भीम सेना चीफ नवाब सतपाल तंवर पर लखनऊ में देशद्रोह का केस दर्ज, जाना होगा जेल, लटकी गिरफ्तारी की तलवार | New India Times

साबिर खान, गुरूग्राम/लखनऊ, NIT:

भीम सेना चीफ नवाब सतपाल तंवर पर लखनऊ में देशद्रोह का केस दर्ज, जाना होगा जेल, लटकी गिरफ्तारी की तलवार | New India Times

दलित समाज के लोगों, गरीबों और महिलाओं के लिए काफी वर्षों से संघर्ष कर रहे और अक्सर विवादों में रहने वाले भीमसेना के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष नवाब सतपाल तंवर पर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने ऐसा शिकंजा कसा है कि सतपाल तंवर का बच पाना मुश्किल लग रहा है। पूरे देश भर में न्याय की आवाज उठाने वाले नवाब सतपाल तंवर पर ऐसा सरकारी डंडा चला है कि उनकी रातों की नींद उड़ गई है। वैसे भीम सेना प्रमुख नवाब सतपाल तंवर फिलहाल बीमार चल रहे हैं फिर भी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने उनके ऊपर देशद्रोह का केस दर्ज कर लिया है जिसमें बच पाना उनके लिए बेहद मुश्किल है। हालांकि इससे पहले भी भीम सेना प्रमुख नवाब सतपाल तंवर पर 3 दर्जन से ज्यादा केस दर्ज हैं जिसमें कई मामलों में वे जमानत पर हैं और कई मामलों में वांटेड चल रहे हैं लेकिन अब नवाब सतपाल तंवर पर लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में देशद्रोह का मुकदमा संख्या 83 दर्ज किया गया है। देशद्रोह की धारा 124 ए (राजद्रोह-देशद्रोह, सरकार विरोधी सामग्री लिखना या बोलना, ऐसी सामग्री का समर्थन करना, राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने के साथ संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करना, अपने लिखित या फिर मौखिक शब्‍दों या फिर चिन्हों या फिर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर नफरत फैलाने या फिर असंतोष जाहिर करना देशद्रोह के दायरे में आता है) आईपीसी के इतिहास की यह सबसे बड़ी धारा है जो भीम सेना के चीफ नवाब सतपाल तंवर पर लगाई गई है। इस धारा में उन्हें कम से कम 3 साल से उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। 153 (1) ए (विभिन्न धार्मिक, नस्लीय, भाष‌ीय या क्षेत्रीय समूहों या जातियों या समुदायों के बीच सद्भाव को बिगाड़ना, सार्वजनिक शांति भंग करने का कार्य करना या शांति भंग होने की संभावना पैदा करना। इस धारा में उन्हें 3 साल तक की सजा और आर्थिक जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।), 505 (1) बी (ऐसी सम्भावना पैदा करना जिससे सामान्य जन या जनता के किसी भाग के बीच भय पैदा हो गया है या अलार्म का वातावरण पैदा हो गया है और जिसके चलते कोई व्यक्ति, राज्य के विरुद्ध या सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध करने के लिए उत्प्रेरित हो गया है। सैन्य-विद्रोह या सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध करने के आशय से असत्य कथन, जनश्रुति, आदि परिचालित कर दिया गया है। इस धारा में भी नवाब सतपाल तंवर को 3 साल तक की सजा हो सकती है और आर्थिक जुर्माने से भी दंडित किया जा सकता है।), 120 बी (आपराधिक षडयंत्र रचना। इस धारा में आजीवन कारावास या दो वर्ष या उससे अधिक अवधि के कठिन कारावास से दंडनीय अपराध करने के आपराधिक षडयंत्र में शरीक होने की धाराओं के अनुसार उसी प्रकार दंडित किया जाएगा, मानो उसने ऐसे अपराध का दुष्प्रेरण किया था।) आईपीसी और 66 आईटी एक्ट (इंटरनेट पर अपमानजनक, नुकसान पहुंचाने वाली या कानून-व्‍यवस्‍था भंग करने वाली सामग्री डालना। इस एक्ट में नवाब सतपाल तंवर पर सेक्शन का जिक्र नहीं किया गया है जिसमें मामूली जुर्माने और सजा से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है।) गम्भीर, संगीन, संज्ञय और अजमानतीय धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। जिसमें नवाब सतपाल तंवर का लगभग जेल जाना तय है। आरोप लग रहे हैं कि ये सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इशारे पर किया जा रहा है। भीम सेना के के लोगों का आरोप है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मिलकर नवाब सतपाल तंवर को आजीवन जेल में डालने की साजिश रच रहे हैं।

