अशफाक कायमखानी, सीकर (राजस्थान), NIT;
मध्यप्रदेश में ज्वलंत रुप से उभरे किसान आंदोलन के बाद राजस्थान में भी जगह-जगह विभिन तरह के किसान संगठन अपने अपने स्तर पर कर्ज माफी सहित अन्य मुद्दों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। इसी कड़ी में प्रदेश कांग्रेस संगठन ने भी 14-जून को सभी जिला मुख्यालयों पर किसानों की विभिन्न मांगो को लेकर प्रदेश भर में प्रदर्शन व रैली करके जिला कलेक्टर को ज्ञापन देने का कार्यक्रम घोषित करके मुद्दे को भुनाने व राज्य की भाजपा सरकार को इस मामले मे घेरने की कोशिश में एक कदम आगे बढाया है। दूसरी तरफ वामपंथ का केन्द्र बिन्दू माने जाने सीकर में होने वाली किसान रैलियों से में एक रोचक पहलू यह जूड़ गया है कि वामपंथ की भी किसान सभा ने 16 -जून को सीकर में इन्हीं सभी मांगों के साथ विशाल प्रदर्शन व रैली करने का ऐहलान पहले से कर रखा है।
हालांकि सीकर में किसानों के मुद्दों को हाईजेक करके अपने आपको बडा किसान हितेषी दल साबित करने के साथ-साथ किसान समुदाय में अपनी पैठ जनता में दर्शाने को लेकर कांग्रेस व माकपा नेताओं में कशमकश पिछले एक साल से काफी बढ जाने से उनके द्वारा आयोजित होने वाली रैलियों में भीड़ के हिसाब से एक दूसरे को मात देने की कोशिश में अभी तक तो वामपंथ का पलड़ा ही भारी रहा है, लेकिन लगता है कि कांग्रेस अब यह भ्रम भी तोड़ने पर तैयारी के हिसाब से गम्भीर नजर आ रही है। वैसे तो कांग्रेस के पास दिग्गज नेताओं की बडी फौज जिले में मौजूद होने के कारण उन्होंने पूर्व घोषित तारीख 17 जून की बजाय अचानक 14 जून को सीकर में किसान रैली करके भारी भीड़ जुटाकर वामपंथ को करारा झटका दे सकती है। दूसरी तरफ वामपंथी किसान सभा ने 16 जून की अपनी रैली को पूर्व घोषित तारीख को ही 16-जून को कृषि उपज मंडी में ही करने का तय कर रखा है।
सीकर जिले में नेताओं के हिसाब से कांग्रेस संगठन के पास दिग्गज नेताओ की एक लम्बी-चोड़ी फौज व हर स्तर पर संगठन व कार्यकर्ताओ का बडा आंकड़ा मौजूद है। वहीं वामपंथ के पास दो पुर्व विधायक व सीमित क्षेत्र में सिमित तादात वाला संगठन ही पूंजी है। जबकि जिले में होने वाली अब तक की किसान रैलियों में भीड़ के हिसाब से माकपा हमेशा से कांग्रेस को मात देती आई है। कांग्रेस के पास सुभाष महरीया व महादेव सिंह जैसे पूर्व दो पूर्व केन्द्रीय मंत्री, पुर्व प्रदेश अध्यक्ष व मंत्री रहे विधायक चौधरी नारायण सिंह, पूर्व विधान सभाध्यक्ष व मंत्री रहे दिपेन्द्र सिंह शेखावत व पुर्व विधायक व मत्री रहे परशुराम मोरदिया , पुर्व मंत्री राजेन्द्र पारीक, विधायक व प्रदेश में सक्रीय नेता माने जाने वाले जिलाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा व पूर्व विधायक रमेश खण्डेवाल के अलावा पूर्व व मौजूदा स्थानीय निकाय के चेयरमेन, पंचायत समिति प्रधानों की भारी भरकम फौज के साथ साथ वर्कर तैयार हैं। जबकि माकपा के पास अमरा राम व पेमाराम दो पूर्व विधायकों के अलावा उसमान खान व भेरुराम नामक दो पूर्व प्रधानों के अलावा केवल वर्कर ही मोजूद हैं।
कुल मिलाकर यह है कि अपनी तारिख में बदलाव करके वामपंथियों से दो दिन पहले कांग्रेस उन्ही मुद्दो को लेकर उसी जगह कृषि उपज मंडी सीकर में जिला स्तरीय किसान रैली कर रही है। और उन्ही मुद्दों को लेकर उसी जगह वामपंथ दो दिन बाद जिला स्तरीय किसान रैली आयोजित कर रही है। जिसमें बडी तादात में किसानों के जुटाने का दावा दोनों दल के नेता अपने अपने स्तर पर कर रहे है। दोनों रैलियों में जुटने वाले किसानो की भीड़ को देखकर सियासी आंकलनकर्ता तय करेंगे कि किस दल की पैठ किसानों में कितनी गहराई तक अभी भी मौजूद है। दूसरी तरफ जिला कांग्रेस प्रदेश के दिग्गज नेता पायलेट, गहलोत, डुडी व जोशी के रैली में आने की कहकर भी भीड़ जुटा रहे हैं। वहीं माकपा में तो केवल दिग्गज नेता पूर्व विधायक अमराराम को ही अब तक बडा बताते हैं।
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