कासिम खलील, बुलढाणा (महाराष्ट्र), NIT; सार्वजनिक वितरण प्रणाली में चलने वाली धांधली और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार ने राशन दुकानदारों के मुंह पर मुसका बांधने के उद्देश्य से इ-पॉस मशीनें उपलब्ध कराई हैं, ताकि राशन वितरण प्रणाली में पारदर्शिता बनी रहे और पूरा अनाज लाभार्थियों को मिले, किंतु बुलढाणा जिले के राशन दुकानदार ई-पॉस मशीन का उपयोग नहीं कर रहे थे। यह बात उजागर होने के बाद ज़िले की ऐसी 147 राशन दुकानों पर कार्यवाही करते हुए आपूर्ति विभाग ने उनकी डिपॉजिट रकम जप्त कर ली है।
राज्य शासन ने विगत 3 माह पहले बुलढाणा जिले की 1537 राशन दुकानों को ई-पॉस मशीनें दी हैं। इसका मकसद यह है कि अनाज लेने आए लाभार्थी के अनाज का प्रमाण मशीन में दर्ज होता रहे ताकि राशन दुकानदार द्वारा अनाज की कालाबाजारी ना की जा सके। बुलढाणा जिले की 1537 राशन दुकानों को 1537 ई-पॉस मशीनें दी गई हैं। इस एक मशीन की कीमत तकरीबन 27 हज़ार रुपए है. इस हिसाब से बुलढाणा जिले के लिए शासन ने तकरीबन 4 करोड़ 14 लाख रुपए की मशीनें मुफ़्त में राशन दुकानदारों को दी है. राशन दुकानदारों को यह बात समझाई गई कि वह अब लाभार्थियों को दिए जाने वाले अनाज का आंकड़ा मशीन में दर्ज करते चले, किंतु इस आदेश को ठुकराते हुए जिले के 147 राशन दुकानदारों ने अपनी मनमानी करते हुए ई- पॉस मशीन का उपयोग नहीं किया और मैनुअली रूप से ही लाभार्थियों को अनाज देते रहे. पिछले कुछ दिनों से बुलढाणा जिले में राशन तस्करी का मामला काफी चर्चा में है. अनेक स्थानों पर पुलिस ने छापा मारते हुए राशन का अनाज कालाबाजारी में ले जाते समय पकड़ा. खास बात तो यह है कि कुछ स्थानों पर राशन दुकानदार ही राशन के अनाज की कालाबाजारी में लिप्त पाए गए. यह बड़ी गंभीर बात थी जिसे जिलाधीश चंद्रकांत पुलकुंडवार व जिला एसपी शशिकुमार मीणा ने गंभीरता से लिया और पूरे जिले में राशन कालाबाजारी को रोकने के लिए एक विशेष अभियान जारी कर दिया. दोनों विभागों द्वारा जारी इस मुहिम के बाद अनेक प्रकार की बातें राशन विभाग से जुड़ी सामने आने लगी. राशन दुकानदारों को ई-पॉस मशीने देने के बाद भी राशन के अनाज की कालाबाजारी कैसे हो रही है? जब इस बात का पता लगाया गया तो मालूम हुआ कि कई दुकानदार ई-पॉस मशीन का इस्तेमाल ही नहीं कर रहे हैं. यह खुलासा होने के बाद जिला आपूर्ति अधिकारी बी.यु.काले ने बुलढाणा जिले के 147 उन राशन दुकानों के प्राधिकार पत्र के साथ डिपाजिट रखी गई रकम जप्त कर ली है. प्रति दुकानदार की एक हजार की रकम डिपाजिट के रूप में आपूर्ति विभाग के पास जमा थी. कुल 1लाख 47 हज़ार रुपए की यह डिपॉजिट की रकम शासन को सौंप दी गई है इस कार्यवाही के बाद राशन दुकानदारों में खलबली मची हुई है. साथ ही अब राशन दुकानदारों को यह कड़े आदेश दे दिए गए हैं कि वह राशन के अनाज का आवंटन ई-पॉस मशीन के माध्यम से ही करें, यदि कोई दुकानदार इस आदेश का पालन नहीं करेगा तो उस पर कार्यवाही की जाएगी
तहसिल निहाय दुकानों पर की गई कार्रवाईऔ
1 बुलढाणा 28
2 चिखली। 5
3 दे.राजा। 5
4 मेहकर। 56
5 लोणार। 15
6 मलकापुर। 1
7 मोताला। 7
8 खामगांव। 7
9 शेगांव। 16
10 जलगांव जा. 3
एलसीबी ने ली जानकारी
बुलढाणा जिले में राशन तस्करी की घटनाएं सामने आ रही है कई जगहों पर पुलिस ने छापामार कार्रवाई करके राशन माफियाओं को बेनकाब किया है. साथ ही कई राशन दुकानदारों पर ही अपराध दर्ज किए गए हैं. राशन वितरण प्रणाली क्या है? अनाज कहाँ से आता है? कैस बांटा जाता है? कौन-कौन सी योजनाएं हैं? इसकी विस्तार से जानकारी लेने के लिए बुलढाणा एसपी शशिकुमार मीणा के आदेश पर बुलढाणा एलसीबी के प्रमुख प्रताप शिकारे,एपीआय मनोज केदारे खुद 4 दिन पहले जिला आपूर्ति कार्यालय में पहुंचे थे और डीएसओ बी.यू. काले, एडीएसओ खंदारे से मुलाकात की और राशन वितरण प्रणाली को समझा. एलसीबी के अधिकारी की अचानक आपूर्ति कार्यालय में दस्तक के बाद कुछ समय के लिए आपूर्ति विभाग में खलबली मच गई थी।
उपायुक्त, डीएसओ और ठेकेदार में पकी खिचड़ी
अधिकारियों का कर्तव्य है कि वह किसी भी काम को नियमानुसार करें और करवा कर ले ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा रहे किंतु बुलढाणा के आपूर्ति विभाग में कुछ और ही नजारा विगत सप्ताह देखने को मिला. अमरावती से आपूर्ति विभाग के उपायुक्त श्री मावस्कर बुलढाणा पहुंचे. पहले तो विश्राम गृह में बातचीत तय हुई उसके बाद उपायुक्त महोदय आपूर्ति कार्यालय में 3 बजे के बाद दाखिल हुए. यहां पर उपायुक्त मावस्कर, डीएसओ काले और राशन यातायात ठेकेदार गुप्ता के बीच तकरीबन 3 से 4 घंटे बैठक चली. बता दें कि राशन यातायात ठेकेदार पर चिखली एंव खामगांव पुलिस थाने में अनाज कालाबाजारी का अपराध दर्ज है. इसी के कारण ठेकेदार का बिल निकालने में दिक्कत आ रही थी. सूत्रों से पता चला है कि ठेकेदार को बचाने के लिए उपायुक्त महोदय खुद बुलढाणा पहुंच गए. कई घंटों तक कागजी लीपापोती इन तीनों के बीच चलती रही. इस दौरान रात के 7:30 बजे तक डीएसओ काले ने सभी कर्मियों को ऑफिस में ही रोके रखा था जिसमें महिला कर्मी भी शामिल थी. सुनने में आया है कि उपायुक्त महोदय ने तत्काल ठेकेदार के बिल निकालने के निर्देश दिए हैं. इस दौरान डीएसओ काले ने ठेकेदार का सहयोग क्यों नही किया जा रहा? इस बात पर कई कर्मियों पर दबाव बनाने के लिए डांट-डपट भी की. नियोजित रूप से भ्रष्टाचार के आरोपी यातायात ठेकेदार को बचाने के लिए तीनों में एक तरह की ‘खिचड़ी’ पक गई है।
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