मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, बुरहानपुर (मप्र), NIT:
रविवार को भाजपा प्रदेश प्रवक्ता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) की नेतृत्व में पर्यावरण एवं जल संरक्षण, संवर्धन भूमिगत जल के पुनर्भरण का संदेश देने हेतु मां वाघेश्वरी पर्वत से शिव पर्वत तक प्रकृति को बिना हानि पहुंचाते हुए मैराथड़ दौड़, साईकल, बैलगाड़ी, तांगे एवं इलेक्ट्रानिक बाईक इत्यादि बिना इंधन की गाडि़यों के माध्यम से यात्रा निकाली गई। तत्पश्चात शिव पर्वत पर सभी ने मिलकर एक साथ 108 पौधों का रोपण किया गया। इस दौरान बच्चों एवं युवाओं में उत्साह देखा गया। सभी ने आगे आकर पौधारोपण कर उसके संरक्षण हेतु संकल्प लिया।
इस अवसर पर भाजपा जिलाध्यक्ष मनोज भीमसेन लधवे, जनपद पंचायत अध्यक्ष किशोर राजाराम पाटिल, जिला पंचायत सदस्य गुलचंद्रसिंह बर्ने, अशोक महाजन, गिरीश शाह, वीरेन्द्र तिवारी, विनोद चौधरी, मुकेश शाह, किशोर कामठे, भाजपा किसान मोर्चा जिलाध्यक्ष राजू पाटिल, स्वर्णसिंह बर्ने, दिलीप तायड़े, प्रदीप पाटिल, दिनकर महाजन, गणेश महाजन, देवानंद पाटिल, पवन पाटिल सहित अन्य जनप्रतिनिधि, युवाओं के साथ बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और पौधा रोपण किया। पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने कहा कि चैत्र नवरात्रि के अवसर पर धामनगांव स्थित मां वाघेश्वरी देवी मंदिर परिसर में आयोजित मां वाघेश्वरी ग्रामोदय मेले को जल शक्ति से जल जीवन पर केन्द्रित किया गया। बारिश के पानी को सहेजने के साथ ही पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जा रहा है। इस हेतु अनेक गतिविधियां आयोजित हो रही है। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि गत 14 वर्षों में ग्राम धामनगांव में मां वाघेश्वरी मंदिर पर्वत को 13 पेड़ों की यात्रा से 7 हजार 500 से अधिक वृक्षों से यह पर्वत हरा-भरा हो गया है। ठीक इसी तरह बंभाड़ा स्थित शिव पर्वत को भी हरा-भरा बनाने के प्रयास शुरू किया गया है। आज श्री राम नवमी के पावन पर्व पर ‘‘वन संस्कार अभियान‘‘ अंतर्गत ग्राम बंभाड़ा स्थित शिव पर्वत को भी पौधारोपण कर विकसित किए हेतु पौधारोपण कर इसका शुभारंभ किया गया। आज नए अध्याय की शुरूआत की गई। यह शिव पर्वत पर आगामी 5 वर्षों में पेड़, पौधों से लहराते नजर आएगा। वन विभाग, समाज, ग्रामवास, पंचायत सहित सामाजिक संगठनों को साथ लेकर पौधारोपण किया। आगामी 5 वर्षों में इस पहाड़ी को मां वाघेश्वरी पर्वत, ईच्छादेवी पर्वत जैसा बनाने का मन में निश्चित किया है। इस वर्ष 2 हजार से अधिक पौधे लगाकर इस प्रकृति संवर्धन अभियान का कार्य करेंगे। शिव टेकरी पर पानी की व्यवस्था, बिजली नहीं होने के कारण पौधों को जीवित रखने के लिए गांव के घर-घर से पुराने मटका पद्धति से पौधारोपण किया जाएगा। यहां मटका पद्धति से पौधे लगाकर मटकों में पानी भरने के लिए गांव के युवा जिम्मेदारी लेंगे।
पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि कहा कि पंचमहाभूत का महत्व भारतीय संस्कृति व दर्शन हमें सदा देते आए है। हमारे वेद उपनिषद व पुराणों की कथाएं प्रकृति में देव दर्शन कराते रहे है। उन्होंने कहा कि प्रकृति के पंचमहाभूत क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा भौतिक जैविक पर्यावरण का निर्माण करते हैं, वेदों में इन पंच महाभूतों को देवीय शक्ति के रूप में स्वीकार किया। मनुष्य के जीवन में पंचतत्व का महत्वपूर्ण स्थान है। इनके बिना शृष्टि की रचना करना संभव ही नहीं है। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में ऐसा कार्य करें जो जन आंदोलन के रूप में उभरकर सामने आए। हम अच्छा सोचे, अच्छा कार्य करें और अच्छे बने, जिससे जहां अच्छे व्यक्तित्व का विकास होगा। वहीं परिवार एवं समाज, प्रदेश एवं देश का भी विकास होगा। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि हम सभी लोग अपने अधिकारों की तो बाते करते है, लेकिन हमें अपने कर्तव्यों का भी पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ निर्वाहन करना चाहिए।पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस नेे कहा कि सारा संसार, समस्त भारतवर्ष और हमारा बुरहानपुर व अपने गांव आज जिस संकट में है अगर उससे भी नहीं जागे तो न तो प्रकृति बचेगी और न ही संस्कृति। श्रीमती चिटनीस ने कहा कि पेड़ अर्थात् प्रकृति ही है। प्रकृति ने हमें इतना अधिक दिया है जिसकी अंश मात्र ही भरपाई हम करना चाहे तो पौधे को पेड़ स्वरूप दिलाकर पौधारोपण और पर्यावरण को संरक्षित करके ही अपना दायित्व निभा सकते है। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि पेड़ अपने समाज में कही पूजा तो कही अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है। महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए पेड़ की परिक्रमा करती है और वट सावित्री पर वट वृक्ष की पूजा का वैज्ञानिक महत्व भी है। पौधा केवल पानी देने से पेड़ नहीं बन सकता। पौधे को प्यार से और लगातार देखरेख करके खाद-पानी देकर पेड़ का स्वरूप लेते हुए देखा जा सकता है। बिना प्यार और बिना चिंता किए पौधा कभी पेड़ नहीं बन सकता। एक वृक्ष सौ पुत्रों के समान होता हैं, जो हमें छोटा रहते हुए ऑक्सीजन तो देता है, बड़ा होने पर फल देता हैं। इसके अलावा वही वृक्ष विशाल आकार लेने के बाद छाया भी देता है। श्रीमती चिटनिस ने बताया कि जब भी पौधा लगाए तो मटका टपक पद्धति से पौधारोपण करें, क्योंकि पौधों को पानी के साथ-साथ ठंडक मिलती है। इस नमी के कारण पौधों में दोगुनी वृद्धि होती हैं। पानी भी कम लगता है। मटका टपक पद्धति से पौधारोपण करने पर शत-प्रतिषत पौधे जिंदा रहते है। यह पद्धति आसान है और 15 से 20 दिन में मटकेे में पानी भरना होता है। मटका भरने के बाद सिंचाई की परेशानी नहीं होती। मटके से रिसकर पानी अपने आप पौधे को मिलता है।
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