सूचना अधिकार के बाहर किया जा रहा मंत्रियों के निर्वाचनों का कामकाज, खंडपीठ में सालों से सुनवाई की प्रतीक्षा में हैं याचिकाएं | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

सूचना अधिकार के बाहर किया जा रहा मंत्रियों के निर्वाचनों का कामकाज, खंडपीठ में सालों से सुनवाई की प्रतीक्षा में हैं याचिकाएं | New India Times

शासन आपल्या दारी अभियान के एक इवेंट पर दस से पन्द्रह करोड़ रुपए खर्च करने वाली राज्य की गैर कानूनी शिंदे- फडणवीस सरकार के विवादित राज में सूचना अधिकार कानून की धज्जियां उड़ गई हैं। 2014 से अब तक हाई प्रोफाइल सीट्स का नेतृत्व करने वाले भाजपा नेताओं के गृह निर्वाचन क्षेत्रों में जनसूचना अधिकारियों की ओर से RTI को मानो कामकाज से बाहर ही कर दिया गया है। इसका ताज़ा उदाहरण जामनेर है, इस क्षेत्र में ग्राम पंचायतें, पंचायत समितियां, नगर परिषद, नगर पंचायतों में केंद्र और राज्य सरकारों की लोकप्रिय योजनाओं को लेकर दायर होने वाले सूचना अधिकार अर्जियों का प्रशासन की ओर से जवाब ही नहीं दिया जाता और अगर जवाब दिया गया तो याचि को सूचना की समीक्षा के लिए आमंत्रित करने के बजाये असंबंध सूचना को प्राप्त कराने की सख्ती बरती जाती है। इनमें कुछ अधिकारी ऐसे हैं जो सालों साल एक ही संस्था में कुर्सी जमाए बैठे हैं और आय से अधिक संपत्ति कमाकर करोड़ों के आलीशान बंगलों में निवास कर रहे हैं। जलगांव PWD को लेकर कई मामले नासिक खंडपीठ में धूल खाते पड़े हुए हैं। राज्य में चार टर्म या उससे अधिक की जितनी भी हैवी वेटेड सीटें हैं वहां Right to information act को बेहद कमजोर कर दिया गया है।

सूचना अधिकार के बाहर किया जा रहा मंत्रियों के निर्वाचनों का कामकाज, खंडपीठ में सालों से सुनवाई की प्रतीक्षा में हैं याचिकाएं | New India Times

महाराष्ट्र में नागपुर, नासिक, औरंगाबाद, पुणे, कोंकण, बृहन्मुंबई, मुंबई, अमरावती इस तरह कुल 8 सूचना खंडपीठ हैं जहां चार आयुक्तों के सहारे लाखों याचिकाओं का कामकाज संभाला जा रहा है। नासिक सूचना आयुक्त कार्यालय में बीते पांच सालों से 1 लाख 05 हजार याचिकाएं लंबित पड़ी हैं। बताया जा रहा है कि इनमें से सैकड़ों याचिकाएं 2015 में संपन्न नासिक कुंभ मेले से जुड़ी हुई हैं। अब चार साल बाद 2027-28 में होने वाले कुंभ के लिए प्रशासन की ओर से 8 हजार करोड़ रुपए का प्रारूप प्रस्ताव बनाया गया है। 2015 के कुंभ के दौरान किए गए विकास को देखना हो तो आप नासिक के त्रिमूर्ति चौक इलाके की सैर कर सकते हैं। महाराष्ट्र में प्रशानिक कामकाज में गतिमानता और पारदर्शिता लाने के लिए सेवा हक कानून लागू है जिसके तहत प्रशासन द्वारा तमाम मामलों का निपटारा निहित समय के भीतर करना अनिवार्य है। RTI को भी इसी कानून के दायरे में लाने की मांग की जा रही है।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading