मो. मुजम्मिल, जुन्नारदेव/छिंदवाड़ा (मप्र), NIT:
छिंदवाड़ा कलेक्टर बंगले में माली के पद पर कार्यरत एक कर्मचारी ने ज़मीन के छोटे से टुकड़े के लिए अपनी सगी जीवित मां को मृत बताकर किया धोखाधड़ी। मामला जब उजागर हुआ तो उस मां के नाबालिक बच्चे बालिक होने पर अपना हक और अधिकार मांगते हुए जानकारी जुटाने पर पता चला की एक कलयुगी पुत्र ने अपनी ही जीवित मां को मृत बातकर जमीन के छोटे से टुकड़े के लिए सोनपुर की जमीन पर नाना को पिता बताकर मां मृत घोषित कर नामांतरण कर लिया है।
वही उमरेठ तहसील के अंतर्गत ग्राम पटपड़ा की भूमि पर भी मां के बिना अनुमति के अंगूठा निशानी लेकर रजिस्ट्री बेनाम कराकर शंभू यदुवंशी और शिक्षक बलराम चंद्रवंशी को विक्रय कर दिया है जब जानकारी भाई को लगी तो उन्होंने ऑनलाइन दस्तावेज खंगाले ने पर पता चला जिसमें बड़े भाई की करतूत सामने आई है। जिसमें जीवित मां को मृत् बताकर नामांतरण कराना दर्शाया गया है ज्ञात रहे किछिंदवाड़ा जिले के नगर सोनपुर एवं उमरेठ तहसील की ग्राम पटपड़ा की भूमि को अनुचित तरीके से छल कपट करते हुए छिंदवाड़ा कलेक्टर बंगले में कार्यरत वेतन भोगी कर्मचारी का कारनामा सामने आया है। जीवित मां और छोटे बच्चों ने विभागीय अधिकारीयों को कई बार शिकायत कर अवगत कराया किंतु विभागीय अधिकारी द्वारा यह मामला धोखाधड़ी से संबंधित होने के कारण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने पुलिस को पत्र लिखकर जांच के आदेश दिए थे।
किंतु अभी तक यह जांच में धोखाधड़ी से संबंधित अवलोकन से जांच होना बताया जा रहा है। किंतु दोषियों पर विभाग द्वारा कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है। जबकि उक्त विवादित भूमि पर ऑनलाइन दस्तावेज में जीवित मां को मृत दर्शाया गया है। 70 वर्षीय माता जी एवं उनके पुत्रों ने अन्य विभागों में शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है। यह मामला धोखाधड़ी से संबंधित है। जिस नामंत्रण में जीवित मां को मृत दर्शाया गया है। जो ऑनलाइन सत्यापित प्रति में देखा जा सकता है।
इसी जमीन विवाद के चलते जीवित मां के छोटे पुत्र पर भी प्राण घातक जानलेवा हमला भी किया जा चुका है। आखिरकार वृद्ध मां को कब मिलेगा न्याय उस कलयुगी पुत्र जिला कलेक्टर के कर्मचारी होने के नाते विभागों में दबाव बनाने के कारण वास्तविकता में शिकायतकर्ताओं को न्याय नहीं मिल पा रहा है आखिर कब जागेगा प्रशासन और कब होगा वृद्ध मां एवं पीड़ित परिजनों के साथ न्याय। पहले तो यह कलयुगी पुत्र ने अपनी ही मां को जीते जी ज़मीन के थोड़े से टुकड़े के लिए मृत बताकर नामांतरण करा लिया वही मां के पढ़े लिखे न होने का फायदा उठाकर छोटे भाइयों का हक छीनते हुए फर्जी तरीके से मां से अंगूठा निशानी लेकर रजिस्ट्री बैनामा करा कर खानदानी भूमि को अपने नाम कर कर अन्य को विक्रय कर दिया है।
ज्ञात रहे यह मामला वर्ष 93 में जीवित मां को सोनपुर के मकान की भूमि में मृत घोषित कर वर्ष 1996 में उमरेठ तहसील की पटपड़ा की भूमि में मां के पति के निधन होते ही मां एवं उनके नाबालिक बच्चों के नाम आते ही अनुचित रीति से अपने कलेक्टर बंगले के कर्मचारियों ने अपना नाम दर्ज करने का मामला सामने आया है नाबालिक रहे बच्चे अब बालिक हो गए हैं। और उन्होंने अपना हक और अधिकार जताते हुए समस्त दस्तावेज खंगालने के बाद जिला कलेक्टर सहित अन्य विभागों में शिकायत दर्ज की न्याय की गौहर लगाई है। आखिर कब मिलेगा पीड़ित परिवारों को न्याय 1 वर्ष बीत जाने के बाद भी विभाग कागजी कार्रवाई करते हुए नजर आ रहा है।वास्तविक स्थिति में यह मामला धोखाधड़ी का है प्रशासन को संज्ञान में लेकर नियम अनुसार कार्रवाई करना चाहिए।
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