बुलढाणा जिलाधीश को सौंपकर राशन अनाज के यातायात का ठेका गुप्ता ने हासिल किया। यहाँ यह सवाल भी उठ रहा है कि अमरावती जिलाधीश ने दस्तावेजों की बिना जांच के ही 70 लाख की सॉलवेंसी आंखें मूंदकर कैसे दे दी?
ठेकेदार गुप्ता को क्यों बचाया जा रहा?
बुलढाणा जिला में राशन यातायात का ठेका अमरावती की श्रीनाथ ट्रांसपोर्ट कंपनी को मिलने के बाद से ही जिले में राशन के अनाज की कालाबाजारी बेझिझक चलने लगी। इस कालाबाजारी में आपूर्ति विभाग के अधिकारी कर्मी और कुछ गोडाउन कीपर भी राशन माफियाओं के साथ मिल कर गरीब जनता का अनाज हजम कर रहे हैं। यातायात ठेकेदार पर राशन की कालाबाजारी के आरोप के बाद इ.सी. एक्ट के तहत पुलिस थानों में अपराध भी दर्ज है। ठेकेदार शासन नियमों को ताक पर रखकर काम कर रहा है। ऐसे कई गंभीर मामले सामने आने के बाद भी अब तक ठेकेदार पर जिला आपूर्ति अधिकारी तथा जिलाधीश द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं कीईगई है, जिससे यह प्रश्न उपस्थित हो रहा है कि आखिर ठेकेदार को किस लालच में बचाया जा रहा है?
बुलढाणा, अकोला में ठेका हुआ था रद्द
अन्न नागरी व आपूर्ति विभाग मुंबई के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रॉपर्टी के दस्तावेजों में हेराफेरी कर अवैध रूप से बनाई गई ‘सॉल्वेंसी’ का मामला बेनकाब होने के बाद सन 2005 में अकोला में और सन 2006 में बुलढाणा में संबंधित राशन अनाज ढुलाई के ठेकेदारों का ठेका शासन ने रद्द कर दिया था। अब ऐसा ही मामला बुलढाणा के राशन यातायात ठेकेदार गुप्ता का उजागर हुआ है। अब देखना यह है कि शासन को गुमराह कर झुटा करारनामा और शपथ पत्र देने वाले बुलढाणा के यातायात ठेकेदार पर जिलाधीश द्वारा क्या कार्रवाई की जाती हैं?
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