बच्चों का भविष्य गढ़ने वाले गुरु नौकर नहीं, भाग्य विधाता को गुरु का दर्जा प्राप्त होता है, गुरु देवतुल्य हैं | New India Times

लेखक: भूपेंद्र पांडेय, रीवा, मध्यप्रदेश

बच्चों का भविष्य गढ़ने वाले गुरु नौकर नहीं, भाग्य विधाता को गुरु का दर्जा प्राप्त होता है, गुरु देवतुल्य हैं | New India Times

आपको बताते चलें की आज सिर्फ सोशल मीडिया पर अपार प्रेम देखने को मिलता लेकिन वही वास्तविक प्रेम और दूसरों के प्रति दया भावना खत्म होते चली आ रही है. आज शिक्षक दिवस पर बच्चे अपने अध्यापक को सम्मान देने के बाद फिर एक साल सम्मान देना भूल जाते हैं लेकिन वास्तविक तौर पर मार्ग दर्शन वाले गुरु भगवान के रूप होतें है और उनके ही ज्ञान के बताए हुए मार्ग आप सब के बच्चों का भविष्य तय करता है. बच्चों का भविष्य गढ़ने की जिम्मेदारी सिर्फ शिक्षक पर होती है, वह जैसे शिक्षक जैसे बच्चों का भविष्य गढ़ने का कार्य करेंगे वैसे ही देश एवं प्रदेश का भविष्य तय होता है. भारत देश में बच्चों को भारत भाग्य विधाता कहा जाता है लेकिन भारत के भाग्य विधाता का भविष्य गढ़ने की जिम्मेदारी सिर्फ एवं सिर्फ शिक्षक पर होती है इसलिए आप सब को शिक्षक का आभार व्यक्त करना चाहिए एवं प्रणाम करना चाहिए. गीता में श्री कृष्ण ने कहा है जिसका कर्ज ना उतारा जा सके ऐसे व्यक्ति को दिल से प्रणाम करना चाहिए और हम परिजनों को ऐसे व्यक्ति को आभार व्यक्त करते हुए सम्मान पुर्वक प्रणाम एवं आदर करना चाहिए क्योंकि हम सब के आदरणीय देव तुल्य है.

बच्चों का भाग्य विधाता है शिक्षक

हम सब के लिए गुरु सर्वोपरि है क्योंकि शिक्षक ही विद्यार्थीयों की प्रतिभा के संपूर्ण प्रकटीकरण करने दायित्व शिक्षक पर निर्भर करता है इसलिए शिक्षक नौकर नहीं बच्चों का भविष्य गढ़ने वाले गुरु हैं उनके मार्ग दर्शन और उनके द्वारा दी गई शिक्षा का परिणाम होता है की व्यक्ति समाज के पथ प्रर्दशन में सक्षम होता है. शिक्षक की कार्यशैली और उनका व्यवहार विद्याथियों के लिए आदर्श होता है शिक्षकों का कर्तव्य होता है कि वे अपना संपूर्ण समर्पण स्कूल एवं समाज को प्रदान करें.


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