नीचे गिरे सूखे पत्तों पर अदब से चलना जरा। कभी कड़ी धूप में तुमने इनसे ही पनाह मांगी थी... | New India Times

लियाक़त शाह, भुसावल/जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

नीचे गिरे सूखे पत्तों पर अदब से चलना जरा। कभी कड़ी धूप में तुमने इनसे ही पनाह मांगी थी... | New India Times

जिंदगी खुशी और गम की परिभाषा होती है, जो रेल की पटरी के समान साथ साथ चलती रहती है. परमेश्वर ने हमें जीवन में दुख और सुख दोनों साथ में दिए हैं जिसका नाम जिंदगी है. ये पेड़ से गिरे हुए पत्ते यही दरशाते हैं की अनमोल सी लगने वाली जिंदगी को एक दिन फना होना ही है. हमेशा हालत और वक्त एक जैसे नहीं रहते. जहाँ आज हम हैं वहा कल कोई और दूसरा या तीसरा भी होगा. ये तस्वीर शनिवार को हमारे संवाददाता लियाकत शाह ने ताप्ती क्लब से ली थी.

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