पंकज शर्मा, ब्यूरो चीफ, धार (मप्र), NIT:
आज धार जिले की हजारों महिलाओं ने मिलकर कलेक्टर को अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए धार जिले के जिला अध्यक्ष श्रीमती सीताबाई योगेश मंडलोई व जिला सचिव श्रीमती विमला बालाराम चौहान द्वारा कलेक्टर महोदय को अवगत करवा गया और बताया गया कि मध्यान भोजन व सांझा चूल्हा संचालित रसोईया माता बहनों का मानदेय 9 से 10 महीने से अभी तक शासन द्वारा नहीं दिये जाने पर
मध्यप्रदेश में समूह की एमडीएम सांझा चूल्हा रसोईया माताएं बहने रोष प्रकट करते हुए पूरे मध्यप्रदेश में ज्ञापन दे रही हैं और अपनी पीड़ा व्यक्त कर रही हैं. उसी कड़ी को अंजाम देते हुए आज धार जिले में हजारों महिला एकत्रित हुईं और अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए आज 8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को पीड़ा महिला दिवस के रूप में मनाते हुए कलेक्टर महोदय को व महिला बाल विकास व जिला पंचायत सीईओ को ज्ञापन के द्वारा अपनी विभिन्न मांगों को अपनी पीड़ा के रूप में व्यक्त किया.
इस मौके पर उपस्थित धर्मपुरी ब्लॉक अध्यक्ष रानू चौधरी, नालछा ब्लॉक अध्यक्ष शारदा सोलंकी, बदनावर ब्लॉक अध्यक्ष श्रीमती मोना कुवर, धर्मपुरी ब्लॉक उपाध्यक्ष श्रीमती मंजूबाई संजय मकवाना, निसरपुर ब्लॉक अध्यक्ष जसोदा बाई विजय, मनावर ब्लॉक अध्यक्ष श्रीमती राधाबाई पन्नालाल, बदनावर ब्लॉक प्रचार मंत्री अयोध्याबाई, धरमपुरी ब्लॉक प्रचार मंत्री प्रमिला, प्रकाश पाटीदार, चंदाबाई शशि चौहान, आरती सोलंकी, धरमपुरी ब्लॉक सचिव वंदना श्याम बघेल, धरमपुरी कोषाध्यक्ष प्रतिबाई कुंदन जाट इन सभी डीएम सांझा चूल्हा रसोईयन माता बहनों की मांगे इस प्रकार रही हैं..
1-: कोरोना काल में अपनी जान जोखिम में डालकर आंगनबाड़ी पर दर्ज बच्चों को घर-घर नाश्ता के रूप में सुखा सत्तू लड्डू चूर्ण पहुंचाकर कर अपने स्वयं ने पैकिंग वहन किया बिना शासन के सहयोग मिले स्वयं कोरोना किट खरीद कर कुपोषण को रोकने में अहम भूमिका निभाने वाली स्व सहायता समूह से जुडी महिलाओं को कोरोना योद्धा मानकर उन्हें 5 हजार रु सहायता राशि दी जाए।
2-: और कोरोना काल में एमडीएम संचालित रसोईया माता बहनों ने स्कूल के बच्चों को हंड्रेड परसेंट उपस्थिति के मान से घर जा जाकर सुख खाद्य सामग्री वितरण की अपने स्वयं के परिवहन एवं पॉलिथीन का पैकिंग खर्च वहन किया
3 -: स्कूलों में एमडीएम पका कर खिलाने वाली सहायता समूह से जुड़ी अध्यक्ष एवं सचिव को ₹1000 प्रतिमा प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाए।
4 -: मध्यान भोजन बनाने वाली रसोईयाओं का मानदेय रुपए 2000 से बढ़ाकर ₹5000 किया जाए ,
5 -: कोरोनाकाल में स्कूल बंद होने के बाद भी स्व सहायता समूह द्वारा बच्चों को सूखा राशन उनके घरों तक पहुंचाने का जो काम किया है उसका परिवहन, पैकिंग सामग्री एवं मानदेय मूंग दाल एवं तेल वितरण के दिए गए मानदेय एवं परिवहन के अनुसार दिया जाए।
6 -: स्कूलों के विकास के लिए मिलने वाली कंटेंशनजेंसी राशि का सदुपयोग हो इस गरज से शाला प्रबंधन समिति का स्व सहायता समूह को आवश्यक हिस्सा बनाया जाए।
7 -: स्कूलों और आंगनबाड़ियों में होने वाले निर्माण भवन, शौचालय, बाउंड्री वाल, पुताई इत्यादि का काम समूह को दिया जाए। इससे काम गुणवत्तापूर्ण होने के साथ समूह से जुड़ी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी।
8 -: मध्यान भोजन की राशि बढ़ाकर मिडिल स्कूल मैं ₹15एवं प्राथमिक स्कूल में ₹10 प्रति छात्र की जाए
9 : – कोरोना काल में स्कूल बंद होने के दौरान छात्र छात्राओं को सूखा राशन एवं तुवर दाल और सोयाबीन तेल का वितरण किया गया है इस वितरण में उन स्कूलों में गड़बड़ी की गई है जहां समूह के बजाय हेड मास्टर शाला प्रबंधन समिति के नाम से मध्यान भोजन चलाते हैं ऐसे स्कूलों की जांच गैर शैक्षणिक कार्य करने वाले तहसीलदार स्तर के अधिकारी से कराई जाए।
10-: आंगनवाड़ियों पर भोजन नाश्ते का काम कई जिलों में% ( परसेंटेज) व ठेका प्रथा पर दिया जा रहा है वह बंद किया जाए एक समूह के पास 10-10 आंगनवाडी+स्कूल से अधिक होने पर व्यवस्था सुचारू रूप से चलाई नहीं जा सकती क्योंकि एक समूह के पास अधिक आंगनवाड़ी+स्कूल होने पर व्यवस्था भंग होती है और समय पर मीनू अनुसार नाश्ता भोजन उपलब्ध नहीं हो पाता ,बच्चों का शोषण होता है और बच्चों में कुपोषण की संख्या मैं सुधार करने में बाधा उत्पन्न होती है, इसलिए एक समूह के पास 10 आंगनवाड़ी स्कूल से अधिक होने पर अन्य समूह को भी स्कूल आंगनवाड़ी उपलब्ध कराई जाए ताकि उस गरीब परिवार का भी पालन पोषण व रोजगार के माध्यम से उसका चूल्हा जलता रहे
11-: एमडीएम सांझा चूल्हा संचालित रसोईया को कार्य के दौरान आकाशमीक दुर्घटना होने पर 5 लाख का मुआवजा उपलब्ध कराई जाए
12-: शासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्र और शहरी क्षेत्र के समूह में भेदभाव समाप्त किया जाए जैसे कि ग्रामीण क्षेत्र में सांझा चूल्हा नाश्ता 2 रु70 पैसे व भोजन की राशि 4 रु72 पैसे है और शहरी क्षेत्र के समूह को नाश्ते की राशि 3 रु और भोजन की राशि 5 रु दी जा रही है, जबकि खाद्य सामग्री के भाव शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में एक समान है तो फिर राशि अलग-अलग क्यों?
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts to your email.