अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT:
भारत को आजाद हुये 71 साल होने के बावजूद कांग्रेस पार्टी मुस्लिम समुदाय को आज भी केवल वोटबैंक बनाये रखने से अलग हटने को लगता है कि किसी भी सूरत मे तैयार नही है। कांग्रेस मुस्लिम समुदाय के मत तो बंधुआ मतदाताओं की तरह अपने पक्ष मे डलवाना चाहती है लेकिन सत्ता व संगठन में उन्हें किसी भी तरह का उचित व सम्मानजनक प्रतिनिधित्व देने को कतई तैयार नही नजर आती है। जिससे मुस्लिम समाज में कांग्रेस के प्रति नाराजगी बढती जा रही है।
राजस्थान कांग्रेस नेताओं की लम्बी खींचतान व उठापटक के बाद कांग्रेस हाईकमान ने दो महीने बाद होने वाले आम विधानसभा चुनाव मे विजय पाकर सत्ता पर काबिज होने की उम्मीद के लेकर राजस्थान मे कुल नो कमेटियों का गठन किया है। जिसमे एक भी समिति का अध्यक्ष मुस्लिम को नही बना कर उनकी घोर उपेक्षा की है। कहने को केरल राज्य की मूल निवासी व ईसाई समुदाय से तालूक रखने वाली महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रेहाना रियाज को अल्पसंख्यक कोटे मे प्रोटोकॉल समिति का अध्यक्ष बनाकर काले पर सफेद करने की कोशिश जरुर की है। लेकिन मुस्लिम समुदाय इसको सफेद मानने को कतई तैयार नही है। हालांकि राजस्थान के अपने आपको दिग्गज नेता मानने वाले जो कभी ना कभी किसी ना किसी रुप में हार का मजा चख चुके होने के बावजूद “अंधे बांटे रेवड़ी-फिर फिर घर घर का दे” वाली कहावत को चरितार्थ करते हुये प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलेट, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व राष्ट्रीय महामंत्री सीपी जोशी ने स्वयं एक एक समिति के अध्यक्ष बन गये एवं बाकी बची छ समितियों पर अपने खास चाहत वाले नेताओं को अध्यक्ष बनाकर इतिश्री करली है। चुनाव समिति के अध्यक्ष सचिन पायलेट व समन्वय समिति के अध्यक्ष अशोक गहलोत स्वयं बन गये। एवं पब्लिसिटी एवं प्रकाशन समिति का अध्यक्ष पद सीपी जोशी के खाते मे डाल दिया।
उक्त तीनो कांग्रस नेताओं के समिति अध्यक्ष बनने के बाद बची छ समितियों मे से घोषणा पत्र समिति का अध्यक्षहरीश चोधरी (जाट), परिवहन व आवास समिति के अध्यक्ष परशादीलाल मीणा (एसटी), प्रचार समिति का अध्यक्ष रघू शर्मा (ब्राह्मण), मिडिया व सम्पर्क समिति अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (जाट), प्रोटोकॉल समिति अध्यक्ष रेहाना (ईसाई), व अनुशासन समिति अध्यक्ष भंवरलाल मेघवाल (एसटी) को बनाया गया है। उक्त अध्यक्षों को जातीवार देखे तो एक गुजर, एक माली, दो जाट, दो ब्राह्मण, एक एसटी, एक एससी व एक ईसाई बीरादरी से आते है।
उक्त अध्यक्षो को नेताओं के नजदीकी के तोर पर आंकलन करे तो इसमे प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलेट की बले बले है। रघू शर्मा, भवरलाल मेघवाल, गोविंद डोटासरा व रेहाना सचिन पायलट के काफी करीबी माने जाते है। हरीश चोधरी को राहुल गांधी की पसंद व परशादीलाल मीणा को अशोक गहलोत का करीबी माना जाता है।
गुजरात चुनावों के समय से लेकर आगे तक गहलोत फारमूले पर कांग्रेस चलते हुये मुस्लिम समुदाय से एक दूरी बनाकर राजस्थान मे भी काग्रेस सोफ्ट हिन्दूत्व की पटरी पर चलकर सत्ता पाने की कोशिश करती नजर आयेगी। इसलिये कांग्रेस मुस्लिम मत को पाना चाहती है लेकिन वो आम मतदाताओं के सामने मुस्लिम मतदाताओं को संगठन मे सम्मानजनक प्रतिनिधित्व देने से दूर भागती दिखाना चाहती साफ नजर आ रही है।
कुल मिलाकर यह है कि राजस्थान के 13-15 प्रतिशत वालै मुस्लिम समुदाय को सत्ता व संगठन में सम्मानजनक हिस्सा नही देने की राह पर चलते हुये कांग्रेस केवल भाजपा का चेहरा व डर दिखाकर सत्तर सालों की तरह अब भी मुस्लिम मत प्राप्त करना चाहती है। लेकिन कांग्रेस को इस तरफ भी देख लेना चाहिये कि पहले किसी ना किसी दल या निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़ चुके मुस्लिम उम्मीदवार अब उनकी उपेक्षा के चलते बसपा से हाथ मिलाकर उम्मीदवार बनने की तैयारी कर चुके हैं । जिनमे पूर्व मे कांग्रेस के उम्मीदवार अधिक बताये जाते हैं।
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