रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
पयुर्षण महापर्व में पांच कर्तव्य बताए गए हैं, प्रथम अमारी पर्वत यानी मन वचन काया से किसी का वध नहीं करना, दूसरा सहधर्मी भक्ति, तीसरा क्षमापना, चौथा अष्टम तप, पांचवा चैत्य परिपाटी।
श्री राजेंद्र सूरी ज्ञान मंदिर हाल में सूरत से कल्पसूत्र वाचन करने पधारे प. जीतू भाई ने व्यक्त करते हुए लौकिक पर्व और लोकोत्तर पर्व के बारे में विस्तार से बताया। लौकिक पर्व दीपावली रक्षाबंधन होली होती है लोकोत्तर पर्व ज्ञान पंचमी, मौन एकादशी एवं पर्यूषण पर्व है। पर्युषण पर्व के आठों दिनों में सम्यक दर्शन ज्ञान व चरित्र के बारे में जानना जरूरी है। पूज्य आचार्य हीर सुरीश्वर जी म. सा. एवं राजा अकबर का एवं आचार्य हेमचंद्र सुरीश्वर जी म.सा., राजा कुमार पाल का वृतांत विस्तार पूर्वक बताया। कुमारपाल महाराज एक करोड़ सोने की मोहरे दान करते थे 14 वर्षों तक दान देते रहे। आठ दिनों में घर में हिंसा न हो इसका ध्यान प्रत्येक श्रावक श्राविकाओं को रखकर सूक्ष्म से सूक्ष्म जीवों की रक्षा करना है। आपने कहा पाठशाला में पढ़ने वाले बच्चों को अक्षर वाले कपड़े नहीं पहनना चाहिए ऐसे कपड़े पहनने से ज्ञान की आशातना लगती है। आज की प्रभावना का लाभ मुन्नी बहन भगवान लाल जैन व भगवान की अंगरचना का लाभ सुजानमल राजेंद्र कुमार लुणावत परिवार ने लिया। संचालन रजत कावडीया ने किया।
मंदिरों में प्रातः से देर रात तक श्रद्धालु भक्तों की भीड़ रही। राजेंद्र जैन नवयुवक परिषद की ओर से लक्की ड्रॉ रखा गया।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts to your email.