उपभोकता भण्डारों पर कस रहा शिकंजा, कथित अधिकारियों की शय पर चलता है गोल माल का खेल | New India Times

जमशेद आलम, ब्यूरो चीफ, भोपाल (मप्र), NIT:

राजधानी मे गरीबों को मिलने वाली खाद सामग्री की काला बाजारी रोकने के लिए शासन-प्रशासन द्वारा समय समय पर सख्त कदम उठाये जाते रहे हैं। खाद संचालनालय ने नवम्बर माह 2022 में औचक निरीक्षण कराकर ताबड़ तोड़ 15 उपभोक्ता भण्डारों (उचित मूल्य की दुकान) को अनियमित्ता पाय जाने पर सस्पेंड कर दिया था। नवंबर 2020 में नारियल खेड़ा स्थित उचित मूल्य की दुकान पर रूटीन जाँच के दौरान 7.97 क्विंटल चावल और 2.50 क्विंटल अधिक पाये जाने पर दुकान को निलंबित कर दिया गया था। इसी प्रकार अशोका गार्डन इलाके में खाद  समग्री कम पाये जाने पर दुकान सस्पेंड कर दी गई थी।

इन सब के बावजूद कुछ कथित अधिकारियों की लालच के चलते उपभोक्ता भंडार से होने वाली काला बाजारी पर पुरी तरह अंकुश नहीं लग पा रहा है। विगत माह शाहपुरा इलाके में अनियमित्ता पाये जाने पर चित्रांश महिला प्राथमिक उपभोक्ता भंडार को सस्पेंड कर दुकान को अन्य उपभोक्ता भंडार से अटैच कर दिया गया। इस पूरे मामले में मजे की बात यह है की जिस चित्रांश महिला प्राथमिक उपभोक्ता भंडार को सस्पेंड किया, नियमानुसार उसे सितम्बर 2023 मे ही सस्पेंड कर दिया जाना चाहिए था। क्योंकि रूटीन जाँच के दौरान उपभोक्ता भंडार में 8, क्विंटल चावल अधिक पाया गया था। जिसका रिकॉर्ड मशीन में चेक किया जा सकता है। चूंकि नारियल खेड़ा स्थित  एक दुकान को 7.97 क्विंटल चावल अधिक पाये जाने पर सस्पेंड कर दिया गया था। लेकिन चित्रांश महिला प्राथमिक उपभोक्ता भंडार को सितम्बर माह मे निलंबित न करते हुए हाल ही मे सस्पेंड करना अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े कर रहा है। सूत्रों की माने तो सस्पेंड दुकान को अपनी दुकान पर अटैच करने के लिए भी गुप्त रूप से बोली लगाई जाती है। जिसका दाव सही बैठ जाये सस्पेंड दुकान उसके पास पहुँच जाती है। निश्चित ही यह लाभ का सौदा होगा तभी तो दुकान अटैच करने के लिए भी खेल खेले जाते हैं।

शिकायत करने से घबराते है हितग्राही

गौरतलब है कि उपभोक्ता भंडार से हर माह खाद सामग्री मिलने की आस लिए दुकान पर पहुंचने वाला हितग्राही कम सामग्री मिलने पर भी खामोश रहता है। वह जानता है की शिकायत करने पर उसे ही परशानी का सामना करना पढ़ेगा। उल्टा सेल्स मेन से दुश्मनी हो गई तो सामान मिलने मे भी नये नियम कानून लगू हो सकते है। इसलिए गरीब हितग्राही किसी से बैर लेना नहीं चाहता।


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