नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

चुनावी साल में कर्म दरिद्री नेताओं की ओर से वोटों की खेती सींचने के लिए गोदी मीडिया के माध्यम से आजमाए जाने वाले लीडर मैनेजमेंट के फंडों से जनता अब ऊब चुकी है। जामनेर खेल पार्क की बात करें तो वोटरों को इस बात का पूरा इल्म है कि शायद ही शहर के किसी ज़मीन पर खेल का स्टेडियम बन जाए तो बहुत बड़ी बात होगी।

स्टेडियम की राजनीतिक चर्चा ने रेलवे स्टेशन की मिल्कियत वाली बेशकीमती जमीन को नीलामी के लिए मार्केट में लाकर खड़ा कर दिया है। हमने पाया कि रेलवे की 50 एकड़ जमीन पर नीम, गूलर, बरगत, पीपल, बबूल, शीशम, इमली समेत अन्य प्रजाति के करीब पांच हजार पेड़ हैं। इंसानी सहायता के बिना पूरी तरह से कुदरती तौर पर विकसित हुआ यह छोटा सा जंगल कई दशकों से अपने भीतर एक जीवित दुनिया का संवर्धन कर रहा है। जामनेर में रहने वाली पचास हजार की आबादी का ऑक्सीजन पार्क बने इस क्षेत्र को रेलवे मंत्रालय की ओर से पर्यावरण मानकों के तर्ज पर संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए। इसके लिए जामनेर के आम लोग मुंबई के आरे जंगल बचाओ आंदोलन से प्रेरणा ले सकते हैं।

जिलाधीश आयुष प्रसाद ने प्रस्तावित स्टेडियम डीपीआर के सिलसिले में रेलवे विभाग की इस जमीन का सर्वे किया फ़िर लच्छेदार भाषण दिया। ब्लॉक के वाकड़ी प्राथमिक स्वास्थ केंद्र पहुंचकर मेडिकल सेवाओं का जायज़ा लिया। आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड कैंप के नागरिकों से बातचीत की। मौके पर CEO अंकित, नानासो श्रीपती आगले, चंद्रकांत भोसले, डॉ राजेश सोनवने, जे के चव्हाण आदि मान्यवर मौजूद रहे।