सद्दाम हुसैन, लखनऊ (यूपी), NIT:
हमारे देश में विभिन त्यौहार मनाये जाते हैं। इन सभी त्यौहारों का अपना–अपना महत्व होता हैं। उसी तरह से रमज़ान इस्लाम धर्म का सबसे इबादत वाला महीना होता है। रमज़ान का महीना हर मुस्लमान के लिए पावन और महत्वपूर्ण होता है। मुसलमानों के बारह महीनों में एक महीने का नाम रमजान है। रमजाने का महीना बड़ा ही पवित्र होता है इस महीने में हर मुसलमान रोज़ा रखता है। रमज़ान का महीना 30 दिनों का होता है। रमज़ान के महीने को तीन हिस्सों में बांटा गया है। जो प्रथम, द्वितीय और तृतीया भागों को इस्लामिक भाषा में “अशरा” कहा जाता है। पहला अशरा 1-10 तारीख तक का होता है। दूसरा अशरा 11 -20 तारीख तक और तीसरा अशरा 21-30 तारीख तक में विभाजित किया गया है। रमज़ान के महीने में 3 अशरे होते है। पहला अशरा रहमत का जिसमें अल्लाह का रहमत होता है। दूसरा अशरा मगफिरत का होता है। जिसमें अल्लाह हर मुस्लमान के गुनाहों को माफ़ करता है। तीसरा अशरा जहन्नुम की आग से निजात का होता है। इन रहमत के दिनों में हर मुस्लमान गरीबों और जरुरतमंदों की सहायता करता है। हर एक इंसान इन दिनों में विनम्रतापूर्वक बातचीत करता है। सभी की इज़्ज़त करता है और सदव्यवहार से सबके मन जीत लेता है। रमज़ान का महीना हर मुसलमान के लिए दुआओं और खुशियों का महीना होता है। रमज़ान के पश्चात ईद मनाई जाती है। रमज़ान का महीना हर मुसलमान के लिए अज़ीज़ और बेहद ख़ास होता है। रमजान के बाद हर मुसलमान चाँद को निहारकर अपना उपवास यानी रोज़ा खोलता है। इस त्यौहार को हम ईद-उल-फितर के नाम से जानते हैं। ईद का त्यौहार रमज़ान के आखिर में मनाया जाता है। रमज़ान इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार नवा महीना होता है। यह पूरा महीना प्राथना, भोजन और एक दूसरे से मिलने का एक पारम्परिक त्यौहार है। ईद के दिन में सवेरे पहले नहाना और नए कपड़े पहनकर हर मुसलमान तैयार हो जाता है। मस्जिद जाने से पहले इत्र लगाते हैं और मस्जिद जाने से पहले खजूर खाते हैं। पुरुष सफ़ेद रंग के पोशाक पहनते है जिसे हम कुरता पजामा कहते है। फिर सभी पुरुष मिलकर ईदगाह या मस्जिद की और जाते है जहाँ सब एक साथ नमाज़ अदा करते हैं और अल्लाह से अपने और अपने परिवार की सलामती की दुआ मांगते हैं। नमाज़ से पहले लोग गरीबों को कुछ आवश्यक चीज़ें दान दक्षिणा में देते हैं। नमाज़ अदा करने के पश्चात लोग एक दूसरे के गले -मिलते हैं और खुशियां मानते है। ईद सभी भारतीयों को एक साथ शांतिपूर्वक मिलजुलकर और प्रेम -आस्था के साथ जीवनयापन करना सिखाती है। ईद मुसलमानों का पावन त्यौहार है।
रमज़ान का महत्त्व
रमज़ान के महीनों में इंसानों को बहुत कुछ सीखने को मिलता है। लोग अपनी रोज़मर्रा के कामों को करते हुए अल्लाह की इबादत करना भूल जाते हैं। समय नहीं निकाल पाते हैं। रमज़ान का महिना अल्लाह के बंदो को ये याद दिलाता है की ये ज़िन्दगी उस खुदा की नेमत है। कुछ समय उसकी इबादत के लिए भी निकाल लें ताकि खुदा का रहम हम सभी इंसानों पर बना रहे और हम सब खुशहाली की जिंदगी जियें। रमज़ान के दिनों में हर एक सच्चा मुसलमान खुदा की इबादत औ दुआ में लगा रहता है और नेक काम करने में विशवास रखता है। ईद के दिन बच्चे -बूढ़े साथ में ईद मनाते हैं और बच्चों को ईदी दी जाती है। ईद के दिन मीठी सेवइयां बनती है। ईदगाह में नमाज़ अदा करने के बाद खुश होकर अपने घरों की तरफ लौटते हैं। ईद के बाजारों में बड़ी रौनक रहती है। ईद का त्यौहार कई दिनों के लिए जारी रहता है। लोग अपने हर रिश्तेदारों के घरों में जाकर ईद की डेढ़ सारी बधाई और शुभकामनाएँ देते हैं। ईद के दिन मुस्लिम परिवारों के आलावा अन्य धर्म के लोग भी उनके ईद के त्यौहार में शामिल होते हैं और ईद की मुबारक बात देते हैं।
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