मिली जानकारी के अनुसार भीम सेना चीफ नवाब सतपाल तंवर पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार से पूरे देश में सनसनी फेल गई है और लोगों ने योगी सरकार का विरोध करना शुरू कर दिया है। विशेषकर दलित समाज के लोगों ने और भीम सेना के कार्यकर्ताओं ने योगी और मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चाबंदी करनी शुरू कर दी है। बताया जाता है कि पूरी दुनिया में भीम सेना के भीम सैनिकों और नवाब सतपाल तंवर के चाहने वालों की तादात लाखों में है। ऐसे में नवाब सतपाल तंवर योगी सरकार के लिए बड़ी मुसीबत बन सकते हैं। भीम सेना के साथ-साथ कई सामाजिक संगठन और राजनीतिक दल भी भीमसेना प्रमुख नवाब सतपाल तंवर के समर्थन में उठ खड़े हुए हैं। लोगों का कहना है कि नवाब सतपाल तंवर दलितों के ही नहीं बल्कि देश के हर वर्ग के गरीबों और पीड़ितों के मसीहा हैं। यदि उन्हें गिरफ्तार किया जाता है तो पूरे देश में बड़े आंदोलन होंगे। दरअसल भीम सेना चीफ के खिलाफ यह एफआईआर खुद सरकार के द्वारा दर्ज कराई गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर लखनऊ के पुलिस कमिश्नर एडीजी ध्रुव कांत ठाकुर ने हजरतगंज कोतवाली के दरोगा संजय यादव के द्वारा देशद्रोह में यह एफआईआर दर्ज कराई गई है। लोग सरकार और पुलिस से सवाल कर रहे हैं कि क्या न्याय के लिए आवाज उठाना देशद्रोह है? उत्तर प्रदेश की लखनऊ पुलिस ने भीमसेना चीफ नवाब सतपाल तंवर को सीआरपीसी की धारा 41 ए के तहत नोटिस भेज दिया है। आने वाली 4 जून को पेश होने का सख्त आदेश जारी किया गया है। जहां औपचारिक पूछताछ के बाद नवाब सतपाल तंवर को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया जाएगा। वहीं भीम सेना की लीगल टीम भी नवाब सतपाल तंवर को इस कानूनी शिकंजे से बचाने के लिए सक्रिय हो गई है। हालांकि मामला देशद्रोह का है और अन्य सभी आईपीसी धाराएं भी गैर जमानती हैं जिसमें उनका जेल जाना लगभग तय है।

देशद्रोह की धारा पर फिर से बढ़ा विवाद

आईपीसी की धारा 124 (ए) के तहत उन लोगों को गिरफ्तार किया जाता है जिन पर देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने का आरोप होता है। जेएनयू छात्रसंघ के प्रेसिडेंट कन्हैया कुमार को आईपीसी की धारा 124 (ए) के तहत देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद से अनेकों ऐसे मामले हुए हैं जिसमें देशद्रोह की धारा का इस्तेमाल किया गया है जो अदालत में जाकर संदेह के दायरे में आ गई हैं।

