मीरा-भाईंदर मनपा मुख्यालय में मनाया गया अभियांत्रिकी दिवस | New India Times

सुभाष पांडेय, मीरा-भाईंदर/थाना (महाराष्ट्र), NIT:

मीरा-भाईंदर मनपा मुख्यालय में मनाया गया अभियांत्रिकी दिवस | New India Times

देश के अभियांत्रिकी तंत्रज्ञान के महान रचनाकार अभियंता भारतरत्न सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या की जयंती के शुभ अवसर पर हर्षोल्लास से मीरा-भाईंदर महानगर पालिका मुख्यालय के प्रांगण में अभियांत्रिक दिवस मनाया गया। इस अवसर पर मनपा के अतिरिक्त उपायुक्त अनिकेत मानोरकर, उपायुक्त (मुख्यालय) मारुति गायकवाड़, शहर अभियंता दीपक ख़ाम्बित, उपायुक्त रवि पवार, उपायुक्त कल्पिता पिंपले, जल-विभाग के कार्यकारी-अभियंता शरद नानेगांवकर, उप-अभियंता, शाखा अभियंता व कर्मचारी विशेष रूप से उपस्थित थे। गौरतलब है कि, कार्यक्रम की शुरुवात अभियांत्रिकी तंत्रज्ञान के रचनाकार भारतरत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर हुई। तत्पश्चात मनपा में कार्यरत सभी अभियंताओं को पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर जल-विभाग के कर्मठ कार्यकारी अभियंता शरद नानेगांवकर ने अभियांत्रिकी दिवस पर प्रकाश डाला। विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितम्बर को 1860 में मैसूर रियासत में हुआ था, जो आज कर्नाटका राज्य बन गया है। इनके पिता श्रीनिवास शास्त्री संस्कृत विद्वान और आयुर्वेदिक चिकित्सक थे। इनकी माता वेंकचाम्मा एक धार्मिक महिला थी. जब विश्वेश्वरैया 15 साल के थे, तब उनके पिता का देहांत हो गया था। चिकबल्लापुर से इन्होंने प्रायमरी स्कूल की पढाई पूरी की, और आगे की पढाई के लिए वे बैंग्लोर चले गए। 1881 में विश्वेश्वरैया ने मद्रास यूनिवर्सिटी के सेंट्रल कॉलेज, बैंग्लोर से बीए की परीक्षा पास की। इसके बाद मैसूर सरकार से उन्हें सहायता मिली और उन्होंने पूना के साइंस कॉलेज में इंजीनियरिंग के लिए दाखिला लिया। 1883 में LCE और FCE एग्जाम में उनका पहला स्थान आया. ( ये परीक्षा आज के समय BE की तरह है ) इंजीनियरिंग पास करने के बाद विश्वेश्वरैया को बॉम्बे सरकार की तरफ से जॉब का ऑफर आया, और उन्हें नासिक में असिस्टेंट इंजिनियर के तौर पर काम मिला। एक इंजीनियर के रूप में उन्होंने बहुत से अद्भुत काम किये। उन्होंने सिन्धु नदी से पानी की सप्लाई सुक्कुर गाँव तक करवाई, साथ ही एक नई सिंचाई प्रणाली ‘ब्लाक सिस्टम’ को शुरू किया। इन्होंने बाँध में इस्पात के दरवाजे लगवाए, ताकि बाँध के पानी के प्रवाह को आसानी से रोका जा सके। उन्होंने मैसूर में कृष्णराज सागर बांध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ऐसे बहुत से और कार्य विश्वेश्वरैया ने किये, जिसकी लिस्ट अंतहीन है. सन 1903 में पुणे के खड़कवासला जलाशय में बाँध बनवाया। इसके दरवाजे ऐसे थे जो बाढ़ के दबाब को भी झेल सकते थे, और इससे बाँध को भी कोई नुकसान नहीं पहुँचता था। इस बांध की सफलता के बाद ग्वालियर में तिगरा बांध एवं कर्नाटक के मैसूर में कृष्णा राजा सागरा (KRS) का निर्माण किया गया। कावेरी नदी पर बना कृष्णा राजा सागरा को विश्वेश्वरैया ने अपनी देख रेख में बनवाया था। इसके बाद इस बांध का उद्घाटन हुआ। जब ये बांध का निर्माण हो रहा था, तब एशिया में यह सबसे बड़ा जलाशय था। सन 1906-07 में भारत सरकार ने उन्हें जल आपूर्ति और जल निकासी व्यवस्था की पढाई के लिए ‘अदेन’ भेजा. उनके द्वारा बनाये गए प्रोजेक्ट को अदेन में सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया। हैदराबाद सिटी को बनाने का पूरा श्रेय विश्वेश्वरैया जी को ही जाता है। उन्होंने वहां एक बाढ़ सुरक्षा प्रणाली तैयार की, जिसके बाद समस्त भारत में उनका नाम हो गया। उन्होंने समुद्र कटाव से विशाखापत्तनम बंदरगाह की रक्षा के लिए एक प्रणाली विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. विश्वेश्वरैया को मॉडर्न मैसूर स्टेट का पिता कहा जाता था. इन्होंने जब मैसूर सरकार के साथ काम किया, तब उन्होंने वहां मैसूर साबुन फैक्ट्री, परजीवी प्रयोगशाला, मैसूर आयरन एंड स्टील फैक्ट्री, श्री जयचमराजेंद्र पॉलिटेक्निक संस्थान, बैंगलोर एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, स्टेट बैंक ऑफ़ मैसूर, सेंचुरी क्लब, मैसूर चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एवं यूनिवर्सिटी विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग की स्थापना करवाई। इसके साथ ही और भी अन्य शैक्षिणक संस्थान एवं फैक्ट्री की भी स्थापना की गई। विश्वेश्वरैया ने तिरुमला और तिरुपति के बीच सड़क निर्माण के लिए योजना को अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading