जल संसाधन सीमित है और उन्हें अगली पीढ़ी के लिए संभालना सरकार व समाज की जिम्मेदारी: केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर | New India Times

मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, बुरहानपुर (मप्र), NIT:

जल संसाधन सीमित है और उन्हें अगली पीढ़ी के लिए संभालना सरकार व समाज की जिम्मेदारी: केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर | New India Times

‘‘जल शक्ति से जल जीवन‘‘ इस ध्येय वाक्य के साथ आयोजित जल सम्मेलन, जनसंख्या वृद्धि एवं औद्योगिक क्षेत्र में पानी की बढ़ती मांग, जल वायु परिवर्तन एवं जल संसाधनों की उपलब्धता प्रभावित करने वाले प्रमुख कारण हैं। यदि हम जल संचय की सही दिशा में काम नहीं करें तो निकट भविष्य में स्थिति और भी भयावह होगी। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जल से जुड़े हुए मंत्रालयों को एक कर जलशक्ति मंत्रालय बनाया है तथा जल संचय हेतु जल आंदोलन को जन आंदोलन बनाने का संदेश दिया है। जल शक्ति अभियान ‘कैच द रेन‘ के माध्यम से हमें जल सरंक्षण को अधिक व्यापक बनाना है। साथ ही राज्यों को उपयुक्त भूजल को सहजने हेतु आवश्यक कानून बनाने को कहा गया है। कृषि क्षेत्र में उचित जल प्रबंधन भी समय की आवश्यकता है। वास्तव में जल संसाधन सीमित है और उन्हें अगली पीढ़ी के लिए संभालना सरकार व समाज की नैतिक जिम्मेदारी है। इस सफल एवं अनुकरणीय आयोजन हेतु पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस, जिला प्रशासन सहित पूरी टीम को धन्यवाद। निश्चित ही सभी प्रतिभागी अपने अपने क्षेत्रों में जाकर इस आयोजन के उद्देशों क्रियान्वयन हेतु कार्य करेंगे, आप सभी को शुभकामनाएं।
उक्त बात गुरूवार को इंदिरा कॉलोनी स्थित परमानंद जी गोविंद जी वाला ऑडिटोरियम में आयोजित ‘‘जल सम्मेलन‘‘ को वीडियों संदेश के माध्यम से संबोधित करते हुए केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्रसिंह तोमर ने कही। जिला पंचायत एवं जन सहयोग परिषद द्वारा ‘‘जल शक्ति से जल जीवन‘‘ अभियान अंतर्गत खकनार विकास खण्ड जल सम्मेलन आयोजित हुआ। ‘‘जल सम्मेलन‘‘ का शुभारंभ भारत माता के छायाचित्र पर पूजन अर्चन कर किया गया। तत्पश्चात केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्रसिंह शेखावत के वीडियों संदेश के माध्यम से उद्घाटन सत्र की शुरूआत हुई। इंदौर से पधारे जल विशेषज्ञ जल डॉ.सुनिल चतुर्वेदी ने ‘जल ‘कल, आज और कल‘‘ विषय पर चर्चा करते हुए उपस्थितजनों से विस्तारपूर्वक चर्चा की। सम्मेलन में ग्राम निमंदड़ के उज्जवल चौधरी, बोरसल के युवराज पाटिल, देवानंद पाटिल, पातोंडा के कृषक योगेश चौधरी एवं दीपक महाजन ने अपने-अपने गांव एवं खेतों में जल संरक्षण हेतु बनाए गए जल संरचनाओं के फायदे बताते हुए अनुभव साझा किए। सम्मेलन में जनप्रतिनिधियों, वरिष्ठ नागरिकों, खकनार विकासखण्ड के सदस्यगण, सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक सहित ग्रामों के पानी परिवार के पदाधिकारी, सदस्यगण व ग्रामीणजन उपस्थित रहे।
कलेक्टर प्रवीणसिंह ने उपस्थिजनों को जल संरक्षण, संवर्धन एवं पुनर्भरण हेतु जल आंदोलन को जन आंदोलन बनाने की शपथ दिलाई।जल सम्मेलन को कलेक्टर प्रविणसिंह, जिला पंचायत सीईओ रोहित सिसोनिया, पूर्व विधायक रामदास शिवहरे, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष विजय गुप्ता, प्रगतिशील कृषक किशोर शाह ने संबोधित किया। सम्मेलन में जिला पंचायत उपाध्यक्ष राजू शिवहरे, मंचासीन नेपानगर नगर पालिका परिषद अध्यक्ष राजेश चौहान, जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष अरूण पाटिल, बलराज नावानी, पिछड़ा वर्ग मोर्चा जिलाध्यक्ष अरूण पाटिल खेरखेरा, गजराज राठौर, हिम्मत निकम, प्रभाकर चौधरी, चिंतामन महाजन, रूद्रेश्वर एंडोले एवं संभाजीराव सगरे आदि रहे।

जल संसाधन सीमित है और उन्हें अगली पीढ़ी के लिए संभालना सरकार व समाज की जिम्मेदारी: केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर | New India Times

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्रसिंह शेखावत ने गिरते भूजल स्तर पर चिंता व्यक्त की तथा सामुहिक सहभागिता से इसके संवर्धन हेतु कार्य करने का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि जल ही जीवन का आधार है, और इसके बिना जीवन की कल्पना भी संभव नहीं है। हमें यह ध्यान रखना होगा की विश्व की जनसंख्या की कुल 18 प्रतिशत आबादी एव 20 प्रतिशत से अधिक मवेशियों की आबादी हमारे हिस्से आयी है किंतु उनके उपयोग के लिए केवल 4 प्रतिशत ही पेयजल हमारे हिस्से में आया है। हमारे देश में 1200 मिमी वर्षा एक वर्ष में होती है जिसका हम सही तरीके से यदि संचय कर ले तो देश को जलसमृद्ध बनाने की दिशा में यह कारगर सिद्ध होगा।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए जल विशेषज्ञ डॉ.सुनिल चतुर्वेदी ने कहा कि हमें विचार करना होगा कि हमारा कल कैसा होगा और हम पानी की आपूर्ति कैसे करेंगे। जो जलस्त्रोत 12 महीनें बहते थे, अब गर्मी से पहले ही दम तोड़ रहे है। जमीन के पानी का इतना दोहन हुआ है कि भूमिगत जलस्तर अब एक हजार फीट से नीचे चला गया है। नदियों को लगातार दूषित कर रहे है। इससे यह पानी भी पीने लायक नहीं रहा। ट्यूबवेल खनन कर पानी निकालने को हमने आसान और सस्ता समझ लिया है। इसलिए पारंपरिक जलस्त्रोतों को भूल गए। उन्होंने नीति आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि देश के 21 बड़े प्रदेशों में जलसंकट है। इंदौर जिला भी इसमें शामिल है। मध्यप्रदेश के 52 में से 48 जिलों पानी की उपलब्धता कम है। बुरहानपुर जिला भी जलसंकट से ग्रस्त है। नीति आयोग की रिपोर्ट 2 साल पहले जारी हुई थी। इसके बाद से लगातार स्थिति बिगड़ी है। बुरहानपुर जिला सेमी क्रिटीकल है। यानी यहां भूमिगत जल का दोहन ज्यादा है, लेकिन पुनर्भरण नहीं हो पा रहा है। इस स्थिति को सुधारना होगा। खेती मंे रसायन के उपयोग से भी जल दूषित हुआ है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 75 प्रतिशत जल में नाइट्रेट की मात्रा में वृद्धि हुई है। श्री चतुर्वेदी ने कहा कि पावर पाईंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से ग्रे वाटर, ब्लैक वाटर एवं स्टॉप डेम सहित इत्यादि की विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि आज से लगभग 30 वर्ष पूर्व हमारे जल स्त्रोत कुएं, बावड़ी, झिर, नदी, हैण्डपंप इत्यादि हुआ करते थे। लेकिन अब यह मात्र ट्यूबवेल पर रहा गया है। पानी के जल स्तर की चिंता करते हुए सभी नागरिकों को आगे आकर बरसात के जल संग्रहण करना होगा। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि अपने-अपने खेतों में खेत तालाब बनाकर बारिश के पानी को रोके। श्री चतुर्वेदी ने कहा कि देश में पहला ट्यूबवेल खनन 1935 में उत्तरप्रदेश के गांव में हुआ था। तब से हमें भूमिगत जल स्त्रोतों का दोहन शुरू किया। आज देश में कितने ट्यूबवेल है, इसकी संख्या बता पाना किसी के बस में नहीं। तीन दशक पहले तक मालवा-निमाड़ में बावड़ी, तालाब, कुएं और नदियां हमारे जलस्त्रोत हुआ करते थे, लेकिन आज हम पनी के लिए सिर्फ ट्यूबवेल के भरोसे है। पानी का दोहन ऐसा ही चलता रहा तो यह स्त्रोत भी खत्म हो जाएंगे।
पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि बुरहानपुर जिले का भूमिगत जलस्तर तेजगति से गिरता जा रहा है। निरंतर गिरते जलस्तर को संभालना शासन, प्रशासन व समाज की जिम्मेदारी है। संपूर्ण प्रदेश में बुरहानपुर जिले का भूमिगत जल पुर्नभरण स्तर चिंताजनक रूप से सबसे कम है। आगामी वर्षा ऋतु में अपनी छत, मोहल्ला, खेत व गांव में बरसने वाले पानी को संभालने हेतु व भूमिगत जल के पुनर्भरण करने की दृष्टि से गत एक वर्ष से निरंतर सुनियोजित तरीके से कार्य किया जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जल शक्ति अभियान के माध्यम से ‘‘कैच द रेन‘‘ की कार्ययोजना बना एक ज्वलंत समस्या के समाधान का मार्ग प्रशस्त किया है। जल शक्ति अभियान के निर्देषों में समाज की सहभागिता व सहयोग का भी आग्रह किया गया है। उन्हों ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी और समझदारी का व्यवहार करने के लिए लगातार देष व दुनिया के सामने स्वयं प्रेरणा बन गए है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान भी पानी और प्रकृति के प्रति अत्यंत संवेदनशील है। प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री से प्रेरणा पा पेड़, पानी और मिट्टी को सेहजने की इस महती काम में सभी अपनी भूमिका तय करें, इस ओर मेरा निरंतर प्रयास रहा है। हम प्रयासरत् है कि ‘‘माता भूमि पुत्रोहं पृथिव्या‘‘ के इस भाव से सब मिल सेहजे धरती मां को अपनी आने वाली पीढि़यों के लिए।
श्रीमती चिटनिस ने कहा कि बरसात का जल सहेजेंगे तो भूमि में पानी जाएंगा और भूमि में पानी जाएगा तो नदी-नालों में पानी होगा। नदी-नालों में पानी होगा तो सरकार द्वारा बनाई गई सिंचाई परियोजनाओं, बांध, तालाब इत्यादि में पानी आएगा। बांध-तालाबों में पानी होगा तो तो हर खेत-हर नल को पानी मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि ‘‘जल शक्ति से जल जीवन‘‘ संभव हो सकेंगा। बरसात का पानी सेहजेंगे तो भूमि में पानी होगा, भूमि में पानी हुआ तो टंकिया भरेंगी, टंकियां भरी तभी तो घर-घर में नल से जल पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि जनभागीदारी व जनसहयोग व शासन की योजनाएं दोनों साथ मिलकर जल संवर्धन व भूमिगत जल पुनर्भरण का काम करें यहीं प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री की भावना है। समाज और सरकार एक साथ मिल पानी को संभालने का भीड़ा उठा रहे है। दशकों में जो खोया है उसे वर्षा में सुधारना अब अत्यंत आवश्यक हो चुका है।
पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने केंद्रीय कैबिनेट मंत्री श्री नरेन्द्रसिंह तोमर एवं श्री गजेंद्रसिंह शेखावत के उद्बोधन हेतु हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि निश्चित ही हम बुरहानपुर वासी जलसमृद्ध बुरहानपुर हेतु कृतसंकल्पित है और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की मंशानुरूप जल शक्ति अभियान ‘‘कैच द रेन‘‘ को ‘‘जल शक्ति से जल जीवन‘‘ के साथ क्रियान्वयन समर्पण भाव से करेंगे।
जल सम्मेलन को संबोधित करते हुए कलेक्टर प्रवीणसिंह ने कहा कि आने वाले भविष्य की चिंता करते हुए हम सभी की जिम्मेदारी है कि पानी का सदुपयोग करें। जितने पानी की आवश्यकता है, उतने ही पानी का उपयोग करें। बारिश के जल को सहेजने की जिम्मेदारी हम सभी की है। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों में जल संरक्षण एवं जल संवर्धन के लिए कार्य किए जा रहे है। नवीन कार्याे को चिन्हिंत कर कार्ययोजना तैयार करें।


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