नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

आयुष्मान भव योजना ने महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों के स्वास्थ सेवाओं की पोल खोल दी है। राज्य के 410 ब्लॉक के 18 हजार गांवों में जहां जहां सरकारी मेडिकल कैंप लग रहा है वहां वहां मुफ़्त में इलाज़ कराने के लिए मरीजों की भीड़ उमड़ रही है। यावल ब्लॉक के किनगांव PHC में एक कैंप लगाया गया जिसमे 4 हजार ग्रामीणो ने हेल्थ चेकअप कराया 32 लोगों ने रक्तदान किया, मरीजो के सारे टेस्ट फ्री में कराए गए। PHC की प्रमुख डॉ मनीषा महाजन के परिश्रम से आयोजित इस शिविर के लिए प्रशासन ने हर संभव योगदान दिया। सातपुडा पहाड़ियों के तलहटी में बसे किनगांव स्वास्थ केंद्र ने दुर्गम इलाकों में रहने वाले आदिवासियों को स्वास्थ सेवा लाभ दिलवाने के लिए समय समय पर अपार मेहनत की है। वैसे इस प्रकार से सार्वजनिक आरोग्य शिविरों को आयोजित कराना यह सरकार की ड्यूटी है जिसे कर्मी ईमानदारी से निभाते हैं। शिविरो के क्रेडिट के चक्कर में नेता ग़रीबों पर अहसान जताने की भावना से उनके अंदर के अहंकार का परिचय देते हैं। इन शिविरों से सरकारी अस्पतालों की अंदरूनी व्यवस्था और नेताओं द्वारा स्वास्थ सेवा में किए गए उनके काम का मेरिट कैसा है इसका पता चल जाता है। राजनीति में नेता बनने का आसन फार्मूला यह है कि जनसेवा को इतना प्रचारित करो की जनता को उनका नेता मसीहा मालूम पड़ने लगे। इसी नुस्खे के तहत आरोग्य सेवा के नाम पर टपरी छाप नेताओं का महिमामंडन कर उन्हें राजनीत के शिखर पर पहुंचाने वाली जनभावना ने कई विधानसभा क्षेत्रों कि जनता को स्वास्थ कारणों के लिए उनके प्रिय और बाद में अप्रिय लगने वाले नेताओं पर आश्रित रहने के लिए विवश कर दिया है। महाराष्ट्र में ऐसे दर्जनों तालुके हैं जिनकी विधानसभा में कयादत करने वाले नेताओं ने बरसों से अपने शहरों में एक कारखाना नहीं लगाया, रोजगार के कोई अवसर पैदा नहीं किए बावजूद इसके धर्म और सेवा के नाम पर उनका राजनीतिक करियर सफलता के नए नए कीर्तिमान बना रहा है।

नांदेड़ कांड के लिए जिम्मेदार कौन ?
1 से 8 अक्टूबर के दौरान नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में 83 मरीजों की मौत के लिए जिम्मेदार कौन? इस सवाल का जवाब सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले में दर्ज है जो मई 2023 में महाराष्ट्र सरकार की संवैधानिक वैधता को लेकर दिया गया है। इस फैसले में देश की शीर्ष अदालत ने राज्य की एकनाथ शिंदे – देवेंद्र फडणवीस सरकार को असंवैधानिक करार दिया है। बीते पांच महीनों से विधानसभा स्पीकर के आशीर्वाद से शिंदे – फडणवीस सरकार चल रही है। राज्य में अनुच्छेद 153, 154 के दुरुपयोग का उदाहरण साफ तौर पर देखने को मिल रहा है। कानूनी रूप से कार्यपालिका पावर में नहीं होने के कारण विधायिका का कामकाज उलझ गया है यानी सूबे में एक किस्म से गवर्नर रूल जारी है। नांदेड़ मामले को लेकर मुंबई हाई कोर्ट में सुनवाई जारी है जिसमें कोर्ट ने सरकार को जमकर लताड़ है।