कहां से आया नियम

देशद्रोह पर कोई भी कानून 1859 तक नहीं था. इसे 1860 में बनाया गया और फिर 1870 में इसे आईपीसी में शामिल कर दिया गया। सैडीशन लॉ यानि देशद्रोह कानून ब्रिटिश सरकार की देन है। आजादी के बाद इसे भारत सरकार ने अपना लिया था।

देशद्रोह का सबसे पहले इस्तेमाल
1870 में बने इस कानून का इस्तेमाल ब्रिटिश सरकार ने बालगंगाधर तिलक के खिलाफ किया था।

इन पर हुआ है लागू:-

  1. 1870 में बने इस कानून का इस्तेमाल ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गांधी के खिलाफ वीकली जनरल में ‘यंग इंडिया’ नाम से आर्टिकल लिखे जाने की वजह से किया था. यह लेख ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लिखा गया था।
  2. बिहार के रहने वाले केदारनाथ सिंह पर 1962 में राज्‍य सरकार ने एक भाषण के मामले में देशद्रोह के मामले में केस दर्ज किया था, जिस पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी। केदारनाथ सिंह के केस पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की एक बेंच ने भी आदेश दिया था। इस आदेश में कहा गया था, ‘देशद्रोही भाषणों और अभिव्‍यक्ति को सिर्फ तभी दंडित किया जा सकता है, जब उसकी वजह से किसी तरह की हिंसा, असंतोष या फिर सामाजिक असंतुष्टिकरण बढ़े।’
  3. 2010 को बिनायक सेन पर नक्सल विचारधारा फैलाने का आरोप लगाते हुए उन पर इस केस के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। इन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी लेकिन बिनायक सेन को 16 अप्रैल 2011 को सुप्रीम कोर्ट की ओर से जमानत मिल गई थी।
  4. 2012 में काटूर्निस्ट असीम त्रिवेदी को उनकी साइट पर संविधान से जुड़ी भद्दी और गंदी तस्वीरें पोस्ट करने की वजह से इस कानून के तहत गिरफ्तार किया गया। यह कार्टून उन्‍होंने मुंबई में 2011 में भ्रष्‍टाचार के खिलाफ चलाए गए एक आंदोलन के समय बनाए थे।
  5. 2012 में तमिलनाडु सरकार ने कुडनकुलम परमाणु प्‍लांट का विरोध करने वाले 7 हजार ग्रामीणों पर देशद्रोह की धाराएं लगाईं थी।
  6. 2015 में हार्दिक पटेल, कन्हैया कुमार से पहले गुजरात में पाटीदारों के लिए आरक्षण की मांग करने वाले हार्दिक पटेल को गुजरात पुलिस की ओर से देशद्रोह के मामले तहत गिरफ्तार किया गया था।
  7. अब भीमसेना चीफ नवाब सतपाल तंवर पर उत्तर प्रदेश की भाजपा नीत योगी आदित्यनाथ सरकार ने देशद्रोह की धाराओं में मुकदमा कायम किया है। जिससे देश में इस कानून के इस्तेमाल और समाजसेवी लोगों को फंसाने के आरोप लगने से देशद्रोह के अस्तित्व पर एक बार फिर से सवाल उठने शुरू हो गए हैं।

धारा को हटाने की मांग

देशद्रोह के कानून को लेकर संविधान में विरोधाभास भी है, जिसे लेकर अक्सर विवाद उठते रहे हैं। दरअसल, जिस संविधान ने देशद्रोह को कानून बनाया है, उसी संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को भारत के नागरिकों का मौलिक अधिकार बताया गया है। मानवाधिकार और सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता इसी तर्क के साथ अपना विरोध जताते रहे हैं और आलोचनाएं करते रहे हैं। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि देशद्रोह से जुड़े कानून की आड़ में सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रहार करती है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इस कानून की कड़ी आलोचना होती रही है और इस बात पर बहस छिड़ी है कि अंग्रेज़ों के ज़माने के इस क़ानून की भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में जगह होनी भी चाहिए या नहीं।


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