गीता जयंती के शुभ अवसर पर कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन | New India Times

वी.के.त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ लखीमपुर खीरी (यूपी), NIT:

गीता जयंती के शुभ अवसर पर कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन | New India Times

उत्तर प्रदेश के जनपद लखीमपुर खीरी के कस्बा जंगबहादुरगंज के केन ग्रोवर्स इण्टर कालेज परिसर में हिंदी प्रोत्साहन समिति द्वारा गीता जयंती के शुभ अवसर पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन का शुभारंभ उपजिलाधिकारी मोहम्मदी बी.डी. वर्मा ने किया । प्रधानाचार्य हरिश्चंद्र की अध्यक्षता व व्यंगकार श्रीकांत सिंह के निर्देशन में कवि अतुल मिश्र मधुकर ने सरस्वती वंदना कर कार्यक्रम की शुरुआत की। हास्य कवि विकास बौखल के आतिशी संचालन में श्रोता ठहाके लगाते रहे। इससे पहले शाहजहांपुर जिले के गांव नरसुईया में देश के पहले ग्रामीण स्टूडियो ‘साहित्य साधना मंच’ को स्थापित करने के लिए उर्मिलेश सौमित्र व कुमार रजनीश को संस्था ने सम्मानित किया। इस दौरान ग्रामिया सचिव विश्वम्भरनाथ ने सभी कवियों व अतिथियों को गीता दैनन्दिनी भेंट की।

लोक गीतकार फारुख सरल ने पढ़ा….

बूंद-बूंद से गहरा सागर बनता है ,
ऊंचा पर्वत कण-कण मिलकर बनता है।

हास्य कवि कमलेश धुरंधर ने पढ़ा…
सबका अपना अपना नारा
नारे मकड़ी के जाले, वोटर इसमें फंसा बेचारा ,,

ओज कवि उर्मिलेश सौमित्र ने पढ़ा..
जिसे देख छाती थर्राये आंधी और तूफान की ,
एकबार फिर वही जवानी दे दो हिंदुस्तान की ,,

गीतकार शुभम शुक्ला ने पढ़ा
जरूरत ही नहीं पड़ती किसी मंदिर में जाने की ,
मैं अपनी मां के पैरों के अंगूठे चूम लेता हूँ ,,

ओज कवि कमलकांत तिवारी ने पढ़ा
कह दो भारत की संसद से और सियासतदारों से ,
जंग नही जीती जाती है जंग लगे हथियारों से ,,

गजल गायक कुमार रजनीश ने पढ़ा
सदा सदा से बेगाने थे हम किधर जाते ,
सभी तो तेरे दीवाने थे हम किधर जाते ,,

करुणेश दीक्षित सरल के मुक्तक छाए रहे
नेह का एक प्यारा बसा गांव हो ,
जिसमें सुंदर सुकोमल तेरा पांव हो ,,

चिंतन के कवि संजीव मिश्र व्योम ने पढ़ा
बुरा सुनों ना बुरा कहो ना बुरा न देखो प्यारे ,
बापू आज तुम्हारे बंदर कहाँ खो गए सारे ,,

कवियत्री सोनी मिश्रा ने पढ़ा
नही दीवार वो रह जाती मजबूत वहाँ ,
जहाँ दीवार का आधार बदल जाता है ,,

हास्य के हस्ताक्षर विकास बौखल ने गुदगुदाया
हमें लगता चुनावी दौर फिर से आने वाला है ,
निकल कर एसी से गोबर उठाने फिर चले आये ,,

व्यंगकार श्रीकांत सिंह के पढ़ा
अब बच्चे तान बिखेरे कुछ मोदी स्टाइल में ,
मैं हुआ नोटबन्दी सा तुम लगती हो जीएसटी ,,

ओज कवि अतुल मधुकर ने पढ़ा
छोटी सी किताब तौल देगी दुनिया का ज्ञान ,
पलड़े में एक ओर गीता रख दीजिए ,,

गीतकार अरविंद कुमार ने पढ़ा
कोशिशें उम्र भर चली होंगी ,
ख्वाहिशें हर कदम जली होंगी ,,

गीतकार सुनीत बाजपेई ने पढ़ा
तुम जिनको चौबिस घंटे में मंदिर देने वाले हो ,
उनके नयन हुए तिरछे तो पल में बेघर कर देंगे।

देर रात तक चले कवि सम्मेलन में बीएल वर्मा , पीके राय, अमिय सिंह, शालू सिंह, श्याम मिश्रा सहित सैकड़ो श्रोताओं ने काव्य रस का आनंद लिया।


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