सलमान चिश्ती, रायबरेली (यूपी), NIT; रायबरेली में योगी सरकार की नई नई योजनाओं से आम जनता को फायदा मिलता नजर आ रहा है। लगातार कोई न कोई जनता के फायदे की योजनायें जिले में लागू हो गयी है और इससे आम जनता को काफी फायदा मिलता नजर आ रहा है, फिर चाहे स्वास्थ्य से सम्बन्धित ही क्यों न हो। गुर्दे के रोगियों का इजाल अब जिले में ही हो सकेगा। क्योंकि पहले जिले के लोगों को यहां से लखनऊ रेफर कर दिया जाता था लेकिन अब ऐसा नही होगा। जिले में अभी तक पन्द्रह बेड की सुविधा उपलब्ध कराई गई है जो आने वाले समय में और बढाई जायेगी।
जिला अस्पताल में हीमो डायलिसिस यूनिट की स्थापना भी हो चुकी है। दो सप्ताह के भीतर यूनिट शुरु होने की संभावना है। इतना ही नहीं गुर्दा रोग से पीड़ित मरीजों का इलाज व जांच की जिम्मेदारी डीसीडीसी कार्यदायी संस्था दिल्ली की होगी। मरीजों की जांच कार्यदायी संस्था द्धारा नियुक्त स्वास्थ्य कर्मियों द्धारा की जाएगी। इस संबंध में शासन से जिला अस्पताल प्रशासन को निर्देश मिल चुके है। यूनिट की स्थापना के जरुरी इंफ्राट्रक्चर की व्यवस्था अस्पताल प्रशासन ने करा दी है, ताकि यहां पर आने वाले मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो सके। यूनिट संचालन के लिए युद्ध स्तर पर कार्य हो रहा है।
इलाज कराने वाले मरीजों की जांच निःशुल्क होगी। यह सुविधा शुरु होने से मरीजों को आर्थिक लाभ होगा। अभी तक यह सुविधा जिले में नही होने के चलते मरीजों को लखनऊ मेडिकल कॉलेज या पीजीआई जाना होता था। इससे मरीजों को आर्थिक क्षति के साथ ही परेशानी उठानी पड़ती थी। लेकिन यह व्यवस्था जिला अस्पताल में शुरु हो जाने से गुर्दा रोग से पीड़ित मरीजों को जहां बेहतर इलाज उपलब्ध हो सकेगा। वहीं, उन्हे आर्थिक लाभ होगा। साथ ही दौड़ भाग से भी राहत मिलने की संभावना है। शासन द्धारा प्रदेश के 18 मंडलों में यूनिट स्थापना की स्कीम है। लेकिन शासन में इसका विस्तारी करण करते हुये रायबरेली व सीतापुर जिले को शामिल कर लिया है।
शासन द्वारा कराया जाएगा भुगतान
गुर्दा संबंधी बीमारी का इलाज कराने वाले मरीजों की सूची स्वास्थ्य निदेशालय लखनऊ भेजी जाएगी। वहीं से कार्यदायी संस्था को भुगतान होगा। सीएमएस ने बताया कि गुर्दा संबंधी जांच व इलाज पर लगभग पांच हजार रुपये खर्च आता है। जिला अस्पताल के सीएमएस डाॅ एनके श्रीवास्तव ने बताया कि युनिट की स्थापना होने से गुर्दा रोग से पीड़ित मरीजों को लाभ मिलेगा। उन्हें लखनऊ नही जाना होगा। आर्थिक लाभ के साथ ही समय की भी बचत होगी। बताया कि अक्सर यहां गंभीर मरीज भी आते हैं, यूनिट नहीं होने से उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया जाता था, लेकिन इस यूनिट की स्थापना होने से मरीजों को बेहतर इलाज प्राप्त हो सकेगा। दो सप्ताह के भीतर यूनिट शुरु होने की संभावना है। यूनिट शुरु कराने के लिए कार्यदायी संस्था के अधिकारियों से बातचीत हो चुकी है। पंद्रह बेड की व्यवस्था होगी। बाद में बेडों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है।
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